घोड़ा और गधा पालकों को फायदा पहुंचाने और उत्तर प्रदेश में अश्व अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय और ब्रुक इंडिया एक साथ आगे आए हैं।
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और ब्रुक इंडिया के इस समझौते से अश्व अनुसंधान व स्वास्थ्य अध्ययन, और छात्रों, कर्मचारियों प्रशिक्षण को बढ़ावा मिलेगा, जिससे उत्तर प्रदेश में कामकाजी अश्वों और उनके अश्व पालकों को लाभ होगा।
20वीं पशुगणना के अनुसार देश भर में घोड़ों, गधों और खच्चरों की आबादी में भारी कमी के बाद भी उत्तर प्रदेश में अभी भी देश की सबसे बड़ी अश्व आबादी है, जिससे काफी लोगों की रोजगार निर्भर है।
समझौता ज्ञापन पर डॉ आरके जोशी, डीन, पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान, एएनडीयूएटी विश्वविद्यालय और ब्रुक इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं राष्ट्रीय निर्देशक, (सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर जेएस धर्माधीरण द्वारा हस्ताक्षर किया गया। इस साझेदारी के माध्यम से, दोनों संगठन अपनी निहित तकनीकी कौशल का प्रयोग करते हुए बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए सहयोग करेंगे, जो राज्य में बेहतर अश्व कल्याण गतिविधियों को बढ़ावा देगा।
इस साझेदारी मे ब्रुक इंडिया एएनडीयूएटी विश्वविद्यालय को फील्ड डाटा और प्रयोगशाला नमूनों के संग्रह मे भी समर्थन करेगा। इसके अलावा, दोनों संस्थान संयुक्त ज्ञान विनिमय गतिविधियों एवं वेबिनार का संचालन भी करेगे, पारस्परिक रूप से लाभप्रद विकासात्मक परियोजना विकसित करने, स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों और कर्मचारियों के लिए कौशल वृद्धि के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए एक साथ काम करेंगे।
यह समझौता ज्ञापन दो प्रमुख संस्थानों के बीच एक दीर्घकालिक संबंध की शुरुआत है, जो राज्य में अश्व कल्याण केंद्रित मुद्दों को संबोधित करने के लिए नए उपकरण और तकनीक विकसित करेंगे। यह अनुमान है कि इस समझौते से अश्व पालक समुदाए के सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा ।
2019 के पशुधन जनगणना के अनुसार घोड़ों, गधों व खच्चरों की आबादी में भारी गिरावट के बावजूद, उत्तर प्रदेश में अभी भी देश की सबसे बड़ी अश्व आबादी है जिस पर काफी लोगो की रोज़ी रोटी निर्भर है।
लॉकडाउन के दौरान भी ब्रुक इंडिया घोड़ा, गधा और खच्चर मालिकों के लिए संचार के माध्यम काम के साबित हुए, देश के अलग-अलग राज्यों में एसएमएस और वीडियो कॉल के माध्यम से उन्हें जागरूक भी किया गया।
ईंट भट्ठों का अचानक बंद होना, काम का नुकसान,अति-व्यस्त प्रशासन,पुलिस की सख्त तैनाती, सार्वजनिक परिवहन के बंद होने पर अश्व पालक समाज काफी तनाव में आए गए। इसलिए ब्रुक इंडिया ने अश्व पालक समुदायों की सहायता और मनोवैज्ञानिक सलाह प्रदान करने की रणनीति बनाई। लॉकडाउन के चलते गाँव जाने पर रोक थी इसलिए ब्रुक इंडिया की टीम ने संचार तकनीककी सहायता ली।