कम पशुओं की डेयरी है आसान और फायेदमंद, जानिए कैसे

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लखनऊ। डेयरी व्यवसाय को शुरू करने से पहले पशुपालक यही सोचते हैं कि ज्यादा पशु होंगे तो ज्यादा दूध उत्पादन होगा। लेकिन आपको बता दें डेयरी मे पशुओं का उचित प्रंबधन, दूध प्रसंस्करण और अच्छी तरह मार्केटिंग करके कम पशुओं सें भी ज्यादा उत्पादन किया जा सकता है।

“डेयरी शुरू करने से पहले किसान को दूध की मार्केटिंग की योजना बनानी चाहिए। क्योंकि दूध बिकेगा तभी किसान को फायदा होगा। मेरठ में कई ऐसे किसान है जो दूध उत्पादन के साथ उसकी पैकेजिंग करके अपने ब्रांड से बाजार में अच्छे दामों में बेच रहे है।” ऐसा बताते हैं, मेरठ स्थित केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बताया।

डॉ राजेंद्र का मानना हैं कि अगर डेयरी किसानों के पास तकनीकी ज्ञान है तो इस व्यवसाय से अच्छा मुनाफा कमा सकते है। “अगर किसान पशुओं के खाने-पीने और साफ-सफाई का ध्यान रखें तो 70 प्रतिशत पशुओं को बीमारी से बचाया जा सकता है। अभी भी छोटे पशुपालक जागरूक नहीं है इसलिए हम लोग समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षित भी करते है।” डॉ प्रसाद ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया।

पिछले 20 वर्षों से भारत विश्व में सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन करने वाला देश बना हुआ है। डेयरी व्यवसाय छेटे व बड़े स्तर दोनों पर सबसे ज्यादा विस्तार में फैला हुआ व्यवसाय है। इससे करीब सात करोड़ ऐसे ग्रामीण किसान परिवार डेयरी से जुड़े हुए हैं। दूध उत्पादन व्यवसाय व्‍यावसायिक या छोटे स्तर पर दूध उत्पादन किसानों की कुल दूध उत्पादन में मदद करता है और उसकी आर्थिक वृद्धि को बढ़ाता है।

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गोरखपुर जिले के रायगंज गाँव में रहने वाले पन्नेलाल यादव ने दो वर्ष पहले दो दुधारू पशुओं से अपने डेयरी की शुरूआत की थी लेकिन आज उनके पास आठ भैंसे है, जिनसे करीब 50 से 60 लीटर दूध का उत्पादन होता है। पन्नेलाल बताते हैं, “जितना दूध होता है उसको खुद शहर में बेचने जाते है। अगर बिचौलियों को देंगे तो लागत भी नहीं निकल पाएगी।”

पन्नेलाल अपने पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए समय से टीकाकरण, हर तीन महीने में पेट के कीड़े की दवा और पशुओं के बाड़े में साफ-सफाई का खासा ध्यान रखते है। “जब पशुओं को दूध दोहते है तो उनके थनों को और अपने हाथों को अच्छी तरह साफ करते है ताकि थनैला न हो। इसके अलावा पशुओं को संतुलित आहार देते है ताकि दूध की गुणवत्ता अच्छी रहे।” पन्नेलाल यादव ने बताया।


डेयरी किसानों के लिए सरकार भी कई योजनाएं चला रही है। डेयरी फार्म को बनाने से लेकर दूध निकालने और रखने के उन्नत उपकरण तक हर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मोदी सरकार ने डेयरी उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस) शुरू की है। इस योजना के तहत डेयरी किसानों को सब्सिडी दी जाती है। इस योजना के तहत किसान दो पशुओं से भी डेयरी शुरू कर सकता है।

अगर आप 2 दुधारू पशु वाली डेयरी यूनिट शुरू करते हैं तो आपके प्रोजेक्ट की लागत लगभग 1.40 लाख रुपये होगी। इसमें आपको 35 हजार रुपये तक की सब्सिडी मिल सकती है। अगर आप एससी/एसटी श्रेणी में आते हैं तो आपको दो पशु वाली डेयरी पर 46,600 रुपये की सब्सिडी मिल सकती है। इसके लिए आप अपने जिले के नाबार्ड के नोडल अधिकारी या जिला मुख्यपशुचिकित्साधिकारी से भी संपर्क कर सकते है।

राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के डेयरी प्रोजेक्ट ऑफिसर डी.के अरोरा कई वर्षों से डेयरी शुरू करने के लिए किसानों को प्रशिक्षण दे रहे है। अरोरा बताते हैं, ”संस्थान में समय-समय पर किसानों को डेयरी फार्म शुरु करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें कोई भी किसान हिस्सा ले सकते है। यह प्रशिक्षण छह दिन का होता है । अभी तक कई राज्यों से किसान प्रशिक्षण लेकर छोटे एवं बड़े स्तर पर डेयरी का व्यवसाय शुरु कर चुके है।”

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अपनी बात को जारी रखते हुए डीके अरोरा बताते हैं, ”कम पशुओं से डेयरी को शुरू करना चाहिए। अगर किसान शुरू में कम पशु पालता है तो उसको पता चल जाता है कि एक पशु पर कितनी लागत लग रही है कितना उससे मुनाफा हो पा रहा है। आगे वो पशुओं की संख्या को बढ़ा सकता है। इसके साथ पशुओं में एआई (कृत्रिम गर्भाधान) का ज्यादा ध्यान रखना चाहिए क्योंकि अगर गाय-भैंस का एक मदच्रक छूट जाए तो डेयरी व्यवसाय में काफी नुकसान होता है इसलिए सही समय पर और अच्छी नस्ल का सीमन का प्रयोग करना चाहिए।”

उत्तर प्रदेश सरकार जल्द ला रही दो पशु की डेयरी

दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय डेयरी परियोजना शुरू करने जा रही है। उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ अरविंद सिंह बताते हैं, ” पहले छह पशुओं की योजना सरकार ला रही थी लेकिन इसमें संशोधन किया गया है अब इस योजना में दो पशु (एक भैंस और एक पड़िया) को रखा गया है। जल्द ही इस योजना से छोटे किसानों को लाभ मिलेगा।”इस योजना का उद्देश्य छोटी-छोटी इकाईयों से दूध उत्पादन बढ़ाने के साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार के मौके उपलब्ध कराना है।

अगर डेयरी शुरू कर रहे तो यहां से खरीद पशु

अब आपको डेयरी के लिए गाय-भैंस खरीदने के लिए इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है। भारत सरकार द्धारा डेयरी फार्म के करोबार को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की मदद कर रही है। भारत सरकार ने ई- पशुहाट पोर्टल भी बनाया हैं, जिसमें आपको कई नस्लों की भैंसों या गायों की जानकारी मिल जाएगी। इतना ही नहीं आप चाहे तो इन्हें इस पोर्टल के जरिए खरीद और बेच भी सकते है। इस पोर्टल की लिंक है: https://epashuhaat.gov.in/

डेयरी व्यवसाय को शुरु करने के लिए ध्यान देने वाली बातें

  • पांच या छह पशुओं से आप अपने डेयरी व्यवसाय की शुरुआत कर सकते है।
  • इस व्यवसाय को शुरु करने से पहले प्रशिक्षण जरुर लें और अगर आपके आपके क्षेत्र में डेयरी फार्म हो तो उसका निरीक्षण जरूर करें।
  • चारागाह की समस्या हर जगह है इसलिए चारे के खर्च को कम करने के लिए डेयरी के पास की ही जमीन पर ही चारा उगाकर पशुओं को खिला सकते है। इसके साथ ही आप साइलेज भी तैयार कर सकते है।
  • व्यावसायिक डेयरी फार्म के लिए अच्छी गुणवत्ता और अच्छी संरचना वाले पशुओं का चुनाव बहुत जरुरी होता है।
  • डेयरी व्यवसाय में बछियों की देखभाल बहुत जरुरी है क्योंकि तीन साल बाद वो दूध देना शुरु कर देती है। अगर सही देखभाल होगी तो किसान को फायदा होगा।
  • इस क्षेत्र में इस बात का जरुर ध्यान रखें कि आपके फार्म में सप्ताह में एक बार पशुचिकित्सक को जरूर बुलाएं।
  • इससे अगर कोई पशु किसी बीमारी से ग्रसित होगा तो उसकी पहचान हो सकेगी और पशुपालक को घाटा होने से बचाया जा सकता है।

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