नई दिल्ली (भाषा)। सरस्वती नदी कोई मिथक नहीं है और अब इसको लेकर वैज्ञानिक साक्ष्य मिलने की बात सामने आई है। राजस्थान, हरियाणा में इस प्राचीन काल की विलुप्त नदी सरस्वती के अस्तित्व, नदी के बहाव मार्ग, आकार और इसके विलुप्त होने के कारणों तथा इसे पुनर्जीवित करने की पहल की जा रही है।
कुछ ही दिन पहले उत्तर-पश्चिम भारत के जीवाश्व चैनल पर विशेषज्ञ समिति की समीक्षा और मूल्यांकन की रिपोर्ट जारी की गई। इस समिति का नेतृत्व प्रख्यात भूवैज्ञानिक प्रो. के एस वालदिया कर रहे थे। यह रिपोर्ट राजस्थान, हरियाणा तथा पंजाब सहित उत्तर-पश्चिम भारत में जमीन की संरचना के अध्ययन पर आधारित है। इस अध्ययन में अतीत में हुए भूगर्भीय परिवर्तन का भी ख्याल रखा गया है।
केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि यह रिपोर्ट इस धारणा की पुष्टि करती है कि सरस्वती नदी हिमालय के आदिबद्री से निकल कर कच्छ के रन से होती हुई अरब सागर में जा मिलती थी और एक समय उत्तर और पश्चिम के भारतीय प्रांतों की जीवन रेखा थी। इसके किनारे पर ही महाभारत से लेकर हड़प्पा जैसी संस्कृतियों का विकास हुआ था।
राजस्थान ने तैयारी तेज की
राजस्थान सरकार ने सरस्वती नदी की खोज के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए चार साल का एक खाका तैयार किया था और केंद्र सरकार का इसके लिए करीब 70 करोड़ रुपये वित्तीय मदद देने का प्रस्ताव था जिसे मंजूरी मिल गई। हरियाणा सरकार भी अपने यहां इस कार्य को आगे बढ़ा रही है।
राजस्थान सरकार के भूजल विभाग ने सरस्वती नदी के जीवाश्म नेटवर्क के पुनर्जीवन और उत्तर पश्चिम राजस्थान में भूजल संसाधनों की खोज के लिए अध्ययन कराने का विचार किया है। इस विषय पर एक रिपोर्ट तैयार करके केंद्र सरकार को भेजी गई है। इस उद्देश्य के लिए 2015-16 से 2018-19 तक की कार्य योजना तैयार की गई है और केंद्र सरकार से 68.67 करोड रुपये का वित्तीय अनुदान मांगा गया था।
राजस्थान की भूजल मंत्री किरण माहेरी ने बताया कि सरस्वती नदी की खोज और इसके पुनर्जीवन के बारे में हमने एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करके केंद्र सरकार को भेज दी है। केंद्र सरकार से इस कार्य के लिए करीब 70 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद मांगी गई थी, जो मंजूर हो गई है।
हरियाणा में बनेगी नहर
दूसरी ओर, हरियाणा सरकार ने भी आदी बद्री हेरिटेज बोर्ड का गठन किया है जिसके तहत सरस्वती नदी के संभावित रास्तों पर नई नहर बनाने की योजना है। हरियाणा में इस सिलसिले में खुदाई का कार्य घग्गर खाकरा नदी इलाकों में किये जाने की पहल की गई है। माना जाता है कि कभी इस इलाके से सरस्वती नदी गुजरती थी। सरस्वती नदी की प्रस्तावित खोज से जुड़ी रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कार्य राजस्थान के पांच जिलों में किया जायेगा जिसकी लम्बाई 543.36 किलोमीटर है।
इसका मकसद पीने के पानी, सामाजिक आर्थिक विकास और समाज के अन्य उद्देश्यों विशेष तौर पर भारत पाकिस्तान सीमा पर तैनात भारतीय सेना के लिए के लिए भूजल संसाधनों की तलाश करना है। इसके तहत जीवाश्म के आधार पर नदी के जल सोत्र को पुनर्जीवित करने की संभावना तलाशी जायेगी।
प्रस्तावित खोज कार्य में वैदिक काल की नदी सरस्वती के बहाव मार्ग और उसके अस्तित्व से जुडे आयामों को स्थापित करने का कार्य किया जायेगा। इसके तहत खुदाई करके भूगर्भीय तत्वों की आयु निर्धारित की जायेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि खोज का दायरा हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर और बारमेड जिले तक होगा।