करनाल (हरियाणा)। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा काढ़ा तैयार किया है, जिसकी मदद से पशुओं में होने प्रजनन संबंधी समस्याओं से तो छुटकारा मिलेगा साथ ही दूध उत्पादन भी बढ़ेगा।
देश के दुधारू पशुओ में प्रजनन की समस्याएं, भारत के पशुधन विकास में सबसे बड़ी बाधा हैं, जिसके कारण प्रति पशु उत्पादन क्षमता कम हो गई है। इस समस्या को खत्म करने के लिए यह काढ़ा काफी मददगार साबित होगा।
करनाल जिले में स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अरुण कुमार मिश्रा ने बताया, “पशुओं में जो प्रजनन संबंधी समस्याए जैसे समय पर हीट में न आना, जेर का रुकना, गर्भपात इन सभी समस्याओं को देखते हुए इस काढ़े को तैयार किया गया है। हमारे संस्थान के फार्म में और किसानों को भी इस काढ़े को इस्तेमाल किया गया है इसके काफी सकारात्मक प्रभाव देखे गए है।”
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इस काढ़े को पिलाने के फायदे के बारे में डॉ अरुण बताते हैं, “जब पशु ग्याभिन होता है तो उसके ब्याने के तीन हफ्ते पहले और बाद का जो समय होता है वो काफी अहम होता है। क्योंकि उस समय पशु के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। पेट में बच्चा होने से वो ज्यादा मात्रा में खाता नहीं है। ऐसे में यह काढ़ा संतुलित आहार का पूरा काम करता है। क्योंकि यह काढ़ा पूरी से सुपाच्य और पाचक होता है।
एनडीआरआई द्वारा बनाए गए इस काढ़े में कोई भी खर्च नहीं है किसान बहुत ही आसानी से इसको घर में बैठकर बना सकता है। इस काढ़े से पशु के ब्याने के बाद जो जेर रुकने की समस्या आती है वो भी कम होती है। पशु के ब्याने के छह से आठ घंटे में गिर जाना चाहिए लेकिन कई बार यह नहीं गिरती है।
कभी-कभी जेर का कुछ भाग टूटकर अंदर रह जाता है और पशुपालक समझ नहीं पाते है ऐसे में किसान को काफी आर्थिक नुकसान होता है। अगर पशुओं के ग्याभिन होने से पहले ही उन्हें इस काढ़े का सेवन कराया जाए तो यह समस्या काफी हद तक नहीं होती है।
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इस काढ़े की विधि के बारे में डॉ मिश्रा ने गाँव कनेक्शन को बताया, ” 25 ग्राम मेथी, सोया, सोंठ और काला नमक लेकर पानी में उबाल लें। तीखा होने से पशु उसे चाव से नहीं खाएगा तो उसमें गुड़ या शीरा मिलाकर उसको 5-10 मिनट उबाल लें। वह पेस्ट की तरह तैयार हो जाएगा। इस पेस्ट को ठंडा करके पशुओं को दाने में मिलाकर खिला दें। प्रतिदिन 10 दिन तक पशु को यह पेस्ट खिलाए इससे पशुओं की प्रजनन संबंधी कई समस्या हल होगी।
वह आगे कहते हैं, “इससे खिलाने से पशुओं को काफी ऊर्जा भी मिलती है। इसके सेवन से पशु के ब्याने के बाद 60 से 75 दिन के अंदर फिर उसमें हीट के लक्षण दिखने लगते है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसके प्रयोग से किसानों को काफी फायदा हुआ है।”