बहु-फसली, संरक्षित खेती और सोलर पंप से सिंचाई – झारखंड में किसानों की जिंदगी बदल रही कुशल किसान योजना

साल 2016 में प्रदेश में शुरू हुई कुशल किसान योजना किसानों के लिए मददगार साबित हो रही है। इससे किसानों को खेती के उन्नत तरीकों को अपनाने, उत्पादन बढ़ाने और ज्यादा कमाई में मदद मिल रही है। पूरे झारखंड में 25,000 से अधिक कुशल किसान हैं।
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रांची/रामगढ़ (झारखंड)। उन्नत कृषि तकनीकों ने हरिचरण उरांव को एक खुशहाल किसान बना दिया है। जब से रांची के धुरलेटा के किसान ने ‘संरक्षित खेती’ को अपनाया है, तब से बेहतर कमाई भी हो रही है।

“संरक्षित खेती में हम नेट के नीचे खेती करते हैं। नेट भारी बारिश, ओलों, कीड़ों, बंदरों और दूसरे जानवरों से पौधों को सुरक्षित रखता है, “उन्होंने गाँव कनेक्शन को समझाया। फसलों को नुकसान से बचाने के लिए नर्सरी के साथ खेती में भी उनका उत्पादन बढ़ा है। हरिचरण ने आगे कहा, “नेट का इस्तेमाल पांच साल तक किया जा सकता है।”

संरक्षित खेती को अपनाना ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन (टीआरआईएफ) द्वारा कुशल किसान अभियान का परिणाम है, जो एक गैर-लाभकारी संस्था है, जिसने इसे 2016 में झारखंड में पेश किया था। कुशल किसान एक ऐसी पहल है जिसने किसानों को खेती के उन्नत तरीकों को अपनाने, उनकी उपज को बढ़ाने में मदद की है।

कुशल किसान एक ऐसी पहल है जिसने किसानों को खेती के उन्नत तरीकों को अपनाने, उनकी उपज को बढ़ाने में मदद की है।

कुशल किसान एक ऐसी पहल है जिसने किसानों को खेती के उन्नत तरीकों को अपनाने, उनकी उपज को बढ़ाने में मदद की है।

राज्य सरकार की मदद से टीआरआईएफ भी ग्रामीणों को कृषि उद्यमी बनने में मदद कर रहा है। यह किसानों और बाजार के बीच प्रशिक्षण, बाजार संपर्क और उन्हें लोन दिलाने में सक्षम बनाकर वित्तीय सहायता देता है।

पूरे झारखंड में 25,000 से अधिक कुशल किसान हैं।

टीआरआईएफ के राज्य प्रबंधक बापी गोराई ने कहा, “टीआरआईएफ किसानों की आजीविका में सुधार लाने में मदद करता है। यह उन्हें या तो मुफ्त या बहुत ही उचित दर पर गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराया जाता है। यह किसानों को 45 दिनों का प्रशिक्षण कार्यक्रम भी उपलब्ध कराता है। जोकि उन्हें योजनाओं की जानकारी भी देता है।”

“सरकार के साथ मिलकर काम करते हुए हम किसानों को तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं और राज्य में खेती को बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में सर्वेक्षण करते हैं। हम युवाओं को खेती को पेशे के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं और उन्हें दिखाते हैं कि कृषि के वैज्ञानिक तरीके कैसे आगे बढ़ सकते हैं, “गोराई ने कहा।

हरिचरण को अपनी खेती की तकनीकों में किए गए बदलाव के कारण मिलने वाले लाभों को देखते हुए, साथी ग्रामीण भी अब आगे आ रहे हैं।। उनके धुरलेटा गाँव में कई महिलाएं कृषि-उद्यमी बन गई हैं, साथ ही कई युवा जो इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करके खेती में आए हैं।

समय, मेहनत और लागत की बचत

कई महिला किसानों के लिए संरक्षित कृषि प्रणाली ने उनका समय बचाया है। धुरलेटा गाँव की पूनम उरांव ने गाँव कनेक्शन से कहा, “नेट हमारी फसलों को बचाता है। हमें इसके बारे में परेशान होने की जरूरत नहीं है। इससे न केवल हमारा समय बचता है, बल्कि हमें अन्य काम करने के लिए भी छूट मिलती है।”

“पहले, मैं एक एकड़ खेत से लगभग 25,000 रुपये प्रति वर्ष कमाती थी और मैं सिर्फ धान की खेती करती थी। लेकिन नेट की मदद से मेरी आय दोगुनी हो गई है और मैं एक साल में मौसमी सब्जियों की तीन फसलें उगाती हूं, “पूनम ने खुशी से कहा।

धुरलेटा गाँव की एक दूसरी किसान सरोजनी उरांव ने कहा कि उनके गाँव के कुल 10 किसानों ने संरक्षित कृषि प्रणाली को अपनाया है। उनमें से ज्यादातर ने कर्ज पर नेट खरीदा है और उनकी बढ़ी हुई आय ने उन्हें आसानी से लोन चुकाने में मदद की है। 10 डिसमिल (एक एकड़ में 100 डिसमिल) के लिए एक जाल की कीमत किसान को 70,000 रुपये होती है। किसान उन्हें कृषि-फर्मों और ग्राम स्तरीय समितियों की मदद से खरीद रहे हैं।

किसान बाहुबली जैविक टॉनिक, और रामबाण जैविक कीट नाशक ब्रांड नाम से गोमूत्र, पत्ती, निबौली और अन्य प्राकृतिक कृषि उत्पादों के साथ हर्बल कीटनाशक भी बना रहे हैं।

किसान बाहुबली जैविक टॉनिक, और रामबाण जैविक कीट नाशक ब्रांड नाम से गोमूत्र, पत्ती, निबौली और अन्य प्राकृतिक कृषि उत्पादों के साथ हर्बल कीटनाशक भी बना रहे हैं।

फसल उगाने के अलावा, किसान बाहुबली जैविक टॉनिक, और रामबाण जैविक कीट नाशक ब्रांड नाम से गोमूत्र, पत्ती, निबौली और अन्य प्राकृतिक कृषि उत्पादों के साथ हर्बल कीटनाशक भी बना रहे हैं। इससे न केवल उनकी आय में वृद्धि हुई है बल्कि हर्बल कीटनाशकों के उपयोग में भी वृद्धि हुई है। हर्बल कीटनाशक की प्रत्येक पांच लीटर की बोतल की कीमत 15 रुपये है।

नर्सरी से हो रही कमाई

कुशल किसान ने क्षेत्र में कृषि में अन्य सकारात्मक बदलाव लाए हैं। ग्रामीणों ने अपनी नर्सरी भी शुरू कर दी है।

“एक 1.5 डिसमिल प्लॉट (एक एकड़ में 100 डिसमिल) में नर्सरी तैयार करता हूं, मैं सब्जियां और अन्य पौधे उगाता हूं। नर्सरी शुरू करने के लिए मेरा एक बार का खर्च 5,000 रुपये था और मुझे इससे 40,000 रुपये की कमाई होती है। हरमौसम के लिए जो लगभग तीन से चार महीने का होता है, “रांची के धुरलेटा गाँव के हरिचरण ने कहा।

रामगढ़ के पड़ोसी जिले में, हेसापोरा गाँव की एक महिला कृषि उद्यमी सबिता मुर्मू ने कुशल किसान कार्यक्रम से बहुत लाभ उठाया है। सबिता ने गाँव कनेक्शन को बताया, “कुछ साल पहले तक मैं अपनी एक एकड़ जमीन पर खेती करके मुश्किल से 50,000 रुपये सालाना कमा पाती थी। मेरे पति ने कर्ज पर ट्रैक्टर खरीदा था, लेकिन हमें उस कर्ज को चुकाना मुश्किल हो रहा था।”

लेकिन 2020 में, उन्होंने फलों की खेती के साथ-साथ एक कम लागत वाली नर्सरी शुरू की और उनकी आमदनी बढ़कर तीन लाख रुपये सालाना हो गई, उन्होंने बताया। “संरक्षित नर्सरी में खेती करने से मुझे कमाई हुई है। मैंने ट्रैक्टर का लोन चुकाया और बच्चों को अच्छी पढ़ाई भी हो रही है।

धनायन मेरे पति जो एक ड्राइवर के रूप में काम कर रहे थे, उन्होंने वह नौकरी छोड़ दी और पूरा समय खेती करते हैं, “वह मुस्कुराई।

सबिता अब दूसरे किसानों को बेहतर फसल पद्धतियों पर प्रशिक्षित करती हैं।

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