जैविक मछलियां… थोड़ा अटपटा लग रहा है ना.. लेकिन ये सोलह आने सच ख़बर है.. समुद्री जीवों के खाने के शौकीन लोग जैविक उत्पाद खा सकेंगे..
अब भारत के लोग न सिर्फ जैविक सी फूड यानि मछलियां और झींके समेत दूसरे समुद्री उत्पाद खा सकेंगे बल्कि दुनिया को निर्यात भी करेंगे। क्योंकि विश्व के बाजार में ऐसे प्रोडक्ट की मांग बढ़ी है, जिसमें एंटी बायोटिक, और रसायनों का इस्तेमाल न किया गया हो। इनकी सबसे ज्यादा मांग अमेरिकी और यूरोपीय बाजार में है। इसी को देखते हुए समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण ने जैविक मछली पालन के लिए भारत आर्गेनिक एक्वालकल्चर परियोजना शुरू किया है।
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समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण यानि एमपीईडीए के अध्यक्ष ए. जयतिलक ने बताया ” स्विटजरलैँड के स्विस आयात संवर्धन के समर्थन से प्रमाणित जैविक मछली पालन की शुरूआत की गई है। जिसमें जैविक मछली और झींगा पालन किया जा रहा है।”
उन्होंने बताया कि यूरोपीय संघ ने साल 2009 में ही अपने सदस्य देशों के लिए इस बात पर जारी कर लिया है कि उनके देश में अब जैविक खाद्य पदार्थ खासकर समु्द्री उत्पाद आयातित होंगे। यूरोपीय संघ खराब गुणवत्ता का हवाला देकर भारत की झींगा मछली पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। जिसको देखते हुए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) भारत में आर्गेनिक एक्वाकल्चर उत्पादों के लिए राष्ट्रीय मानक विकसित करने के लिए काम कर रहा है।
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वर्ष 2017 में भारत ने बड़े स्तर पर समुद्री उत्पादों का निर्यात अमेरिका और यूरोपीय देशों में किया था लेकिन अमेरिका ने भारतीय समु्द्री खाद्य उत्पादों पर अगले पांच साल के लिए जहां एंटी डंपिंग शुल्क लगा दिया है वहीं यूरोपीय देशों ने मत्स्य उत्पादों की जांच के लिए कड़े कानून बना दिए हैं। ऐसे में देश के समुद्री उत्पाद के निर्यात के सामने चुनौती आ गई है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल देश से 5 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का मछली का निर्यात किया गया। मछली उत्पादन के क्षेत्र में विश्व में भारत का दूसरा स्थान है। भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा एक्वाकल्चर यानी जल से लाभान्वित होने वाला देश है। भारत में मछुआरों की संख्या 145 लाख है और यहां तटीय लंबाई 8,118 किलोमीटर है। इसे देखते हुए भारत विश्व में मछली पालन के क्षेत्र में प्रमुख पक्ष बन सकता है। भारत में मछली पकड़ने की 2 लाख नौकाएं हैं।
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भारत सरकार ने सरकार ने पिछले बजट सत्र में नीली क्रांति के तहत मछली पालन की नई स्कीम की घोषणा की है। विश्व में हालांकि प्रति मछली वार्षिक आदमनी खपत 18 किलोग्राम है जबकि भारत में यह महज आठ किलोग्राम है। वर्तमान में भारत 9580000 मिट्रिक टन मछली उत्पादन करता है, जिसमें से 64 प्रतिशत देश के भीतर और 36 प्रतिशत समुद्री स्रोतों से किया जाता है।
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