जींद (हरियाणा)। खेत हो, शहरों की सड़के हो या हाईवे इन सभी जगहों पर छुट्टा पशुओं के झुंड आपको देखने को मिल जाएंगे। देश के कई राज्य इनकी संख्या को निंयत्रित करने और इनको संरक्षित करने के लिए कई अभियान भी चलाये जा रहे हैं। लेकिन हरियाणा राज्य के जींद जिले के लोगों ने इस समस्या का हल खुद से निकाल लिया है।
छुट्टा पशुओं की समस्या को खत्म करने के लिए लोगों ने 3 करोड़ रुपए का चंदा जुटाकर शहर के बीचों-बीच स्थित पुरानी अनाज मंडी में नंदीशाला खोली है, जिसमें चार हजार से ज्यादा गोवंश (सांड, बैल, बछड़े, गाय) हैं। इस नंदीशाला में पशुओं के चारे-दाने से लेकर उनकी देखभाल का पूरा इंतजाम शहर के लोगों ने कर रखा है।
जिले के आम लोगों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रशासन की मदद से सड़कों से आवारा पशुओं को हटाकर नंदीशाला में लाने का अभियान चलाया गया। इस अभियान में शामिल सामजिक कार्यकर्ता सुनील वशिष्ठ ने गाँव कनेक्शन को बताया, “हमारे यहां सड़कों पर आवारा पशु इतने ज्यादा हो गए थे कि रोजाना एक-दो दुर्घटना हो जाती थी। इसकी शिकायत प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री से की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। कई बार आम लोगों ने जानवरों को पकड़कर सरकारी गोशाला में सौंपा लेकिन गौशला के लोग एक हफ्ते बाद उन्हें फिर से छोड़ देते थे।”
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अपनी बात को जारी रखते हुए वह आगे कहते हैं, “तमाम कोशिश के बाद भी असफलता मिली। फिर हम लोगों ने एक अभियान चलाया। इसके लिए हमने जिलाधिकारी, व्यापारी और शहरवासियों से मदद मांगी। लोगों ने खुलकर मदद भी की। जिस ज़मीन में नदीशाला को बनाया गया है वो प्रशासन ने दी है।”
पशुगणना 2012 के मुताबिक पूरे भारत में 52 लाख से भी अधिक छुट्टा जानवर हैं। हरियाणा राज्य में कितने आवारा पशु है इसका कोई अधिकारिक डाटा उपलब्ध नहीं है।
लोगों के सहयोग से 14 एकड़ में खुली इस नंदीशाला में गोवंश को रखने के लिए अलग-अलग शेड बनाए गए है। इस नंदीशाला में पशुओं की देखभाल कर रहे गौरव बताते हैं, “पशुओं को सुबह-शाम चारा-दाना दिया जाता है। काम करने के लिए 15 कर्मचारी भी लगे हुए है। गाय, बैल, बछड़ों को अलग-अलग रखा गया है। इसमें अभी 20 से 22 गायें ऐसी हैं जो दूध दे रही है।”
छुट्टा जानवरों की बढ़ती की संख्या को देखते हुए हरियाणा सरकार द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह कहा गया है कि 26 जनवरी 2019 तक राज्य को आवारा पशु मुक्त राज्य बनाया जाएगा लेकिन इस पर खासा काम नहीं हुआ। इसके बाद जींद जिले के लोगों ने सूझ-बूझ से इसका हल निकाला, जिससे लोगों को काफी राहत मिली है।
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जींद के बड़ौदा गाँव में रहने वाले किसान रोहताश चहल बताते हैं, “जब से शहर में नंदीशाला बना है तब से यहां की जनता और किसानों को बड़ी राहत मिली है। आवारा पशु पूरी की पूरी फसल चौपट कर देते थे और शहरों में इनकी वजह से दुर्घटनाएं बढ़ रही थी।”
गाँव कनेक्शन ने 19 राज्यों में विभिन्न मुद्दों पर एक सर्वे कराया था इस सर्वे में छुट्टा जानवरों की भी समस्या को शामिल किया गया था। इस सर्वे में हरियाणा राज्य के किसान छुट्टा जानवर से सबसे ज्यादा प्रभावित नजर आए थे।
घायल और बीमार पशुओं की अलग व्यवस्था
नंदीशाला में सड़कों पर घायल या बीमार पशुओं को रखने के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। सामजिक कार्यकर्ता सुनील वशिष्ठ बताते हैं, “अगर लाए गए पशु बीमार होते हैं तो उनका तुरंत इलाज किया जाता है। इसके लिए नंदीशाला में दवाओं का इंतजाम भी किया गया है। अगर पशु की हालत ज्यादा गंभीर होती है तो इलाज के लिए दूसरी गोशाला भेजा जाता है।”
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राज्य की पहली ऐसी गोशाला
सामजिक कार्यकर्ता सुनील वशिष्ठ के मुताबिक जनता के सहयोग से खुली यह राज्य की पहली गोशाला है। वह कहते हैं, “हरियाणा में कहीं भी ऐसी गोशाला नहीं खुली है। हालांकि अब कई शहरों में ऐसी ही दूसरी गोशालाएं खोलने का प्रयास चल रहा है।”
छुट्टा जानवरों की समस्या अभी भी गंभीर
“जींद से जो सटे हुए इलाके है उसमें अभी ऐसी नंदीशाला या गोशाला नहीं बनी हुई है लोग रातों-रात शहर में आवारा पशुओं को छोड़ देते है इसलिए बार-बार अभियान चलाना पड़ता है।” सुनील वशिष्ठ ने गाँव कनेक्शन को बताया।