कई बार किसान मछली पालन शुरू करना चाहते हैं, लेकिन जानकारी के आभाव में शुरू नहीं कर पाते और अगर करते भी हैं तो नुकसान उठाना पड़ जाता है, ऐसे मछली पालकों के लिए ‘मत्स्य सेतू’ ऐप बड़े काम का साबित हो सकता है।
केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने बुधवार मत्स्य सेतू ऐप को लॉन्च किया। ऐप को भाकृअनुप-केंद्रीय मीठाजल जीवपालन अनुसंधान संस्थान, भुवनेश्वर ने राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी), हैदराबाद की मदद से विकसित किया है।
केंद्रीय मीठाजल जीवपालन अनुसंधान संस्थान, भुवनेश्वर के निदेशक डॉ. सरोज कुमार स्वाईं ऐप की खूबियों के बारे में बताते हैं, “इस कोविड के समय में न हम किसानों तक पहुंच पा रहे हैं और न ही किसान हम तक पहुंच पा रहे हैं। तो हमने सोचा कि कुछ ऐसा करें जिससे किसानों को घर बैठे मछली पालन के क्षेत्र में जानकारी मिल सके। हमारा नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड (एनएफडीबी) को एक प्रोजेक्ट चल रहा है, इस प्रोजेक्ट में यह प्रावधान था कि हम वर्चुअली कितने किसानों को ट्रेनिंग दे सकते हैं। कैसे हम उन तक नई जानकारी पहुंचा पाए”
वो आगे कहते हैं, “हम अभी तक वर्चुअल ट्रेनिंग तो कर रहे हैं, लेकिन इसमें एक लिमिट होती है, एक बार में 50 या फिर 100 से ज्यादा लोग भाग नहीं ले सकते हैं। तब हमने सोचा कि कोई ऐप विकसित की जाए, जिससे हम किसानों को घर बैठे जानकारी दे सकें। इसलिए हमने मत्स्य सेतू ऐप विकसित किया।”
मत्स्य सेतू में किस तरह की जानकारी किसानों को मिलती है, इसपर डॉ सरोज कहते हैं, “मत्स्य सेतू ऐप में मछली पालन के सभी विषयों के बारे में जानकारी है, जैसे कि कॉर्प कल्चर, प्रॉन कल्चर, सजावटी मछली यानी ऑर्नामेंट कल्चर, मोती पालन के साथ ही कैसे मछलियों के लिए दाना बना सकते हैं। भारत के सबसे बेहतरीन एक्वाकल्चर एक्सपर्ट सिफा में ही हैं, तो हमने उन एक्सपर्ट को लेकर उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग की और इसके साथ हमने ऐप में प्रैक्टिकल करके भी दिखाया है, जैसे कि मोती पालन के बारे में कोई वैज्ञानिक बता रहे हैं कि कैसे शुरू करना चाहिए, कैसा तालाब होना चाहिए। तो वो प्रैक्टिकली भी कर के दिखाते हैं।”
केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने मत्स्य सेतू ऐप को लॉन्च के दौरान कहा कि मछली कृषकों की क्षमता निर्माण देश में प्रौद्योगिकी के नेतृत्व वाले जलकृषि विकास का अगुवाई करने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। कोविड -19 महामारी के कारण, हमारे मछली किसान अपने ज्ञान और कौशल को अद्यतन करने के लिए अनुसंधान संस्थानों में शारीरिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो सके। इस समय, इस ऑनलाइन पाठ्यक्रम ऐप का शुभारंभ समय की मांग है।”
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, “यह ऐप किसानों को उनकी सुविधानुसार प्रौद्योगिकियों और बेहतर प्रबंधन पद्धति में प्रगति सीखने में निश्चित रूप से मददगार साबित होगा। उन्नत तकनीकों को सीखना निश्चित रूप से मछली पालन में वैज्ञानिक तरीकों को अपनाने को प्रभावित करेगा; इससे उत्पादकता में वृद्धि होगी, और आय में सुधार होगा। यह ऐप देश भर में हितधारकों, विशेष रूप से मछुआरों, मछली किसानों, युवाओं और उद्यमियों के बीच विभिन्न योजनाओं पर नवीनतम जानकारी का प्रसार करने, उनकी सहायता करने और व्यापार करने में आसानी की सुविधा के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण भी हो सकता है।”
किसानों को दिया जाएगा सर्टिफिकेट
और इसमें एक और खासियत है, अगर कोई किसान एक विषय पर सारे लेक्चर देखता है, जैसे कॉर्प कल्चर पर पांच वीडियो हैं और आपने सारे वीडियो देखें हैं तो उसके बाद अगर क्वीज में शामिल होते हैं और 60% तक नंबर मिलते हैं तो किसान को एक सर्टिफिकेट भी उनके नाम पर मिलेगा। किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए इसे किया जा रहा है।
जल्द ही दूसरी भाषाओं में आएंगे लेक्चर
सभी लेक्चर के वीडियो हैं, जबकि प्रैक्टिकल में अभी कुछ वीडियो हैं और कुछ टेक्स्ट फार्मेट में हैं। अभी ज्यादातर वीडियो हिंदी और इंग्लिश में हैं, आने वाले समय में उड़िया, बंगाली, मराठी जैसी भाषाओं में लेक्चर के वीडियो बनाए जाएंगे।
किसान ऐप के जरिए पूछ सकते हैं सवाल
क्योंकि अलग-अलग राज्यों में मछली पालन अलग तरीके से की जाती है, जैसे कि हिमाचल का जो मछली पालक है वो चेन्नई के मछली पालक से तुलना नहीं कर सकता है, क्योंकि हर जगह पर अलग-अलग वातावरण होता है। इसलिए किसानों से हम सुझाव भी मांग रहे हैं, कि किसान को क्या जानकारी चाहिए, इसके जरिए किसान सवाल भी पूछ सकते हैं, जिसके जवाब एक्सपर्ट देंगे।