रहस्यमयी बुखार से दम तोड़ते बच्चे और शोक में डूबी मांओं की चीख से गूंजता फिरोजाबाद

फिरोजाबाद जिले के सुदामा नगर में मातम पसरा है। इस मोहल्ले के कई परिवारों ने एक रहस्यमयी बुखार के चलते अपने बच्चों को खो दिया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इस जिले को बुखार ने पूरी तरह से अपनी चपेट में ले रखा है। गांव कनेक्शन ने शोक में डूबे परिवारजनों से मुलाकात की।
mystery fever

सुदामा नगर (फिरोजाबाद), उत्तर प्रदेश। “कृष्णा को बुखार था और दो दिन में ही वो चल बसा।” अपने छह साल के बेटे कृष्णा के बारे में बताते हुए पुष्पिंदर की आवाज से उनका दर्द समझा जा सकता है।

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के सुदामा नगर के पुष्पिंदर ने अपने बेटे को पास के एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया था। लेकिन जब दो दिन बाद भी उनके बेटे की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ तो वह उसे लेकर एसएन मेडिकल कॉलेज, आगरा चले गए। जोकि यहां से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। पुष्पिंदर गांव कनेक्शन को बताते हैं, “उन्होंने खून मांगा, लेकिन जब तक हम दे पाते, कृष्णा की मौत हो गई”

सुदामा नगर में पुष्पिंदर के घर से थोड़ी ही दूर बीरेंद्र का घर है। वह बाहर बैठे थे। उनके घर के भीतर से महिलाओं के रोने और चिल्लाने की आवाजें आ रही थीं।

रहस्यमयी बीमारी से अपने बच्चे को खोने के बाद शोक में डूबा परिवार। सभी तस्वीरें: बृजेंद्र दुबे

बीरेंद्र ने कहा, “मेरे छह साल के पोते की मौत हो गई है।” वीर को पेट में तेज दर्द था। बुखार भी था। वह उसे नजदीकी सरकारी अस्पताल में लेकर भी गए लेकिन वहां जगह ही नहीं थी। उन्हें वापिस भेज दिया गया। पोते की मौत के गम में डूबे दादा ने दुखी मन से गांव कनेक्शन को बताया, “हमने कई अस्पतालों के चक्कर काटे और आखिर में उसे आगरा ले गए। वहां वह मुश्किल से पैंतालीस मिनट ही जिंदा रह पाया।”

सुदामा नगर के उसी मोहल्ले में एक और परिवार दर्द से टूटा हुआ है। “मेरे सात साल के बेटे लकी को बुखार था। हम उसे फिरोजाबाद के एसएन अस्पताल ले गए, जहां 31 अगस्त को उसकी मौत हो गई।’ उन्होंने गांव कनेक्शन से कहा, ” हमें बताया गया कि उसे डेंगू है… अस्पताल में, मेरे बेटे को चेक करने के लिए काफी देर तक कोई डॉक्टर ही नहीं आया।”

लकी के अंतिम सांस लेने से ठीक एक दिन पहले, सुदामा नगर की ही पांच साल की मान्या ने भी 30 अगस्त को बुखार और गंभीर पेट दर्द के चलते दम तोड़ दिया था। उनकी नानी ने गांव कनेक्शन को बताया, “हम उसकी बीमारी का ठीक से समझ पाते इतना समय भी नहीं मिला। मेरी मान्या को बुखार और पेट में दर्द था। और दो दिन बाद ही उसकी मौत हो गई, ”

फिरोजाबाद में रहस्यमयी बुखार

इन चारों परिवारों में पसरे मातम के पीछे सिर्फ एक ही वजह है-रहस्यमयी बुखार। जिसके कारण इन्होंने अपने लाडलों को खो दिया है। सैकड़ों बच्चे अभी और बीमार हैं जिन्हें जिला अस्पताल, फिरोजाबाद में भर्ती कराया गया है।

राज्य की राजधानी लखनऊ से करीब 300 किलोमीटर दूर यह जिला, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फैले रहस्यमयी बुखार का गढ़ बन चुका है। तीन सितंबर तक, जिले में कम से कम 50 लोगों की मौत हो चुकी थी, जिनमें से ज्यादातर बच्चे थे। आधिकारिक रिपोर्टों में कहा गया है कि फिरोजाबाद के नौ प्रखंड और एक नगर निगम इस बुखार से प्रभावित हैं.

‘बुखार’ के कारण छोटे बच्चों के बीमार पड़ने और उनमें से कुछ के मरने की खबरें पड़ोसी जिलों मथुरा, एटा और आगरा से भी आ रही हैं।

फिरोजाबाद में बुखार से मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। सुबह (4 सितंबर) जिला अस्पताल में एक और छोटे बच्चे की मौत हो गई। वरिष्ठ अधिकारी जिले में बुखार के फैलाव पर नजर रखने और रोकने के लिए आगे आए हैं।

उत्तर प्रदेश के राज्य चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव आलोक मिश्रा ने फिरोजाबाद पहुंचने के बाद प्रेस को बताया, “हम मेडिकल कॉलेज में अतिरिक्त बेड की व्यवस्था कर रहे हैं।” वह आगे कहते हैं, “इसमें कितना भी समय लगे, मैं जब तक यहीं रहूंगा और प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करूंगा। फॉगिंग और छिड़काव से इन इलाकों को साफ करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। हम घर-घर जाकर निगरानी भी कर रहे हैं।”

प्रमुख सचिव ने बताया कि जिला अस्पताल पर सारा दबाव न पड़े इसके लिए जिला प्रशासन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) और निजी अस्पतालों में भी मदद के लिए पहुंच रहा है।

शहर में बढ़ती गंदगी बना बुखार का बड़ा कारण

गांव कनेक्शन ने फिरोजाबाद में रहने वाले कई लोगों से मुलाकात की। सभी ने शिकायत की कि खुले में कचरा फेंके जाने और नालों की सफाई न होने की वजह से शहर में गंदगी बढ़ गई है। जो ‘बुखार’ फैलने का एक सबसे बड़ा कारण है।

सुदामा नगर के लोगों ने बताया कि यहां के नालों में पानी भर रहता है और शायद ही कभी सफाई की की गई हो। एक-दो लोगों की मौत के बाद ही छिड़काव किया जा रहा है। पुष्पिंदर कहते है, ” इतना होने के बाद भी छिड़काव सिर्फ बाहर ही हो रहा है, हमारे घरों के अंदर तो कुछ भी नहीं किया जा रहा है। यहां भी तो मच्छर पैदा होते हैं।”

बेटे की मौत से दुखी पिता पुष्पिंदर कहते है, “”डेंगू फैल रहा है। कोई सफाई नहीं है। सीएम के आने के बाद ही यहां दवाओं का छिड़काव और सफाई हुई है।” गृह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पिछले सप्ताह पुष्पिंदर के बेटे की मौत के बाद उनके घर आए थे।

पुष्पिंदर आगे बताते हैं, “फिरोजाबाद की हालत खराब है। नालियां ओवरफ्लो हो रही हैं, हमारा पीने का पानी गंदा है, ट्यूबवेल हर दूसरे दिन खराब हो जाते हैं.. हम इस इलाके से पहले ही चार बच्चों को खो चुके हैं।” वह कहते है, “यहां रहने वाले हम में से ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर और गरीब हैं। हम क्या कर सकते हैं। “

संजय ने गांव कनेक्शन को बताया, “मेरे बेटे लकी के मरने के बाद ही हमारे इलाके में सफाई शुरू हुई, ” इससे पहले नालों की सफाई करने कोई नहीं आया। कल से, वे बाहर छिड़काव कर रहे हैं।”

फिरोजाबाद के नोडल अधिकारी सुधीर बोबडे ने 4 सितंबर को प्रेस को बताया कि प्रभावित इलाकों में सर्वे होना शुरु हो चुका है और मच्छरों के लार्वा को मारने के लिए सभी जरुरी काम किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम समस्या से निपटने के लिए कड़े कदम उठा रहे हैं। हमें पता है कि वायरल फीवर के मामले 31 अगस्त से लगातार बढ़े हैं।”

इस बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि बुखार को फैलने से रोकने के लिए, राज्य में लखनऊ के वरिष्ठ अधिकारियों की देखरेख में एक विशेष अभियान चलाया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा, “5 से 12 सितंबर के बीच स्वास्थ्य विभाग, शहरी और ग्रामीण विकास विभाग, पंचायती राज और महिला एवं बाल कल्याण विभाग के सदस्य मिलकर काम करेंगे।” उन्होंने कहा, “हर परिवार की जांच की जाएगी, उनके आस-पड़ोस के इलाके को सेनेटाइज किया जाएगा और वहां पीने के पानी की समस्या पर ध्यान दिया जाएगा।” मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के अनुसार, इस तरह के उपायों से डेंगू, एन्सेफलाइटिस, हैजा, चिकनगुनिया, डायरिया आदि जैसी बीमारियों के बढ़ने पर रोक लगेगी।

इसके अलावा, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक केंद्रीय टीम इस बुखार के फैलने के कारणों की जांच कर रही है। राज्य सरकार ने भी डेंगू के लिए निगरानी तेज कर दी है और फिरोजाबाद में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सहायता के लिए एक मेडिकल टीम भेजी गई है। दो सितंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी मामले की जांच के लिए नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) से एक टीम फिरोजाबाद भेजी है। इस रहस्यमयी बुखार का पहला मामला 18 अगस्त को सामने आया था।

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