धौलपुर (राजस्थान)। पिछले चार वर्ष पहले विवेक सिंह (35 वर्ष) ने 60 बकरियों से अपने फार्म को शुरू किया था। आज उनके फार्म में तीन नस्ल की करीब 300 बकरियां हैं, जिनसे वह सलाना लाखों रुपए की कमाई कर रहे है। इस फार्म को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते है।
आगरा और जयपुर के बार्डर पर स्थित धौलपुर जिले के राजखेड़ा ब्लॉक में लगभग आठ एकड़ में बकरी फार्म बना हुआ है। फार्म के बारे में विवेक बताते हैं, “बकरियों को रखने के लिए 20 फुट चौड़ाई और 60 फुट लंबाई के 20 बाड़े बनाए हुए है। इन बाड़ों में उम्र के हिसाब से बकरियों का रखा है, जिससे उनको सही पोषण मिले और उनकी बढ़वार अच्छी हो, क्योंकि बकरी के हर उम्र का अलग-अलग आहार होता है।”
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कम लागत, साधारण आवास और रख-रखाव के चलते भारत में बकरी पालन व्यवसाय करने में लोगों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। इस व्यवसाय से देश के 5.5 मिलियन लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है। “फार्म को शुरू करने से पहले मैंने केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान से प्रशिक्षण लिया था। उसके बाद संस्थान से तकनीकी काफी मदद मिली। फार्म में अभी 300 बकरियां है। इनकी संख्या घटती बढ़ती रहती है।” विवेक ने बताया।
हर छह साल में देश में होने वाली (जो 2012 में हुई ) पशुगणना (इसे 19वीं पशुगणना कहते हैं) के मुताबिक पूरे भारत में बकरियों की कुल संख्या 135.17 मिलियन है।
अपने फार्म के खासियत के बारे में विवेक बताते हें, “फार्म में स्टॉल फीडिंग विधि है। इस विधि में उनके रहने का अलग बाड़ा और उनके खाने की अलग व्यवस्था है, जिससे उनके उम्र के हिसाब से पोषण मिलता है। और बीमारियां भी नहीं होती है। इसको फार्म को बनाने में करीब दस लाख से ज्यादा लगी है। लेकिन उत्पादन से लगाई हुई लागत वापस मिल गई है। अगर कोई पशुपालक शुरु करना चाहता है तो पांच बाड़े बनाकर शुरू कर सकता है।”
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पूरे विश्व में बकरियों की कुल 103 प्रजातियां है, जिसमें भारत में बकरियों की 21 प्रजाति की नस्लें पाई जाती है। “अभी हमारे पास जखराना, जमुनापारी, तोतापरी और बरबरी नस्ल की बकरियां है। इनमें से सबसे अच्छी और जल्दी तैयार होने वाली नस्ल बरबरी है जिनकी संख्या भी ज्यादा है क्योंकि ये एक बार में दो बच्चे देती है।”
विवेक ने बताया, “ बकरियों को खिलाने के लिए बाहर से चारा लाने की जरुरत नहीं पड़ती है। फार्म के पीछे ही हरा चारा बो रखा है। जो किसान बरबरी नस्ल पालना चाहते है वो बकरियों को खिलाने के लिए फार्म के आस-पास खाली जगह में ही हरा चारा बो ले ताकि चारे का खर्चा बच जाए।”
एक बकरी पर एक दिन के खाने पीने का खर्च करीब आठ रुपए तक आता है।
विवेक के फार्म को न सिर्फ देशों के लोग देखने आते है बल्कि विदेशों से भी लोग आते है। विवेक बताते हैं, “हमारे फार्म को आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के साथ-साथ कई राज्यों के लोग देखने आए है और इस मॉडल से उन्होंने फार्म का शुरू भी किया है। इसके अलावा विदेशों के लोग भी फार्म को देखने आए है और इस विधि को अपना रहे है।”
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वर्ष 2014 में फार्म शुरू करने पहले विवेक ने केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान द्वारा प्रशिक्षण लिया था। केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ एम के सिंह बताते हैं, “संस्थान द्वारा समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें उनको नई तकनीक और बकरी पालन की पूरी जानकारी दी जाती है। विवेक का फार्म उत्तर भारत का पहला फार्म है जो इस स्टॉल फीडिंग तकनीक से बना हुआ है। किसानों जब प्रशिक्षण दिया जाता है तो इस फार्म का निरीक्षण कराया जाता है।”
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