पोल्ट्री बिजनेस पर महंगाई की मार, चूजा और दाना महंगा होने से कारोबारी परेशान

Indian poultry sector

एक तरफ सरकार देश में मुर्गी पालन बढ़ाने का प्रयास कर रही है तो वहीं दूसरी ओर मुर्गी पालन की लागत में लगातार बढ़ोतरी भी हो रही है। यही कारण है कि इस साल अंडे की कीमतें लगातार बढ़ रही है, लेकिन मुर्गी पालकों को मुनाफा नहीं हो रहा है।।

पोल्‍ट्री इंडस्‍ट्री में लागत बढ़ने से मुनाफे में कमी आई है। पिछले कुछ महीने में ब्रायलर चिक (चूजा) के दाम दोगुने होने और तैयार फीड में 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में कुल लागत में भी 25 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है। इससे बड़े करोबारी तो नहीं लेकिन छोटे व्यापारियों को नुकसान हो रहा है। आमतौर पर जून-जुलाई (गर्मियों के कारण) में बनने वाले ये हालात अब ठंड में बने दिख रहे हैं।

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बिहार के हाजीपुर बिहरा स्थित सुनील सिंह हेचरी प्राइवेट इंडिया लिमिटेड के निदेशक रजनीश सिंह कहते हैं “चारे का कंपोजीशन महंगा हो गया है। सोयाबीन महंगा मिल रहा है। इसका असर चूजे से लेकर अंडे पर पड़ रहा है। हमें चूजा ही महंगा मिल रहा है। जो चूजा पिछले साल इसम 25 से 30 रुपए था वो इस समय 50 रुपए से ज्यादा महंगा हो गया है।” जहां पिछले साल फरवरी में चिक सीड के दाम 22 से 27 रुपए के बीच थे लेकिन, मौजूदा समय में यह 50 से 60 रुपए के बीच बिक रहा है। यही नहीं कई प्रदेशों में चिक के दाम 70 रुपए से ज्यादा तक पहुंच चुके हैं। जबकि पिछले दस समय इन चूजों की कीमत 27 से 30 रुपए के बीच थी।

इसके लिए पोल्‍ट्री सीड (चूजा) बनाने वाली कंपनियां उत्‍पादन कम होने का हवाला दे रहीं हैं। हालांकि, उत्‍पादन कम क्‍यों हो रहा है इसके पीछे कोई वाजिब कारण नहीं हैं। इस बारे में लखनऊ गोसाईगंज में एक बॉयलर फार्मिंग के संचालक कुलदीप कश्यप ने बताया, “बढ़ती महंगाई के कारण प्राइवेट मुर्गी पालक (बिना सरकारी मदद के) तो कंगाली के कगार पर पहुंच चुके हैं। चूजे के दाम पिछले साल की अपेक्षा दोगुने हो गए हैं। चूजा इस समय 52 से 54 रुपए में मिल रहा, जबिक तैयार मुर्गे की कीमत 60 से 70 रुपए की बीच है। ऐसे में हमें कहां फायदा होने वाला है।” कुलदीप आगे बताते हैं ” गर्मी में चूजे का दाम 40 रुपए प्रति नग था। जबिक पिछले साल इसकी कीमत 18 से 24 रुपए था, जोकि इस समय 52 से 54 रुपए तक पहुंच चुका है।”

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विश्व अंडा दिवस समारोह 2016 में केन्द्रीय कृषि एवं किसान मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा था “हमारे देश में देश में अंडे का उत्पादन 83 अरब के करीब है। उन्होंने कहा कि अंडे उत्पादन तीन गुना बढ़ाने के लिए कई कदम एक साथ उठाने होंगे ताकि देश के बच्चों के स्वास्थ्य और पोल्ट्री किसान दोनों को फायदा हो। उन्होंने कहा कि भारत सरकार राष्ट्रीय पशुधन मिशन के माध्यम से मुर्गी पालन को बढ़ावा दे रही है। ग्रामीण इलाके मे घरों के पीछे बीपीएल परिवारों को मुर्गी पालन के लिए आर्थिक मदद दी जा रही है।”

सरकारें मुर्गी पालन के लिए तमाम योजनाएं चला रही है। जिसके तहत किसानों को मदद भी दी जा रही है। बावजूद इसके बढ़ती महंगाई के कारण मुर्गी पालन में फायदा घटता जा रहा है।

पिछले साल देश में मक्‍का और सोयबीन का कम उत्‍पादन हुआ था लिहाजा दोनों ही चीजें बाहर से आयात करनी पड़ी थीं। लेकिन, पोल्‍ट्री फीड के लिए अहम दोनों चीजों का उत्‍पादन इस साल बंपर हुआ है। बावजूद इसके तैयार पोल्‍ट्री फीड के दामों में तेजी आई है। मौजूदा समय में मक्‍का 1300 से 1400 रुपए प्रति क्विंटल और सोयबीन 2500 से 3000 रुपए प्रति क्विंटल बिक रही है (http://agmarknet.gov.in के अनुसार)। लेकिन, पोल्‍ट्री फीड 20 से 30 फीसदी महंगा हो गया है। प्रमुख कंपनियों ने अपने विभिन्‍न स्‍तर(स्‍टार्टर, ग्रोअर और फिनिशर) के फीड में यह बढ़ोतरी की है।

दयाल पोल्‍ट्री फूड, नोएडा के एमडी रमेश मलिक ने बताया, “जरूरी दवाएं व अन्‍य प्रोडक्‍ट के दामों में तेजी के कारण पोल्ट्री पालन महंगा होता जा रहा है। कैल्शियम के दाम भी बढ़े हैं। इस कारण ये क्षेत्र में महंगाई बढ़ती जा रही है। इसके अलावा सरकार पोल्ट्री उद्योग को बढ़ावा दे रही है। ऐसे में उसमें उपयोग में आनी वाली वस्तुओं की मांग बढ़ने के कारण भी महंगाई आ रही है।”

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उत्‍तर भारत में हरियाणा राज्‍य पोल्‍ट्री इंडस्‍ट्री में अच्‍छी–खासी हिस्‍सेदारी रखता है। हरियाणा पोल्‍ट्री एंड लेयर फार्म एसोसिएशन के अध्‍यक्ष भूपेंद्र सिंह ने बताया “यहां लगभग 20 से 25 फीसदी छोटे किसानों ने अप्रैल में ही सीड नहीं डाला। इसका कारण चूजे के दाम बढ़ने और तैयार फीड महंगा होना है। गर्मियों में मांग कम रहती थी तो प्रोडक्‍शन पर असर पड़ता था। लेकिन चूजे के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। फीड भी महंगा होता जा रहा है। ऐसे में उद्योग में फायदा कम होता जा रहा है।”

पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी अधिकारी डॉ ऐके शर्मा कहते है “हम तो मुर्गी पालन को बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। सरकार को फीड के दामों पर लगाम लगानी चाहिए। इसीलिए अंडे और चूजे के दाम बढ़ रहे हैं। किसानों का फायदा घटता जा रहा है। बाजार में चिकन 60 से 65 रुपए में बिक रहा है। चूजे को चिकन बनाने की लागत बढ़ती जा रही है।”

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चौधरी पोल्ट्री फार्म सिरसा के संचालक अनुज शर्मा कहते हैं “मैं तो बिना सरकार मदद के मुर्गी पालन करता हूं। फीड और चूजे के दामों ने हमारा कारोबार मंदा कर दिया है। ऐसे में हम तो ये करोबार ही बंद करने की सोच रहे हैं। मुनाफा घटता जा रहा है।” वहीं हरियाणा पोल्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष दर्शन सिंगला कहते हैं “इस स्माल स्केल इंडस्ट्री के लिए कोई स्पेशल पैकेज तो दिया नहीं गया, अब मक्की और बाजरा के रेट्स भी ज्यादा हो गए हैं। सरकार को कुछ ठोस और कारगर कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि इस उद्योग की परेशानी खत्म हों।”

सरकार पोल्ट्री उद्योग को बढ़ाने के लिए भले ही प्रयास कर रही हो लेकिन जमीनी स्तर पर इसके लिए बेहतर प्रयास नहीं किए तो अन्य छोटे उद्योगों की तरह इसका भी हाल होगा।

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