कुनौरा(लखनऊ)। बरसीम, मक्का, ज्वार जैसी फसलों से तीन-चार महीनों तक ही हरा चारा मिलता है। ऐसे में पशुपालकों को एक बार नेपियर घास लगाने पर चार-पांच साल तक हरा चारा मिल सकता है। इसमें ज्यादा सिंचाई की जरूरत भी नहीं पड़ती है।
गन्ने की तरह दिखने वाली नेपियर घास लगाने के महज 50-55 दिनों में विकसित होकर अगले चार से पांच साल तक लगातार दुधारू पशुओं के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत को पूरा कर सकती है।
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कृषि विज्ञान केंद्र सीतापुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ. दया श्रीवास्तव बताते हैं, “इसे बड़े आराम से खेत के मेड़ों पर लगा सकते हैं, एक बार लगाने पर कई साल तक हरा चारा मिलता रहता है। इसकी पहली कटाई 50-55 दिनों में होती है, उसके बाद 20-25 दिनों में लगातार कटाई कर सकते हैं। ये फैलता रहता है अगर एक किसान एक बार इसे लगा ले तो कई किसान लगा सकते हैं। इसकी खास बात होती है इसे किसान मेड़ पर और किसी भी मिट्टी में लगा सकता है ये लगातार बढ़ती रहती है।” दुधारू पशुओं को लगातार यह घास खिलाने से दूध उत्पादन में भी वृद्धि होती है और साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
हाइब्रिड नेपियर की जड़ को तीन-तीन फीट की दूरी पर रोपित किया जाता है। इससे पहले खेत की जुताई और समतलीकरण करने के बाद घास की रोपायी की जाती है और रोपाई के बाद सिंचाई की जाती है। घास रोपण के मात्र 50-55 दिनों बाद यह हरे चारे के रूप में विकसित हो जाती है।
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एक बार घास के विकसित होने के बाद चार से पांच साल तक इसकी कटाई की जा सकती है और पशुओं के आहार के रूप में प्रयोग की जा सकती है। नेपियर घास का उत्पादन प्रति एकड़ लगभग 300 से 400 कुंतल होता है। इस घास की खासियत यह होती है कि इसे कहीं भी लगाया जा सकता है।
एक बार घास की कटाई करने के बाद ये फिर से बढ़ जाती है और 40 दिन में वह दोबारा पशुओं के खिलाने लायक हो जाती है। प्रत्येक कटाई के बाद घास की जड़ों के आसपास हल्का यूरिया का छिड़काव करने से इसमें तेजी से बढ़ोतरी भी होती है। वैसे इसके बेहतर उत्पादन के लिए गोबर की खाद का छिड़काव भी किया जाना चाहिए।