बारह बीघा जमीन के मालिक कीड़ी राम को घाघरा नदी में आई बाढ़ ने किया भूमिहीन, उत्तर प्रदेश के 644 गांव बाढ़ की चपेट में

उत्तर प्रदेश के 16 जिलों के कम से कम 644 गांव बाढ़ की चपेट में हैं और करीब 300 गांव पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं। घाघरा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, और इसने सीतापुर और बाराबंकी जिलों में तबाही मचा रखी है। गांव कनेक्शन की ग्राउंड रिपोर्ट।
#flood

सीतापुर/बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)। 55 वर्षीय कीड़ी राम आजकल उफनती घाघरा नदी के किनारे बैठकर बहते पानी को घूरते रहते हैं, जिसने उनकी 12 बीघा जमीन (लगभग दो हेक्टेयर) को अपनी चपेट में ले लिया है। सीतापुर के रामपुर-मथुरा ब्लॉक के अखरी गांव के निवासी राम ने गांव कनेक्शन से कहा, “बिना जमीन के हो गए अब, का की जाए भैया।

राजधानी लखनऊ से 77 किलोमीटर दूर स्थित अपने गांव में करीब एक हफ्ते पहले कीड़ी राम की गिनती जमींदार किसानों में होती थी, लेकिन अब वे भूमिहीन हो गए हैं।

कीड़ीराम घाघरा के किनारे बैठे हैं जहां पर कभी उनका खेत हुआ करता था। फोटो: दिवेंद्र सिंह

घाघरा नदी, जो कि गंगा नदी की एक सहायक नदी है, आजकल उफान पर है और इसने बाराबंकी व सीतापुर जिलों के लगभग 40 गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है। इसकी वजह से ग्रामीणों को अपने घर, खेत और अनाज से हाथ धोना पड़ा। ग्रामीणों की शिकायत है कि आपदा के इस समय में भी उन्हें राज्य सरकार से बहुत कम सहयोग मिल रहा है।

उत्तर प्रदेश के 16 जिलों के कुल 644 गांव अभी बाढ़ प्रभावित हैं क्योंकि गंगा, यमुना, घाघरा, शारदा और चंबल समेत सभी प्रमुख नदियों में मानसूनी बारिश के कारण भारी बाढ़ आई है। दो सितंबर को घाघरा नदी राज्य के कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

बाराबंकी के फतेहपुर प्रखंड के बेलहारी गांव निवासी 40 वर्षीय रजनी ने शिकायत करते हुए कहा, “किसी भी सरकारी अधिकारी (प्रशासनिक अधिकारी) ने मेरे गांव का दौरा करना और हमारी परेशानियों के बारे में जानना जरूरी नहीं समझा। चुनाव के दौरान ही नेता लोगन (राजनेता) हमें याद करते हैं और बेशर्मी से वोट मांगने आ जाते हैं जैसे कि हम सभी खुशी-खुशी रह रहे हों।” बाराबंकी जिला भी बाढ़ से प्रभावित है।

बच्चों के लिए चिंतित मां ने कहा, “मैंने छोटे बच्चों को अपने रिश्तेदार के घर भेज दिया है क्योंकि यहां खाने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है और मेरे घर के अंदर पानी घुस आया हैं… मुझे डर है कि वे (बच्चे) चारपाई (बिस्तर) से गिर सकते हैं और घुटने तक गहरे पानी में डूब सकते हैं।” रजनी ने आगे कहा, “हमें 11 दिनों से कोई राहत सामग्री या खाद्यान्न उपलब्ध नहीं कराई गई है। दो दिन पहले मुझे थोड़ा चावल मिला था, लेकिन एक परिवार के लिए यह पर्याप्त नहीं है।”

हालांकि, बाराबंकी के उप जिलाधिकारी राजीव कुमार शुक्ला ने कहा कि बाढ़ प्रभावित ग्रामीणों को आवश्यक सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने एक बयान में कहा, “प्रभावित गांवों के लोगों को राहत सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। इसके साथ ही, आवाजाही की सुविधा के लिए इन इलाकों में नाव उपलब्ध कराए जा रहे हैं। खाद्य आपूर्ति के लिए भी सहायता प्रदान की जा रही है।”

तटबंध की है जरूरत

घाघरा नदी के किनारे रहने वाले ग्रामीणों ने गांव कनेक्शन से कहा कि अगर नदी को रोकने के लिए तटबंध बनाया गया होता तो स्थिति इतनी बदतर नहीं होती और गांवों को डूबने से बचाया जा सकता था।

बाराबंकी के सरसंडा गांव के निवासी रामगोपाल शुक्ला ने गांव कनेक्शन को बताया, “घाघरा के किनारे के गांवों को नदी के उफान से बचाने के लिए एक तटबंध की जरूरत है। अगर तटबंध बनाया जाता है, तो हमें हर साल इस विनाश का सामना नहीं करना पड़ेगा।” उन्होंने आगे कहा, “लेकिन मुझे नहीं पता कि सरकार इस बारे में क्यों नहीं सोचती। हम लंबे समय से एक तटबंध की मांग कर रहे हैं लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं है।”

उत्तर प्रदेश के 16 जिलों के कुल 644 गांव अभी बाढ़ प्रभावित हैं क्योंकि गंगा, यमुना, घाघरा, शारदा और चंबल समेत सभी प्रमुख नदियों में मानसूनी बारिश के कारण भारी बाढ़ आई है। दो सितंबर को घाघरा नदी राज्य के कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

शुक्ला पूछते हैं, “यहां के लोग हर साल अपना घर बनाते हैं और बारिश के मौसम में उन्हें उसे छोड़कर जाना पड़ता है। अगर हर साल हम केवल अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ते रहेंगे तो दूसरे काम कब और कैसे करेंगे?

बाढ़ प्रभावित ग्रामीणों ने कहा कि रात के समय बाढ़ की स्थिति और भी भयावह हो जाती है। बाराबंकी के कचनापुर गांव की रहने वाली 40 वर्षीय फातिमा अपने फूस की छत वाले घर के बाहर चलने के लिए छड़ी का इस्तेमाल करती है क्योंकि घुटने तक पानी है और गिरने पर उन्हें गंभीर चोट लग सकती है।

बाढ़ प्रभावित ग्रामीणों ने कहा कि रात के समय बाढ़ की स्थिति और भी भयावह हो जाती है। 

फातिमा ने गांव कनेक्शन को बताया, “मेरे घर के ठीक बाहर एक गहरा गड्ढा है। बाढ़ के कारण बिजली का पोल क्षतिग्रस्त होने से बिजली चली गई है। रात में अंधेरा होता है और सांपों और बिच्छुओं का लगातार डर बना रहता है।” उन्होंने आगे कहा, “अगर कोई यहां बीमार पड़ता है, तो चिकित्सा सहायता प्राप्त करने की एकमात्र जगह चार किलोमीटर दूर है और यहां नाव से पहुंचा जा सकता है। हम प्रार्थना करते हैं कि इस दौरान कोई बीमार न पड़े।”

बाढ़ से राहत के उपाय

28 अगस्त को बाराबंकी के जिलाधिकारी आदर्श सिंह और बाराबंकी से सांसद उपेंद्र सिंह रावत ने घाघरा के किनारे हेतमापुर इलाके का निरीक्षण किया।

आधिकारिक बयान में बताया गया कि ग्रामीणों के बीच कुल 360 राशन किट वितरित किए गए। इस दौरान जिलाधिकारी और सांसद ने ग्रामीणों से भी मुलाकात की और उनके रहन-सहन के बारे में जाना।

प्रेस बयान में कहा गया है, “अधिकारियों को प्रभावित आबादी को हुए नुकसान का अनुमान लगाने का निर्देश दिया गया है।”

इस बीच, राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि बाढ़ से प्रभावित ग्रामीणों को जितनी जल्दी हो सके, मदद दी जाए, इसमें देरी ना हो। 

मुख्यमंत्री ने 4 सितम्बर को पूर्वी उत्तर प्रदेश के बाढ़ प्रभावित गोरखपुर, सिद्धार्थनगर और महाराजगंज जिले का दौरा किया। साथ ही बाढ़ पीड़ितों का राहत सामग्री भी वितरित की।

अंग्रेजी में खबर पढ़ें

अनुवाद- शुभम ठाकुर

Recent Posts



More Posts

popular Posts