लखनऊ। कम लागत और सामान्य रख-रखाव में बकरी पालन व्यवसाय गरीब किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए आय का एक अच्छा साधन बनता जा रहा है। झारखंड, राजस्थान समेत कई राज्यों में यह बकरियां बतौर एटीएम के रूप में उनकी मदद करती है, लेकिन अभी भी जानकारी के अभाव में किसान उससे ज्यादा लाभ नहीं कमा पा रहे हैं।
पशु आनुवंशिकी एवं प्रजनन विभाग के डॉ. एम़ के. सिंह बताते हैं, “बकरी पालन व्यवसाय से किसानों की आय दोगुनी से तिगुनी की जा सकती है अगर किसान बकरी पालन को वैज्ञानिक तरीके से करें। बकरी पालन शुरू कर रहे तो उच्च नस्ल की बकरियों का चयन करें। स्टॉल फीडिंग के लिए बरबरी बकरी पालें और अगर चराई के लिए रखना है तो सिरोही बकरी का चयन करें। अगर किसान बकरी पालन शुरू कर रहे हैं तो प्रशिक्षण जरूर लें ताकि पशुपालकों को पूरी जानकारी रहे और घाटा न हो।”
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बकरी पालन व्यवसाय से ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कैसे हो, इसके बारे में डॉ. सिंह ने आगे बताया, “अगर बकरियों को सही समय पर गर्भित कराते हैं तभी किसान को लाभ मिलेगा। उत्तर भारत में बकरियों को 15 सिंतबर से लेकर नवंबर और 15 अप्रैल से लेकर जून तक गाभिन कराना चाहिए। सही समय पर बकरियों को गाभिन कराने से नवजात मेमनों की मृत्युदर कम होती है।”
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कम लागत से इस व्यवसाय से ज्यादा लाभ होता है इसलिए किसानों का रुझान इसमें तेजी से बढ़ रहा है। इस व्यवसाय से देश के 55 लाख लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है।
19वीं पशुगणना में भारत में बकरियों की कुल संख्या |
विश्व में बकरियों की कुल प्रजातियां |
भारत में पाई जाने वाली नस्लों की संख्या |
135.17 मिलियन |
103 प्रजातियां |
21 नस्लें |
बकरियों के रख-रखाव के बारे में पशु आनुवंशिकी एवं प्रजनन विभाग के वैज्ञानिक मनीष डीगे बताते हैं, “ज्यादातर किसान बकरी के बाड़े की साफ-सफाई पर ध्यान नहीं देते हैं जबकि साफ-सफाई बकरियों में होने वाली बीमारियों को कम कर देता है। इसलिए नियमित साफ-सफाई बहुत जरूरी है। जहां पर बकरी को बांधे वहां की एक या दो इंच परत मिट्टी की समय-समय पर पलट दें, जिससे उसमें जो परजीवी होते हैं, वो निकल जाते हैं। बाड़े की मिट्टी जितनी सूखी होती है उतनी ही बकरियों को बीमारियां कम होती है। इसके अलावा बकरियों को पानी से दूर रखा जाए।”
बकरी पालन व्यवसाय में आने वाली समस्याओं के बारे में मनीष डीगे आगे बताते हैं, “पशुपालक शिकायत करते हैं कि बकरी के तीन बच्चे हुए, उसमें एक ही बचा। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बकरी का दूध नहीं बचता है। इसलिए जब बकरी ग्याभिन हो तो उसे अत्यधिक मात्रा में हरा चारा और खनिज लवण देना चाहिए। पशुपालक जेर गिरने तक बच्चे को दूध नहीं पीने देते हैं, ऐसा न करें, जितना जल्दी बच्चे को मां का पहला दूध (खीस) पिलाएंगे उतना ही बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता तेजी से बढ़ती है।”
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बाराबंकी जिले से 32 किमी. दूर त्रिवेदीगंज ब्लॉक के मोहम्मदपुर गाँव में रहने वाले विवेक सिंह पिछले कई वर्षों से स्टॉल फेड विधि से बरबरी बकरी पालन कर रहे हैं। इस व्यवसाय से आज वह न सिर्फ सलाना लाखों की कमाई भी कर रहे हैं, बल्कि कई राज्यों के लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं।
विवेक ने जब फार्म को शुरू किया था तो उनके पास बरबरी प्रजाति के दो बकरे और 21 बकरियां थीं। लेकिन आज उनके फार्म में 100 से ज्यादा बकरे/बकरियां हैं।
विवेक बताते हैं, “अगर बकरियों का समय से टीकाकरण, उनके रहने का उचित प्रंबधन और आहार का सही से प्रबंधन किया जाए तो कोई भी किसान इस व्यवसाय से अच्छी कमाई कर सकता है।” विवेक आगे बताते हैं, “बरबरी एक ऐसी बकरी है, जिसे चराने का झंझट नहीं होता। इनको एक छत के नीचे पाला जा सकता है। इनकी दूसरी खूबी ये एक बार में तीन से पांच बच्चे देने की क्षमता रखती है।”
बकरियों के आहार प्रबंधन का रखें विशेष ध्यान-
ज्यादातर किसान बकरियों के आहार प्रंबधन पर ध्यान नहीं देते हैं। वह उन्हें चरा कर बांध देते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। बकरियों को चराने के बाद उन्हें उचित चारा देना चाहिए, जिससे उनके मांस और दूध में वृद्धि हो सके।
सबसे पहले बकरी का बच्चा पैदा होने के बाद उसे खीस (पहला दूध) जरूर पिलाएं। नवजात बच्चे को खीस पिलाने से कई रोगों का निदान हो जाता है। बच्चे का इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता है जिससे मृत्युदर में कमी आती है।
केंद्रीय बकरी अनुसंधान केंद्र (सीआईआरजी) के बकरी पोषण विभाग के वैज्ञानिक डॉ़ रवींद्र कुमार ने बताया, “तीन से पांच माह के बच्चों को चारे में दाने के साथ-साथ हरी पत्तियां खिलाएं। जो बच्चे स्लाटर ऐज (11 से 12 माह) के बीच होते हैं उनके चारे में 40 प्रतिशत दाना और 60 प्रतिशत सूखा चारा होना चाहिए। दूध देने वाली बकरी को दिन चारे के साथ 400 ग्राम अनाज देना चाहिए। ब्रीडिंग करने वाले वयस्क बकरों को प्रतिदिन सूखे चारे के साथ हरा चारा और 500 ग्राम अनाज देना चाहिए।”
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अगर आपको बकरियों के आहार प्रंबधन की और जानकारी चाहिए तो नीचे वीडियो देखें
बकरियों के दाने का यह है मानक
बकरियों के पोषण के लिए प्रतिदिन दाने के साथ सूखा चारा होना चाहिए। दाने में 57 प्रतिशत मक्का, 20 प्रतिशत मूंगफली की खली, 20 प्रतिशत चोकर, 2 प्रतिशत मिनरल मिक्चर, 1 प्रतिशत नमक होना चाहिए।
सूखे चारे में गेहूं का भूसा, सूखी पत्ती, धान का भूसा, उरद कर भूसा या अरहर का भूसा होना चाहिए। ठंड के मौसम में गन्ने का सीरा जरूर दें। इन सबको चारे में बकरियों को खिलाया जाएगा तो बकरी में मांस के साथ-साथ दूध में वृद्धि होगी और किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी।
वज़न करके ही बेचें बकरियां तो होगा लाभ
जानकारी के अभाव में ज्यादातर किसान बिना वजन किए बकरियों को बाजार में बेच देते है, जिससे किसानों को बकरे के उचित दाम नहीं मिल पाते हैं। इस तरह किसान को आर्थिक नुकसान भी होता है।
इसलिए बकरी का वजन करके और नौ महीने के बाद ही बाजार में बकरी को बेचना चाहिए क्योंकि बकरी के दाम उसके वजन पर निर्भर करते हैं। किसान को बकरी पालन में तभी दोगुना लाभ होगा, जब किसान बकरियों को घूमंतू व्यापरी या फिर स्थानीय व्यापारी को बेचने की बजाय सीधे बाजार में या बूचड़खाने में बेचे।
व्यापारी किसानों से कम दामों पर बकरी खरीद लेते हैं और दोगुने दामों में बाजारों में बेचते हैं, जिससे व्यापारियों को फायदा है। इसके लिए किसानों को जागरूक होना पड़ेगा।
बकरी पालन व्यवसाय के लिए सरकार भी ला रही योजना
उत्तर प्रदेश सरकार छोटे पशुपालकों के लिए एक योजना ला रही है, इस योजना में दस बकरी और एक बकरे को रखने का प्रावधान है।
गोरखपुर जिले के पिपराइच ब्लॉक के पशु चिकित्सक डॉ. विकास सिंह ने बताया, “छोटे पशुपालकों के लिए सरकार द्वारा बकरी पालन की नई योजना आने वाली है, यह योजना 65 हजार रुपए की है। इसमें पांच हजार रुपए लाभार्थी को देने होंगे और 60 हजार सरकार की तरफ अनुदान मिलेगा। इच्छुक लोग फार्म भर सकते हैं।”
अगर आप इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं तो अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय या फिर जिले के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी से भी संपर्क कर सकते हैं।
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यहां से ले सकते हैं प्रशिक्षण
मथुरा स्थित केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान एक साल में चार बार प्रशिक्षण देता है। इच्छुक व्यक्ति इस फॉर्म को वेबसाइट पर जाकर डाउनलोड कर सकते हैं। इसके अलावा जिले में कृषि विज्ञान केंद्र से भी प्रशिक्षण ले सकते हैं।
अगर आपको जानना है कि बकरी पालन की ट्रेनिंग के लिए क्या-क्या करे तो नीचे दिया वीडियाे देखें
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
- बकरियों का शेड इस तरह बनवाएं कि उनको शुद्व हवा मिल सके।
- शेड बनाते समय बकरियों के लिए साफ पानी की व्यवस्था करे।
- प्रतिदिन बाड़े की साफ-सफाई करें इससे बकरियों में बीमारियां नहीं होंगी।
- बाड़े को हमेशा ऊंचे स्थान पर बनवाएं ताकि बारिश का पानी अन्दर ना आ पाए।
- पानी निकलने के लिए उचित व्यवस्था रखें ताकि जब भी बकरी शेड की सफाई करें तो बकरियों का मल-मूत्र और पानी आराम से शेड से बाहर निकला जा सके।
- बकरी पालन में प्रयोग में लाये जाने वाले उपकरणों की सफाई किसी कीटाणुनाशक दवा का उपयोग करें। इस कीटाणुनाशक दवा की सलाह अपने पास के पशु चिकित्सक से जरूर लें।
- बकरियों को उनकी उम्र के हिसाब से अलग कर दें।
- बकरियों को पौष्टिक आहार दें उन्हें सड़ा गला और बासी खाना न दें।
- बकरियों को खरीदने से पहले किसी डॉक्टर से जरूर सलाह ले लें। कहीं वो किसी बीमारी से ग्रसित तो नहीं है क्योंकि बकरियों में कुछ ऐसी भी बीमारी होती है जिससे दूसरी बकरियां भी मर सकती हैं।
- बीमारियों से बचाने के लिए समय-समय पर अपने पास के पशु चिकित्सालय में टीकाकरण जरूर करा लें। यह टीके नि:शुल्क लगाए जाते हैं।
- अगर कोई बकरी किसी बीमारी से मर गई है तो उसको जला दें या फिर गहरा गड्ढा खोदकर से दबा दें।