मथुरा। “जिस तरह पशुपालक अब विदेशी नस्ल की गायों की जगह देसी गाय के पालन पर जोर दे रहे हैं उससे उम्मीद है कि आने वाले भविष्य में हर पशुपालक के यहां देसी गायें होंगी।” ऐसा कहना था केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह का।
रविवार को कृषि मंत्री मथुरा-वृन्दावन के बीच धौरेरा गांव में एक हजार एकड़ से भी अधिक भूमि पर बनी हासानन्द गोचर भूमि ट्रस्ट की गौशाला का भ्रमण करने आए थे। ट्रस्ट के सचिव सुनील कुमार शर्मा एवं प्रबंधक दिलीप कुमार यादव ने बताया, केंद्रीय मंत्री ने गौशाला में इसी वर्ष स्थापित किए गए गिर, थरपारकर, हरियाणा, सिंधी आदि देशी नस्लों के विशाल समूहों को देखा। उन्होंने उम्मीद जताई कि यदि दूसरी गौशालाएं एवं पशुपालक भी इसी प्रकार देसी नस्लों को बढ़ावा देने की दिशा में काम करें तो हर तरफ देसी गाएं दिखाई पड़ेंगी और गांव-शहर की सड़कों पर कचरा खाती हुई गायें नहीं दिखेगी।
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पशुपालकों में देसी गाय पालन का रूझान काफी बढ़ा है। कई राज्यों में किसान देसी नस्ल की गायों के दूध, गोबर और गोमूत्र से बने उत्पादों को बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। गौशाला के पदाधिकारियों के अनुसार केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि देशी गायें भारतीय अर्थ व्यवस्था को स्थायत्वि देने में बहुत बड़ा योगदान कर सकती हैं। कृषिमंत्री राधामोहन ने कहा, “जैविक खेती के माध्यम से देश के किसान न केवल अपनी आय आसानी से दोगुनी कर सकते हैं, बल्कि रासायनिक खादों के उपयोग से होने वाली तमाम समस्याओं से भी दूर रह सकते हैं। ऐसा करने पर उनकी भूमि पहले से ज्यादा उर्वर बन सकती है।” इस मौके पर उन्होंने किसानों एवं खेती के सुधार के लिए केंद्रीय सरकार द्वारा चलाई जा रहीं विभन्नि योजनाओं एवं कार्यक्रमों की जानकारी भी दी।