गोबर भी बन सकता है कमाई का जरिया, इन युवाओं से सीखिए

मिर्जापुर में युवाओं ने वर्मी कम्पोस्ट का व्यवसाय शुरू किया है, आज वर्मी कम्पोस्ट की मांग यूपी ही नहीं दूसरे भी कई राज्यों में होने लगी है।
#Vermi Compost

सीखड़ (मिर्जापुर)। पहले जिस गोबर को लोग बेकार समझ कर फेक देते थे, उसी गोबर को दो युवाओं ने कमाई का जरिया बना लिया है। अब गाँव भी साफ रहने लगा है और लोगों को गोबर फेकना नहीं पड़ता।

मिर्जापुर जिले के सीखड़ गाँव के चंद्रमौली पांडेय (34 वर्ष) और मुकेश पांडेय (36 वर्ष) बेकार समझे जाने वाले गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बना रहे हैं। मुकेश पांडेय रुरल डेवलपमेंट से पोस्ट ग्रेजुएशन और ने ईडीआई बिजनेस स्कूल, अहमदाबाद से एमबीए करने के बाद सात साल नौकरी भी की है।

वर्मी कम्पोस्ट बनाने की शुरूआत के बारे में मुकेश पांडेय गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “जब हम गाँव सीखड़ आते तो देखते कि यहां पर गाँव की सड़कों के किनारे पशुओं के गोबर का ढेर लगा रहता। गाँव मे जिनके पास गैस चूल्हा नहीं होता था, वही लोग गोबर की उपले बनाकर मिट्टी के चूल्हे पर अपना खाना पकाते थे। केवल वही उपयोग में लाया जाता था। कुछ लोग गोबर को पानी डालकर खेत में बहा देते थे, कुछ लोग अपने खेतों में ऐसे फेंक देते थे, कुछ लोग सड़कों के किनारे बड़े-बड़े ढेर बना देते थे। जिसका कोई उपयोग नहीं होता था।” बस यहीं से दोनों लोगों को वर्मी कम्पोस्ट बनाने का आइडिया आया।

1500 रुपए प्रति ट्रॉली खरीदते हैं गोबर

वर्मी कम्पोस्ट से इन इन्हें तो कमाई हो ही रही है, साथ ही ग्रामीणों को भी पैसे मिल जा रहे हैं। चन्द्रमौली पांडेय कहते हैं, “हमने गोबर का रेट तय कर दिया है, 1500 रुपए प्रति ट्राली गोबर खरीदते हैं, अब तो पूरे गाँव के लोग हमें गोबर बेचते हैं।” इनके गोबर खरीदने से अब तो गाँव भी साफ रहने लगा है और पशुपालक भी गोबर इकट्ठा करने लगे हैं, क्योंकि पशुपालकों को भी घर बैठे आमदनी का जरिया मिल गया है।

छह राज्यों में भेजते हैं वर्मी कम्पोस्ट

मिर्जापुर से उत्तर प्रदेश के कई जिलों के साथ ही दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड में वर्मी कम्पोस्ट भेजा जा रहा है। चन्द्रमौली पांडेय बताते हैं, “नाबार्ड और कृषि विभाग के सहयोग से वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने का काम शुरू किया, हमारे मेहनत से बनी खाद की मांग दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में है। इसके साथ ही साथ विदेशों से भी वर्मी कम्पोस्ट खाद की मांग बढ़ रही है। जिसकी मांग पूरी करने के लिए विदेश के मालदीव में आपूर्ति करने के बाद अब नेपाल और श्रीलंका से मांग आने के बाद वर्मी कम्पोस्ट खाद को भेजने की तैयारी की जा रही हैं।

केंचुए से पांच लाख की आमदनी

वर्मी कम्पोस्ट के साथ ही अब केंचुआ पालन भी शुरू किया है, अब लोगों को केंचुए भी उपलब्ध कराते हैं। चन्द्रमौली पांडेय ने बताया कि हम लोगों ने केंचुआ पालन का कार्य भी किया, जिसमें हमने मात्र 40 हजार रुपए का ऑस्ट्रेलियन प्रजाति के केंचुआ खरीदकर केंचुआ पालन भी किया था। इसको हम लोग अभी तक उससे पांच लाख रुपए सलाना आमदनी कर रहे है। खाद के अलावा केवल केंचुआ की बिक्री कर पांच लाख रुपया सलाना आमदनी हो रही है।

खाद बनाने में आता है इतना खर्च

एक किलो वर्मी कम्पोस्ट बनाने में तीन रुपए खर्च होते हैं, पैकेजिंग में चार रुपए और इस वर्मी कम्पोस्ट को दस रुपए प्रति किलो बेचते हैं। चंद्रमौली बताते हैं, “हम एक, दोख् पांच, दस, बीस और पचास किलो का पैक तैयार करते हैं।” इनके अनुसार अभी वर्मी कम्पोस्ट का टर्न ओवर 28 लाख प्रति वर्ष है।

नर्सरियों पर इनकी खाद की मांग ज्यादा है, इसके साथ ही किसान भी अपने खेत के लिए वर्मी कम्पोस्ट ले जाते हैं।

मिर्जापुर के उप कृषि निदेशक अशोक उपाध्याय कहते हैं, “किसानों की आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए सरकारी स्तर पर मिलने वाली सुविधाओं का लाभ लेकर किसानों की टीम बनाकर इस योजना को शुरू किया गया। देश के साथ ही विदेशों में भी वर्मी कम्पोस्ट भेजा जा रहा है।”

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