पंचायती राज दिवस: सरकारी नौकरी छोड़ ग्राम पंचायतों में कर रहे बदलाव 

uttar pradesh

पंचायती राज दिवस: ‘ग्राम पंचायत को अपने कार्य और जिम्मेदारियां मालूम हो’ इस दिशा में डॉ चंद्रशेखर प्राण पिछले पांच वर्षों से पंचायतों को जागरूक कर रहे हैं। 

लखनऊ। जहां एक ओर लोग सरकारी नौकरी के लिए वर्षों मेहनत करते है, तब कहीं जाकर नौकरी मिलती है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश भर में काम करने वाली सरकारी संस्था नेहरू युवा केन्द्र के निदेशक के पद को छोड़कर डॉ. चंद्रशेखर प्राण ग्राम पंचायतों को सुधारने में लगे हैं।

डॉ. चंद्रशेखर प्राण नेहरु युवा मंडल की सरकारी नौकरी छोड़कर सन 2014 से अब तक उत्तर प्रदेश के 70 जिलों में ‘ग्राम पंचायत को अपने कार्य और जिम्मेदारियां मालूम हो’ इस दिशा में हजारों संगोष्ठी कर चुके हैं। इनका उद्देश्य हैं कि हर ग्राम पंचायत में पंचायती राज व्यवस्था जमीनी स्तर पर लागू हो। तीसरी सरकार अभियान को सक्रिय रूप से गति देने के साथ ही ये पंचायत से जुड़ी कई किताबें भी लिख चुके हैं।

ये भी पढ़ें:प्रधानमंत्री जी कोर्ट में नहीं होते इतने केस पेंडिंग, अगर काम कर रही होती न्याय प‍ंचायत

प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर पुरे तोरई गाँव है। साधारण किसान परिवार में जन्मे डॉ. प्राण को किशोरावस्था से ही पंचायत के कार्यों में रूचि रही। वर्ष 1982 में पहली बार प्रतापगढ़ जिले में प्रधान संगठन की नींव डाली।

छात्राओं और ग्रामीणों को पंचायत के कार्यों के बारे में बताते हुए डॉ. प्राण 

डॉ. चंद्रशेखर प्राण गाँव कनेक्शन को फ़ोन पर बताते हैं, “जब मै गाँव में रहता था तबसे पंचायत की दुर्दशा देखी थी, पंचायत स्तर पर अच्छा काम हो इस दिशा में नौकरी के दौरान भी मै कुछ न कुछ प्रयास करता रहता था, नौकरी करते समय पंचायत स्तर पर जितना काम करना चाहिए था उतना काम नहीं कर पा रहा था इसलिए नौकरी छोड़कर पूरी तरह से पंचायत के कार्यों में लग गया।”

वो आगे बताते हैं, “पिछले 20 सालों से संविधान के अनुसार उत्तर-प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था लागू तो कर दी गयी है, लेकिन जमीनी स्तर पर वह तीसरी सरकार बनने के बजाय ठेकेदार व एजेंट बनकर ही रह गयी है। इससे न तो गाँव का विकास हो पा रहा है और न ही जनता को असली आजादी और सच्चा लोकतंत्र मिल पा रहा है।”

ये भी पढ़ें- पंचायती राज दिवस : यूपी में ग्राम पंचायत का सालाना बजट 20-40 लाख , फिर गांव बदहाल क्यों ?

तीसरी सरकार अभियान को चलाने का मुख्य उद्देश्य डॉ चंद्रशेखर प्राण ने साझा किया, “इस अभियान के माध्यम से जहाँ एक ओर ग्रामीणों को जागरूक करने की कोशिश हैं वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम में जो कमियां और खामियां हैं उसे तलाश कर उसको बदलने के लिए लोकमत तैयार करना और राज्य सरकार को अवगत कराना साथ ही पंचायतों को उनके संवैधानिक अधिकारों की प्राप्ति के लिए अनुकूल माहौल बनाना भी शामिल है।”

ग्राम प्रधानों को उनके कार्यों की जानकारी हो, गाँव-गाँव कर रहे संगोष्ठी

वर्ष 1992 में भारत के संविधान में 73 वें संशोधन के द्वारा एक और सरकार की व्यवस्था की गयी जिसे अपनी सरकार कहा गया। इससे पहले संविधान में दो सरकारें थी पहली संघ सरकार (अध्याय 5), दूसरी राज्य सरकार (अध्याय 6), लेकिन 73 वें संशोधन के बाद संविधान के अध्याय नौ में अपनी सरकार के नाम से पंचायत को तीसरी सरकार के रूप में यह दर्जा दिया गया। इसके लिए संविधान में लगभग वह सारे प्रावधान किये गये जो किसी संस्था को सरकार बनाने के लिए जरूरी होते है।

जैसे 11वीं अनुसूची के माध्यम से पंचायतों का काम विषय तय करना। नियमित रूप से हर पाँच साल पर चुनाव हो इसके लिए अलग से चुनाव आयोग बनाना। गाँव के लोग अपनी जरूरत के हिसाब से हर साल अपनी योजना बना सकें, इसके लिए योजना समिति बनाना। गाँव विकास के लिए पर्याप्त बजट उपलभ्ध हो इसके लिए अलग से वित्त आयोग जैसी अत्यंत महत्वपूर्ण चीजें इसके अंतर्गत शामिल की गयी।

ये भी पढ़ें- गांव वालों 80,000,000,000 रुपयों का हिसाब लगाइए, ये आपके ही हैं

ग्रामीण भी पंचायत के कार्यों को जाने ये है इनकी कोशिश 

उत्तर प्रदेश नेहरु युवा केंद्र में कार्य करने के दौरान चन्द्रशेखर प्राण वर्ष 1995-2000 तक प्रदेश के 63 जिलों के 15 हजार ग्राम पंचायतों में परमेश्वर कार्य योजना के प्रदेश स्तर के निदेशक रह चुके हैं। इस दौरान इन्होंने पांच विषयों पर काम शुरू किया है।

कई प्रदेशों में चला रहे हैं ‘तीसरी सरकार अभियान’

डॉ़ चंद्रशेखर प्राण ने वर्ष 1988 से भारत सरकार के नेहरु युवा केंद्र संगठन में क्षेत्रीय समन्वयक से लेकर राष्ट्रीय निदेशक के रूप में 25 वर्षों तक विभिन्न प्रशासनिक पदों पर कार्य करने के बाद सन 2013 में स्वेक्षिक सेवानिवृत्त लेकर सामाजिक कार्यों में अपने आपको समर्पित कर दिया। डॉ प्राण अपना एक अनुभव साझा करते हुए बताते हैं, “पूरे प्रदेश के भ्रमण के दौरान मैंने पाया कि 80 प्रतिशत प्रधान वो है जिनकी मानसिकता है कि सरकारी योजनाओं के लिए जो अनुदान आएगा उसे उन्हें क्रियान्वयन करना होगा, जबकि 20 प्रतिशत प्रधान सामाजिक प्रतिष्ठा और एक खास विजन से लड़ रहे हैं कि अपने गाँव का विकास वो कैसे करा पायें।”

ये भी पढ़ें-टिप्पणी : पंचायती राज को आरक्षण ने तहस नहस कर दिया

पंचायत में सक्रिय रूप से काम कर रहे चंद्रशेखर प्राण पंचायत को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों की हकीकत बताते हैं, “गाँव के लोगों में पंचायत को लेकर न तो पूरी जानकारी है और न ही कोई खास अभिरुचि है, जिसके चलते देश की आजादी के बाद जो अपनी सरकार बननी थी उसका सपना अधूरा रह गया है। तीसरी सरकार अभियान इसी सपने को पूरा करने के लिए प्रदेश के सामाजिक कार्यकर्ताओ, प्रबुद्ध नागरिकों, नौजवान साथियों व मेहनतकश किसान और मजदूर साथियों के सहयोग से चलाया जाने वाला लोक अभियान है।”

डॉ चंद्रशेखर प्राण अब तक पंचायत से जुड़ी कई किताबें लिख चुके हैं। जैसे पंचपरमेश्वर (1995), पंचायत – कल आज और कल (1997), पंचायत और गाँव समाज – पुनर्जागरण की राह (2001), स्वशासन बनाम स्वराज्य (2010), विकास, विकास लोकतंत्र और पंचायत – एक समन्वित दृष्टि (2013)।

ये भी पढ़ें- जानें ग्राम पंचायत और उसके अधिकार, इस तरह गांव के लोग हटा सकते हैं प्रधान

Recent Posts



More Posts

popular Posts