धनबाद। झारखंड के धनबाद में अंतरराज्यीय ग्रैंड ट्रंक रोड पर भटकने वाली गायों के भोजन की व्यवस्था करने के लिए एक अनोखा ‘वेजिटेबल पील बैंक’ स्थापित किया गया है।
धनबाद जिले के एक अधिकारी ने बताया कि मारवाड़ी युवा बिग्रेड नामक संगठन के कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर भटकती और गोशालाओं में रखी गई गायों के भोजन की व्यवस्था के लिए अपनी तरह का यह अनूठा कदम उठाया है।
उन्होंने बताया कि हर महीने अंतरराज्यीय सीमा से लगभग 125 से 150 गायों को बचाया जाता है। ब्रिगेड के सदस्य आवासीय सोसाइटियों और वहां स्थित घरों से हर सुबह सब्जियों के छिलके और बचा हुआ भोजन एकत्र करते हैं ताकि भटकने वाली गायों के भोजन की जरूरत को पूरा किया जा सके।
वेजिटेबल पील बैंक के संयोजक कृष्ण अग्रवाल ने बताया, “बिग्रेड के कार्यकर्ताओं ने कुछ चुनिंदा अपार्टमेंटों में प्रत्येक तल पर दो-दो डिब्बे रख दिए हैं। एक में सूखी खाद्य वस्तुएं रखी जाती हैं, जबकि दूसरे में बचा हुआ गीला भोजन रखा जाता है। रोज सुबह इसे एकत्र कर एक गाड़ी के माध्यम से गौशालाओं में भेज दिया जाता है। यह परियोजना शेखर शर्मा नामक एक व्यापारी के दिमाग की उपज है, जो आवासीय परिसर के 48 अपार्टमेंट के साथ तीन महीने पहले संपर्क में थे।“
यह गायें पोलीथीन खा कर और नाले का पानी पीकर अपना पेट भरती थीं। अब उन्हें ताजा और हरा भोजन रोज सुबह मिलता है। ब्रिगेड ने क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर इन गायों के लिए पानी के टब भी रखे हैं।
शेखर शर्मा, व्यापारी
शर्मा ने बताया, “यह गायें पोलीथीन खा कर और नाले का पानी पीकर अपना पेट भरती थीं। अब उन्हें ताजा और हरा भोजन रोज सुबह मिलता है। ब्रिगेड ने क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर इन गायों के लिए पानी के टब भी रखे हैं।“ उन्होंने बताया, “पिछले तीन महीने में आधा दर्जन आवासीय परिसरों के लोग इस कार्य में शामिल होने पर सहमत हो गए हैं।“
शर्मा ने बताया, “ब्रिगेड की योजना अगले कुछ महीनों में शहर के बैंक मोड़ इलाके में स्थित तीन बड़े और पॉश आवासीय परिसरों तक पहुंचने की है। इस परियोजना की सफलता का श्रेय क्षेत्र के सभी पशु प्रेमियों को जाता है, जिन्होंने स्वेच्छा से कंटेनर दान किए और अन्य तरीकों से सहयोग किया है।“ गौशाला तक खाना ले जाने में वाहन पर आने वाला खर्च ब्रिगेड के सदस्य वहन करते हैं।
इस मुहिम की सराहना करते हुए धनबाद के महापौर चंद्रशेखर अग्रवाल ने कहा, “ब्रिगेड अगर संपर्क करती है तो प्रशासन इस काम में उनकी मदद करने का इच्छुक है।“
(एजेंसी)