एलोवेरा की प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए सीमैप में दी जा रही है ट्रेनिंग 

सीमैप

लखनऊ। बीटेक, एमबीए कर मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब छोड़ कई लोग एलोवेरा की प्रोसेसिंग करना सीख रहे हैं, पिछले कुछ वर्षों में देश में सौन्दर्य प्रसाधनों के साथ ही चिकित्सा के क्षेत्र में भी एलोवेरा की मांग तेजी से बढ़ी रही है, ऐसे में सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान लोगों को प्रशिक्षित कर रहा कि कैसे एलोवेरा का प्रसंस्करण कर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

ये भी पढ़ें : वीडियो : एलोवेरा की खेती का पूरा गणित समझिए, ज्यादा मुनाफे के लिए पत्तियां नहीं पल्प बेचें

केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) में आयोजित चार दिवसीय एलोवेरा प्रसंस्करण तकनीक प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन भारत के विभिन्न राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गुजरात, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, बिहार, महाराष्ट्र और राजस्थान से कुल 23 प्रतिभागियों ने भाग लिया है।

ये भी पढ़ें : सरकारी नौकरी छोड़ अब एलोवेरा की खेती से सालाना कमाते हैं दो करोड़

सीमैप में प्रशिक्षण के समन्वयक, प्रमुख वैज्ञानिक इंजी. सुदीप टंडन ने प्रशिक्षण में एलोवेरा की विभिन्न अवस्थाओं को जैसे जूस, सैप, जेल और क्रीम बनाने की तकनीकी के बारे में विस्तार से बताया। सुदीप टंडन ने बताया, “देश में अब तेजी से एलोवेरा की मांग बढ़ी है, किसानों ने खेती भी शुरु कर दी है, अब प्रोसेसिंग के बारे में जानकारी लेकर और ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।”

केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान के सीनियर प्रिंसिपल वैज्ञानिक सुदीप टंडन।

बरेली की रहने वाली आंचल जिंदल (28 वर्ष) इंजीनियरिंग और एमबीए की पढ़ायी के बाद एलोवेरा की प्रोसेसिंग यूनिट शुरु करना चाहती हैं। आंचल बताती हैं, “यहां से ट्रेनिंग लेने के बाद मैं प्रोसेसिंग यूनिट शुरु करना चाहती हैं, देश में अब लोगों का रुझान खेती की तरफ बढ़ रहा है, प्रधानमंत्री भी खेती पर जोर दे रहे हैं, अब हमें भी इस पर कुछ करना चाहिए।”

प्रशिक्षुओं को एलोवेरा की प्रोसेसिंग के बारे में बताते सुदीप टंडन।

वहीं ग्रेटर नोएडा में गलगोटिया इंजीनियरिंग कालेज के प्रोफेसर मदन कुमार शर्मा (35 वर्ष) ने भी अलीगढ़ में एलोवेरा में खेती शुरु की है अब प्रोसेसिंग यूनिट लगाना चाहते हैं। मदन बताते हैं, “अलीगढ़ में मेरी खेती है, जिसमें धान, गेहूं, आलू की फसलों की खेती होती है, मुझे लगा कि कुछ नया करना चाहिए, राजस्थान से पौधे मंगाए खेती शुरु भी कर दी है।”

ये भी पढ़ें : नक्सलियों के डर से छोड़ा था झारखंड , बन गए सोनभद्र के सफल किसान

वो आगे बताते हैं, “एलोवेरा की खेती शुरु कर दी है, इसलिए यहां पर प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग लेने आया हूं, जिससे पल्प ज्यादा महंगे दाम में बेच सकूं।” इंजी. सुदीप टंडन आगे बताते हैं, “ऐलोवेरा की पत्तियां चार-पांच किलो रुपए में बिकती हैं, लेकिन अगर वही प्रोसेस करके बेचा जाए तो अच्छा दाम मिल जाता है।”

ये भी पढ़ें- ‘प्रिय मीडिया, किसान को ऐसे चुटकुला मत बनाइए’

ये भी पढ़ें : बैंक की नौकरी छोड़ औषधीय फसलों की कर रहे हैं खेती

वीडियो : एक साधारण किसान ने जैविक खाद से खड़ा किया लाखों का कारोबार, दूसरों के लिए बने मिसाल

Recent Posts



More Posts

popular Posts