कक्षा पांच में पढ़ने वाली सुनीता स्कूल जाने से घबराने लगी थी। उसे पढ़ना अच्छा लगता था फिर भी स्कूल जाने में डर लगता था क्योंकि घर से स्कूल के रास्ते में शराब का ठेका पड़ता था और जब वो स्कूल जाती थी तो कुछ लोग वहां खड़े होकर उसे आते जाते छेड़ते थे।
लखनऊ के गोसाईंगंज ब्लॉक के माध्यमिक विद्यालय महमूदपुर की प्रधानाध्यापिका नीता यादव को पता चली तो उन्होंने विद्यालय प्रबंध समिति यानि एसएमसी की बैठक में चर्चा की। प्रधानाध्यापिका बताती हैं, “ हमने इसे गंभीरता से लिया और वहां सुबह स्कूल आने व छुट्टी के समय पर अब गाँव के ही कुछ लोग खड़े रहते हैं जिससे ऐसी कोई घटना न हो और बच्चियां निडर होकर स्कूल आ सकें।”
विद्यालय प्रबंध समितियों के पास स्कूल की देखरेख का सारा जिम्मा होता है। इसमें कुल 15 सदस्य होते हैं, 11 ऐसे होते हैं जिनके बच्चे स्कूल में पढ़ते हों, इसके अलावा एक लेखपाल, एनएएम, प्रधान या उसके द्वारा चयनित कोई व्यक्ति होते हैं, हेडमास्टर इसका सचिव होता है। इनका काम स्कूल की मासिक बैठकों में सम्मिलित होना और विद्यालय के लिए दी गई धनराशि को सही तरीके से खर्च करना होता है।
एसएमसी अध्यक्ष रामकिशोर कहते हैं, “हम लोग हर महीने बैठक करते हैं और उसमें स्कूल की समस्याओं पर बात करते हैं। कहां परेशानी आ रही है, कहां क्या कम पड़ रहा है। इन सबकी वजह से ही हमारे गाँव के बच्चे रोज स्कूल जाते हैं।”
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बच्चों की शिक्षा में गुणवत्ता लाने व सुधार के लिए स्कूल में हर महीने टेस्ट भी होते हैं जिसमें अच्छा करने वाले बच्चों को अलग से पुरुस्कार भी दिया जाता है। इससे बच्चों में प्रोत्साहन बढ़ता है और वो खुद से पढ़ते भी हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी बढ़ चढकर लेते हैं हिस्सा
विद्यालय प्रबंध समितियों के प्रयासों से अब माध्यमिक विद्वालय महमूदपुर के बच्चे सुबह की प्रार्थना वाद्य यंत्रों के साथ करते हैं। कक्षा छह, सात व आठ के कई बच्चे हैं जो हरमोनियम पर वन्देमातरम, जनगणमन व सरस्वती वंदना गाकर सुनाते हैं। विद्यालय की प्रधानाचार्या बताती हैं, हमने खुद के पैसे जोड़कर वाद्वयंत्र खरीदे हैं और बच्चों ने एक दूसरे के देखी देखा बजाना सीखा है। हमारे यहां हर सांस्कृतिक कार्यक्रम में बच्चे पहले से तैयारी शुरु कर देते हैं और बड़े उतसाह से हिस्सा भी लेते हैं।
इस प्राइमरी स्कूल में लैब भी है
जहां प्राइवेट स्कूलों में लैब नहीं दिखती। गाँव के इस छोटे से स्कूल में विज्ञान लैब भी हैं जहां बच्चे प्रयोग करते हैं। लैब् में अलमारियों में विज्ञान के यंत्र बड़े तरीके से व्यवस्थित करके रखे गए हैं।
बच्चों की उपस्थिति कम नहीं होती
एसएमसी के सक्रिय होने से स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति कम नहीं हुई है। पहले जहां कक्षा सात के बाद लड़कियों की संख्या कम हो जाती थी अब लड़के लड़कियां दोनों ही रोज पढ़ने आती हैं। इस बारे में एसएमसी उपाध्यक्ष आशा देवी बताती हैं, मीटिंग में हमने अभिवावकों को ये समझाया कि बच्चों की पहली प्राथमिकता पढ़ाई है,घर का काम,शादी ये सब बाद में भी हो सकता है। इसके बाद से बच्चे रोज पढ़ने आते हें अगर कभी कोई बीमार पड़ा या छुट्टी लेता है तो उसके लिए बाकायदा प्रार्थनापत्र देते हैं।
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खेल में भी नहीं हैं कम
माध्यमिक विद्वालय महमूदपुर के बच्चे जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिता में पहले नम्बर पर आए है और अब वो मंडल स्तरीय खेलों की तैयारी कर रहे हैं। बच्चे रोज खेल का अभ्यास करते हैं और उनको सिखाने के लिए अलग से स्पोर्ट टीचर भी रखा गया है। खेल के साथ बच्चे रोज सुबहबीस मिनट एक साथ बैठकर योग करते हैं।