वीडियो में देखें कैसे इस किसान ने गिर गाय को बनाया मुनाफे का सौदा

गिर गाय को भारत की सबसे ज्यादा दुधारू गाय माना जाता है। इस गाय के शरीर का रंग सफेद, गहरे लाल या चॉकलेट भूरे रंग के धब्बे होते है। इनके कान लम्बे होते हैं और लटकते रहते हैं।
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फैजाबाद। ज्यादातर पशुपालक देसी गाय पालन को घाटे को सौदा मनाते है लेकिन पिछले चार वर्षो से राजेंद्र प्रसाद वर्मा देसी गाय (गिर) को पालकर अच्छा मुनाफा कमा रहे है। दूध ही नहीं बल्कि उससे बने उत्पादों को राजेंद्र ऑनलाइन और मॉल में बेच रहे है।

फैजाबाद से करीब 15 किलोमीटर दूर मकसूमगंज मगलची गाँव है जहां पर राजेंद्र की आधा एकड़ में डेयरी बनी हुई है। शुरू मे इस डेयरी में तीन ही गिर गाय थी लेकिन आज इस डेयरी में 17 गाय है। “खुद पालने के बाद हम दूसरों को भी यही सलाह देते है कि अगर डेयरी शुरू कर रहे है तो देसी गाय ही पालो। क्योंकि इनको पालने के कई फायदे जो और गायों में कम है।” राजेंद्र प्रसाद ने बताया, “अभी रोजाना 17 गायों से 30 से 40 लीटर दूध उत्पादन हो रहा है। इनके बचे हुए दूध को इधर-उधर न बेचकर रोजाना घी तैयार करते है, जिसमें खुद की ब्रांडिंग करके बेचते हैं।”

राजेंद्र गिर गाय के दूध के दूध के साथ-साथ घी, मट्ठा पनीर भी बेच रहे है। वो हर महीने 10 से 12 किलो घी बनाते है। गिर गाय को भारत की सबसे ज्यादा दुधारू गाय माना जाता है। इस गाय के शरीर का रंग सफेद, गहरे लाल या चॉकलेट भूरे रंग के धब्बे होते है। इनके कान लम्बे होते हैं और लटकते रहते हैं। इनके शरीर की त्वचा बहुत ही ढीली और लचीली होती है। सींग पीछे की ओर मुड़े रहते हैं। मादा गिर का औसत वजन 385 किलोग्राम और ऊंचाई 130 सेंटीमीटर होती है जबकि नर गिर का औसतन वजन 545 किलोग्राम तथा और 135 सेंटीमीटर होती है।


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“इनको इतने वर्षों से पाल रहे है लेकिन इनमें कोई बीमारी नहीं हुई है। बस थनैला न हो इसका ध्यान रखना पड़ता है और समय पर इनका टीकाकरण कराना होता है। बदलते मौसम का भी इन पर कोई असर नहीं पड़ता है।” गिर की खासियत के बारे में राजेंद्र ने गाँव कनेक्शन को बताया, “संकर और विदेशी नस्लों की गाय पांच ब्यांत के बाद बेकार हो जाती है, लेकिन गिर 20 से 21 ब्यांत के बाद भी दूध देती रहती है।”

गिर गाय का औसत दूध उत्पादन 2110 लीटर है। यह गाय प्रतिदिन 12 लीटर से अधिक दूध देती है। इसके दूध में 4.5 फीसदी वसा की मात्रा होती है | ब्राज़ील में 62 लीटर प्रतिदिन के हिसाब से इस गाय का दूध रिकॉर्ड किया गया है, जिसमें 52 प्रकार के पोषक तत्व शामिल हैं ।

गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र के कई जिलों में ये गाय आपको मिल सकती है। अपने अनुभव को साझा करते हुए राजेंद्र बताते हैं, “जब भी आप कोई देसी गिर या साहीवाल खरीदे तो देख ले कि वो असली नस्ल हो किसी का क्रॉस न लें और किसी जानकार व्यक्ति को जरुर ले जाये। गिर गाय लगभग 40 हजार से लेकर 70 हजार तक मिल जाती है। अच्छी दूध देने वाली गाय को लेकर आए ताकि मुनाफा हो और जो गाय ले रहे है अगर उसी नस्ल का अच्छा सांड मिल जाए तो जरूर लें। ”

सावधानियों के बारे में राजेंद्र बताते हैं, “इनमे थनैला न होने पाए इसका बहुत ध्यान देना होता है। इसलिए दूध दुहने के बाद आधा से एक घंटा गाय को बैठने न दे और दुहने के बाद थन जरूर धो लें। इनको बांधने की बजाय डेयरी में खुला छोड़ दे जिससे उनका दूध उत्पादन और उनका पाचन भी ठीक रहता है।”


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दूध के सही दाम न मिलना डेयरी व्यवसाय में समस्या

“पिछले दस वर्ष पहले जो दूध के दाम थे वो ही आज है। अगर किसानों को दूध के दाम सही मिल जाए तो किसान को असानी हो। इसके लिए सरकार को नकली दूध को रोक लगानी होगी।” राजेंद्र ने बताया, “अभी हम दूध को 40 रूपए में बेच रहे है जबकि इस दूध की कीमत किसान को 60 रूपए मिलनी चाहिए।” 

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