राष्ट्रीय एथलीट सुप्रीति कश्यप की माली हालत पर गाँव कनेक्शन ने 13 जून को खबर प्रकाशित की थी, जिसमें जिक्र किया गया था कि वह दौड़ने के लिए आवश्यक जूते खरीदने में असमर्थ हैं, झारखंड सरकार ने अब उन्हें 1 लाख 55 हजार रुपये की राशि प्रदान की है।
डायरेक्टोरेट ऑफ स्पोर्ट्स एंड यूथ अफेयर्स के सूत्रों ने गाँव कनेक्शन को बताया कि कश्यप को पहले राज्य सरकार से वित्तीय सहायता नहीं मिली थी, क्योंकि उसने इसके लिए आवेदन नहीं किया था।
सूत्रों ने गाँव कनेक्शन को बताया, “गाँव कनेक्शन में समाचार प्रकाशित होने के बाद विभाग ने स्वर्ण पदक विजेता का नोटिस लिया। अधिकारियों को उसके दस्तावेजों को सत्यापित करने के लिए सुप्रीति के घर भेजा गया और उसे नकद पुरस्कार दिया गया।”
सूत्र के अनुसार, “राज्य सरकार पदक विजेताओं को नकद पुरस्कार देती है और हर साल आवेदन मांगे जाते हैं। सुप्रीति को पहले नकद राशि नहीं मिल सकी थी क्योंकि उसने इसके लिए आवेदन नहीं किया था।”
गाँव कनेक्शन से फोन पर बात करते हुए कश्यप ने बताया कि 8 जुलाई को उनके कोच प्रभात रंजन तिवारी और खेल विभाग के अधिकारियों ने उन्हें झारखंड खेल प्राधिकरण की तरफ से दिए जाने वाले नकद पुरस्कार के बारे में बताया था।
एथलीट ने बताया, “जिला अधिकारियों ने मुझे एथलेटिक्स में अपने खेल करियर को जारी रखने के लिए छात्रवृत्ति सुनिश्चित करने का भी आश्वासन दिया है।”
कश्यप ने कहा, “मैंने 18 हजार रुपये का जूता ऑर्डर किया है जो 10 दिनों के अंदर मेरे पास पहुंच जाएगा। मुझे उम्मीद है कि नया जूता मेरे प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद करेगा। अपने खाने पर मुझे लगभग हर 10 हजार रुपये तक खर्च करने हैं, जो मेरे शरीर और दिमाग को फिट रखेंगे। बाकी बची राशि को मैं प्रदर्शन के लिए जरूरी किट खरीदने के लिए खर्च करूंगी।”
इसी बीच, एथलीट की मां राज्य सरकार की तरफ से दी गई वित्तीय सहायता से खुश हैं।
कश्यप की गर्वित माँ बालमती उरांव ने बताया, “यह पहली बार हुआ है कि राज्य सरकार सुप्रीति के लिए नकद पुरस्कार लेकर आई है। नकद इनाम के लिए मांगे गए आवेदन के बारे में जानकारी न होने की वजह से उसने कभी इनाम लिए आवेदन नहीं किया। मैं गाँव कनेक्शन की आभारी हूं कि उसने इस मुद्दे को उठाया।”
एथलीट की मां गुमला जिले के घाघरा में ब्लॉक विकास कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कार्यकर्ता के रूप में काम करती हैं, उससे प्राप्त होने वाले वेतन से वह अपने खर्च का प्रबंधन करती हैं।
उनकी मां ने बताया, “मैं किसी तरह अपने थोड़े से वेतन से सुप्रीति के खर्च का जुगाड़ कर रही हूँ। मेरे लिए उसके जूते पर पैसा खर्च करना मुश्किल था क्योंकि उसकी कीमत 10 हजार से 20 हजार रुपये थी। अब मुझे खुशी है कि वह अपने स्वास्थ्य और प्रदर्शन के सुधार पर पैसा खर्च करेगी। परिवार ने बेटी से सख्ती से कहा है कि वह परिवारिक मामलों में पैसा खर्च न करे।”