गर्मियों के दिनों में दुधारू पशुओं से ज्यादा दूध उत्पादन कर पाना बहुत कठिन होता है, क्योंकि तापमान 30 से 45 डिग्री. सेंटीग्रेड और कभी-कभी इससे भी अधिक हो जाता है। ऐसे में पशुपालक अगर पशुओं के आहार व्यवस्था पर ध्यान दे तो काफी हद तक दूध उत्पादन घटने से रोका जा सकता है।
गर्मियों में आर्द्रता भी बढ़ जाती है, जिस कारण पशुओं का तापमान बढ़ जाता है। गर्मियों में दूध उत्पादन बनाने रखने के लिए पशुपालकों को निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
- पशु के दाने में ज्यादा ऊर्जा वाला दाना जैसे मक्का, जौ इत्यादि का प्रयोग करें। संभव हो तो चारों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इन चारों के पाचन में पशु में अधिक गर्मी उत्पन्न होती है, जाड़े में तो यह लाभदायक होता है लेकिन गर्मी में नुकसानदायक होता है।
- पशु का आहार संतुलित होना चाहिए। पशुओं को आवश्यकतानुसार प्रोटीन, ऊर्जा, खनिज, विटामिन आवश्यक मात्रा में उपलब्ध हों।
- जहां तक संभव हो सके हरे चारे की समुचित मात्रा देनी चाहिए। गर्मी के मौसम में मक्का, लोबिया, चरी, ज्वार, को लगाए ताकि पशुओं को हरा चारा लगातार मिलता रहे। इससे पशुओं को अच्छा पोषण तो मिलता ही है, पानी की उपलब्धता भी बढ़ जाती है।
- अगर हरे चारे की उपलब्धता कम हो तो पशुओं को अलग से विटामिन दें। गर्मी के दिनों में पशुओं को नमक की आवश्यकता बढ़ जाती है। प्रत्येक पशु को 25-30 ग्राम नमक जरूर खिलाना चाहिए साथ ही पानी भरपूर मात्रा में पिलाना चाहिए।
- पशुओं को आहार तीन या चार बार में देना चाहिए ठड़े समय (सुबह, शाम और रात)। अगर पशु को चराना है तो सुबह या शाम चराना चाहिए। तेज धूप में पशु को बाहर निकालना पशु के स्वास्थ्य और उत्पादन दोनों के लिए हानिकारक होता है।
- पशुशाला में साफ, ताजा पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। सामान्य दिनों में पशुओं को पानी की आवश्यकता लगभग 35-40 लीटर होती है जो गर्मी के दिनों में बढ़कर दोगुनी हो जाती है।
- गायों की अपेक्षा भैंसे गर्मी से ज्यादा प्रभावित होती है इसलिए गर्मियों में भैंसों को कम से कम से एक बार जरूर नहलाएं। अगर आपके घर के पास तालाब हो तो उन्हें एक-दो घंटे के लिए उसमें छोड़ देना चाहिए।