लखनऊ। जहां एक ओर बिजली की दरें बढ़ने से शहरी उपभोक्ताओं को परेशानी हो रही है तो वहीं दूसरी ओर इससे मछली पालकों को काफी नुकसान होगा।
झांसी जिले के गुलाब सिंह पिछले कई वर्षों से मछली पालन कर रहे हैं। बिजली की दरें बढ़ने से होने वाली परेशानी के बारे में गुलाब बताते हैं, ” बुंदेलखंड एक ऐसा क्षेत्र है जहां पानी की सबसे ज्यादा दिक्कत रहती है। हम किसानों को सिंचाई के लिए पूरी तरह से बिजली से चलने वाले नलकूपों से ही पानी मिल पाता है। अभी महीने का 60 हजार बिल देना पड़ता है आैर अब दरें बढ़ने से और खर्चा बढ़ेगा।” गुलाब सिंह ने लगभग पांच एकड़ में तालाब बनाए हुआ है , जिसमें सलाना 15 लाख मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं।
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गुलाब सिंह आगे बताते हैं, “पानी का स्तर भी बहुत नीचे है। इस कारण दो-तीन घंटे दो सिंचाई करने में लग ही जाता है। अब और ज्यादा बिल जमा करना होगा। किसान का दर्जा मिला होता तो थोड़ी राहत हो सकती थी।”
ग्रामीण इलाकों की बात करे तो यहां मार्च से 400 रुपए प्रति किलोवाट की दर निर्धारित कर दी गई है। ग्रामीणों को 150 से 300 यूनिट बिजली 4.50 रुपए प्रतियूनिट की दर में मिलेगी। ग्रामीण उपभोक्ताओं को 50 रुपए का फिक्स चार्ज निर्धारित किया गया है। इसके अलावा ग्रामीण उपभोक्ताओं को पहली 100 यूनिट बिजली 3 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से मिलेगी। वहीं 100 से 150 यूनिट बिजली 3.50 रुपए में मिलेगी।
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“मछली पालकों को कितने समय से किसान का दर्जा नहीं मिला है, जिससे हम लोगों को पूरा बिल जमा करना पड़ता है जबकि गेहूं, धान किसानों को महीने का बिल बहुत ही कम देना पड़ता है। मछली पालन के लिए पानी की बहुत आवश्यकता होती है और वो पानी बिजली के जरिए ही मिल पाता है। बिजली की दर बढ़ने से सबसे ज्यादा दिक्कत हम लोगों को ही है।” ऐसा बताते हैं, गोरखपुर जिले के पोखरभिंडा गाँव के तबरेज खान। तबरेज खान ने पांच एकड़ में 20 कच्चे तालाब बनाए हुए हैं। इन तालाबों में करीब पौने दो लाख बच्चे हैं।
पशुपालन डेयरी एवं मत्स्य मंत्रालय भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार मात्सियकी से 14.5 मिलियन व्यक्तियों को आजीविका मिलती है। इसके साथ ही 1.1 मिलियन से अधिक किसान जल कृषि के माध्यम से लाभ उठाते है।
भले ही सरकार इस फैसले को सुधार का एक कड़ा फैसला बता रही रही हो लेकिन इससे मछली पालकों को काफी नुकसान होगा इस फैसले में सिंचाई के लिए भी कोई अलग से रेट निर्धारण की व्यवस्था भी नहीं की है ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलु उपयोग और अन्य दरों में सिंचाई को भी शामिल किया है।
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बाराबंकी जिले के गंगवारा गाँव के मछली पालन कर रहे मो. आसिफ बताते हैं, “कितना भी बिजली बचाओ लेकिन मछली पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें बिजली का खर्चा बढ़ ही जाता है। हमको महीनें का 50 हजार से ज्यादा बिल जमा करना पड़ता है। अब दरें से और बिल बढ़ेगा।”
नई बिजली दरों को बढ़ाने के उद्देश्य के बारे में प्रमुख सचिव (ऊर्जा) एवं अध्यक्ष उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन आलोक कुमार ने कहा, “नई बिजली दरों का मुख्य उद्देश्य मीटरिंग को बढ़ावा देना है ताकि छोटे उपभोक्ताओं पर अनावश्यक फिक्स्ड टैरिफ का बोझ न पड़े और बिजली के उपभोग में किफायत भी आये। उदाहरण के लिए यदि एक ग्रामीण घरेलू उपभोक्ता एक माह में 30 यूनिट का बिजली उपभोग करता है तो नई दरों के अनुसार उसका मासिक बिल मात्र 140 रुपये आएगा, जबकि फिक्सड टैरिफ के अन्तर्गत उसके ऊपर इससे लगभग ढाई गुना का बिल ज्यादा पड़ता।”
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कुमार ने आगे बताया, “जो ग्रामीण उपभोक्ता हर महीने 100 यूनिट तक उपभोग करते हैं, उन्हें लागू दरों के तहत तीन रुपए 68 पैसे प्रति यूनिट देना होगा। इसमें बिजली शुल्क शामिल है यानी ग्रामीण उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट लगभग तीन रुपए आठ पैसे की सब्सिडी उपलब्ध होगी।”