लखनऊ। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने वाणिज्य मंत्रालय से डेयरी क्षेत्र को आरसीईपी (क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी ) से अलग रखने की बात कही है। गिरिराज सिंह ने कहा कि डेयरी क्षेत्र में मुक्त व्यापार शुरू होने से देश के किसान प्रभावित होंगे।
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) के तहत आसियान समूह के 10 देश (ब्रुनेई , कंबोडिया , इंडोनेशिया , मलेशिया , म्यांमा , सिंगापुर , थाईलैंड , फिलीपीन , लाओस तथा वियतनाम) तथा छह अन्य देश भारत , चीन , जापान , दक्षिण कोरिया , आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड आपस में मुक्त व्यापार समझौता करने के लिये बातचीत कर रहे हैं। प्रस्तावित समझौते को जल्द अंतिम रूप दिए जाने और अगले महीने तक उस पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। आरसीईपी के सदस्य देश इन दिनों बैंकॉक में बातचीत कर रहे है।
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समझौते को गंभीरता से लेते हुए गिरिराज सिंह ने डेयरी क्षेत्र को प्रस्तावित समझौते से अलग रखने की वजह को स्पष्ट करते हुए कहा, “हम उन पशुओं के दूध को अनुमति नहीं देंगे , जिन्हें पशुजन्य प्रोटीन दिया जा रहा है। हमारी शर्त है कि उसी दूध का आयात किया जाना चाहिए , जिस पशु को किसी तरह का मांसाहार युक्त प्रोटीन नहीं दिया जा रहा है।” उन्होंने कहा कि भारत पशुओं के चारे में किसी तरह का पशुजन्य प्रोटीन उपयोग नहीं करता है।
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केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि ” हमारे लिए , डेयरी मुख्य कारोबार की तरह नहीं होता है। हम सभी आरसीईपी देशों से डेयरी क्षेत्र को प्रस्तावित व्यापार समझौते से अलग रखने का अनुरोध करते हैं।” भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है। वर्ष 2018 में देश में 176.3 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ। मवेशियों की सबसे ज्यादा आबादी भारत में है। गिरिराज सिंह ने कहा कि “देश में प्रति व्यक्ति दूध उत्पादन दुनिया में सबसे कम है। इसी का नतीजा है कि दूध उत्पादन की लागत अन्य देशों की तुलना में अधिक है। भारत में प्रति व्यक्ति दूध उत्पादन करीब 10 लीटर है जबकि अन्य देशों में पशु प्रोटीन की वजह से यह 40 लीटर है।”