सीतापुर। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के गौलोक कोड़र गाँव में गलाघोंटू से तीन दिन में 20 भैंसों की मौत हो चुकी है। ग्रामीणों का कहना हैं कि गाँव में गलाघोंटू के बचाव के लिए टीकाकरण नहीं किया गया है।
बारिश के मौसम में गाय और भैंसों में कई तरह की बीमारियां होने का खतरा बना रहता है, जिसमे से सबसे खतरनाक और जानलेवा संक्रामक रोग है गलाघोंटू। समय रहते अगर इसका इलाज न कराया तो पशु की मौत भी हो जाती है।
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गौलोक कोंड़र के मजरे रेतीपुरवा में रहने वाले किशोरी लाल ने बताया, “मेरी भैंस अचानक से बीमार पड़ी और जब तक उसका इलाज किया तब तक उसकी मौत हो गई।” वही इसी गाँव के रघुनाथ ने बताया, “हमारी भैस ने अचानक से चारा खाना बंद कर दिया,उसके बाद में मुह से झाग आने लगा।वही आधे घण्टे के बाद उसकी मौत हो गई।”
ग्रामीणों का आरोप है कि पशुओं को समय से टीकाकरण न किये जाने से जानवरों की मौते हो रही हैं। वहीं सीतापुर जिले के मुख्यपशुचिकित्सा अधिकारी रविन्द्र कुमार यादव बताते हैं, “टीकाकरण शत प्रतिशत हो रहा है।कोई भी गाँव टीकाकरण से वंचित नही है। कोई किसान कह रहा है तो झूठ कह रहा है।हम किसी के कहने से नही हम नही मान लेंगे की मवेशियों की मौत हो गई।”
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गलाघोंटू से ग्रसित पशु के लक्षण
- अचानक तेज बुखार आता है( 104-107 डिग्री f ) आंखें लाल हो जाती हैं और जानवर कांपने लगता है पशु का खाना पीना बंद हो जाता है
- अचानक दूध घट जाता है
- जबड़ों और गले के नीचे सूजन आ जाती है सांस लेने में कठिनाई होती है और घुर्र -घुर की आवाज आती है
- जीभ सूज जाती है और बाहर निकल आती है लगातार लार टपकती रहती है
सावधानिया
- अगर किसी पशु को ये बीमारी हो गयी हो तो उसको अन्य जानवरों से अलग बंधे ।
- पशु आहार चारा पानी आदि को रोगी पशु से दूर रखें।
- रोगी पशु को बाल्टी में पानी पिलाने के बाद बाल्टी अच्छी तरीके से धो लें उसके बाद ही अन्य पशु को उस बाल्टी में पानी पिलाएं।