पर्किंसन बीमारी से जूझ रही दादी की मदद के लिए बनायी थी छड़ी, उपराष्ट्रपति ने भी की तारीफ

एक साधारण सी छड़ी में एलईडी लाइट लगाकर प्रयोग किया। इस छड़ी में लगी लाइट किसी रुकावट का आभास कराती है।
Swayam Project

पुखरायां (कानपुर देहात)। बचपन में खिलौने को तोड़कर कुछ नया बनाने की कोशिश करने वाले कक्षा नौवीं के छात्र पार्थ बंसल ने पार्किंसन बीमारी को मात देने के लिए छड़ी बनाई है। इस बीमारी से ग्रसित अपनी दादी को राहत देने के लिए उन्होंने इस आविष्कार को साकार किया है।

अपनी दादी को इस बीमारी से ग्रसित देख पार्थ बंसल ने उनकी राह को सुगम बनाने के लिए इस छड़ी का निर्माण किया है। कानपुर देहात जिला मुख्यालय से लगभग 25 किमी दूर पश्चिम दिशा में पुखरायां कस्बे के सुभाषनगर नगर मोहल्ले में रहने वाले पार्थ ने “लेज़र केन” नाम की एक ऐसी छड़ी बनाई है जिसमें रेड कलर की लेजर लाइट लगी है। इस छड़ी को लेकर चलने से मरीज को रेड कलर की लेजर लाइट को देखकर ऐसा लगता है कि सामने कुछ रखा है और इसी के सहारे से वह चलता जाता है। पिछले वर्ष 7 नवम्बर को पार्थ को इस छड़ी के आविष्कार के लिये राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इग्नाइट अवॉर्ड से सम्मानित किया था।


उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने हैदराबाद में रूरल इन्नोवेटर्स स्टार्टअप कॉन्क्लेव का उद्घाटन करते हुए ग्रामीण नवाचार की उपयोगिता और जरूरत की महत्ता पर अपने विचार रखे। देश भर से आये 150 नवप्रवर्तकों ने अपने अपने इनोवेशन का प्रदर्शन किया, जिसका अवलोकन उपराष्ट्रपति ने भी किया। पुखरायां के पार्थ बंसल द्वारा बनाई गई पार्किंसन मरीजों के सहायता के लिए छड़ी की उपराष्ट्रपति ने भी तारीफ की और पार्थ को भविष्य में इसी तरह समाज के उपयोग में आने वाले नई चीजों को बनाने के लिए प्रोत्साहित भी किया।

पार्थ बंसल कहते हैं, “मुझे बचपन से ही नई-नई चीजों को बनाने का शौक था, जब मेरी दादी को पार्किंसन बीमारी हुई और डॉक्टर साहब ने एक ऐसी छड़ी का जिक्र किया जिससे दादी चल सकती थीं तो मुझे इसे बनाने का विचार आया।” पार्थ आगे बताते हैं, “मेरे पापा ने उस छड़ी की चर्चा जब मुझसे की तो मैंने उस छड़ी को बनाना शुरू कर दिया।” इस लेजर केन छड़ी को बनाने के लिए पार्थ को सिर्फ दो बार मशक्कत करनी पड़ी। अब इस छड़ी ने उनकी दादी का समस्या का काफी हद तक हल कर दिया है। शुरुआती दौर में इस छड़ी को बनाने में जो कमी रह गयी थी उसे पार्थ ने जल्दी ही ठीक किया। उन्होंने वर्ष 2014 में इस छड़ी को बनाना शुरू किया था। इसकी लागत सिर्फ दो हजार रुपए आई थी। पार्थ के पिता संदीप बंसल (43 वर्ष) का कहना है, “पार्थ को बचपन से विज्ञान की तरफ बहुत रूचि थी। वो हमेशा नई-नई चीजों को बनाता रहता था।” वे आगे कहते हैं, “पार्थ बचपन से ही जिज्ञासू था। इसके पास हमेशा नए आइडियाज होते हैं। हमारा पूरा परिवार पार्थ के हर क़दम में साथ देता है।”

क्या है लेजर केन

एक साधारण सी छड़ी में एलईडी लाइट लगाकर प्रयोग किया। इस छड़ी में लगी लाइट किसी रुकावट का आभास कराती है। पार्थ ने इस छड़ी में लेजर लाइट, रात में चलने के लिए टॉर्च और चार्जिंग को जोड़कर इस छड़ी को और खास बना दिया है। इसका वजन भी बहुत कम है।

क्या है पार्किसन बीमारी

पार्किंसन एक ऐसी बीमारी है जो मरीज की पूरी की पूरी दिनचर्या प्रभावित कर सकती है क्योंकि यह एक दिमागी विकार है जो सामान्य ढंग से जिन्दगी जीने में मुश्किल पैदा करती है, इसमें शरीर के अंग कांपने लगते हैं उस पर आप का नियंत्रण नहीं रह जाता है।

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