लखनऊ। विकास से दूर, बाघ और तेंदुओं के साथ डर के साए में जीने वाले वन ग्रामवासियों के अधिकारों के लिए लडऩे वाली भानमती और वहीं दूसरी ओर महिलाओं के हक के लिए लडऩे वाली ऊषा विश्वकर्मा और नंदिता पाठक का चयन देश की सर्वश्रेष्ठ महिलाओं में हुआ है।
बहराइच जिला मुख्यालय से लगभग 110 किमी दूर मिंहीपुरवा ब्लॉक के नयी बस्ती गाँव की भानमती (42 वर्ष) पिछले दस वर्षों से अपने गाँव की आजादी के लिए लड़ रही हैं। बहराइच जिले में ऐसे कई गाँव हैं, जो वनग्राम की श्रेणी में आते हैं, जहां के लोग आज़ादी के 68 साल बीत जाने के बाद भी आज़ाद नहीं हैं। ऐसे में देहात संस्था के साथ मिलकर भानमती महिलाओं के लिए काम कर रही हैं।
देहात के संस्था के मुख्य कार्यकारी डॉ जितेन्द्र चतुर्वेदी बताते हैं, ”जब हमने वनग्राम के लिए काम करना शुरू किया तो वनग्राम कई सात गाँवों में जाना हुआ। महिला अधिकार मंच की तीन हजार महिलाओं की अगुआई भानमती करती हैं।”
केन्द्रीय महिला एवं विकास मंत्रालय और फेसबुक ने आवेदन के आधार पर देश की महिलाओं को साल 2015 में समाज में किए गये बेहतर कार्यों के लिए शामिल किया था। इन महिलाओं में से शीर्ष 100 महिलाओं की श्रेणी में भानमती भी शामिल हैं।
भानमती बताती हैं, ”मुझे तो पता भी नहीं था की मुझे 100 महिलाओं में शामिल किया गया है। राष्ट्रपति के सामने अपने गाँव की समस्या को रखूंगी। गाँव के लोगों का ही समर्थन था कि मैं आज यहां तक पहुंची हूं।”
वहीं बिजावर क्षेत्र के लखनगवां गाँव की रहने वाली निवासी डॉ. नंदिता पाठक को भी सम्मान देने वाले महिलाओं में जगह मिली है। दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट में काम करने वाली डॉ. नंदिता पाठक कम्यूनिटी मोबिलाइजेशन में काम करने के लिए देश की 100 प्रमुख महिलाओं में चुनी गई हैं।
लखनऊ की ऊषा भी लिस्ट में शामिल
लखनऊ। महिलाओ के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था रेड ब्रिगेड की ऊषा विश्वकर्मा को भी देश की सर्वश्रेष्ठ 100 महिलाओं में शामिल किया गया है। ऊषा विश्वकर्मा और उनकी संस्था रेड ब्रिग्रेड पिछले कई वर्षों से लड़कियों के अधिकारों के लिए काम कर रही है। ऊषा अपनी संस्था के माध्यम से अब तक हज़ारों लड़कियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दे चुकी हैं।
ऊषा विश्वकर्मा बताती हैं, ”ई मेल के माध्यम से हमें सूचना दी गयी फिर उसके बाद फोन भी आया कि आपको सर्वश्रेष्ठ 100 महिलाओं में शामिल किया गया है। फेसबुक के जरिए ही मुहिम की शुरुआत की गयी थी तब मुझे पता भी नहीं था।”
वो आगे बताती हैं, ”लोगों का प्यार है कि मुझे 100 महिलाओं में शामिल किया गया। राष्ट्रपति से पुरस्कार के बाद और भी लोग मुझे जानेगें, जिससे मैं अपनी मुहिम पूरे देश में चला सकती हूं।”