भारत दुनिया का सबसे अधिक दूध उत्पादन करने वाला देश है, लेकिन इसे यहां तक पहुंचाने में श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज़ कुरियन की अहम भूमिका रही है।
डॉ वर्गीज कुरियन ने किस तरह से देश में श्वेत क्रांति लाकर दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दिया, गाँव कनेक्शन से बता रहे हैं राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के कार्यकारी निदेशक व अध्यक्ष मीनेष शाह।
मीनेष शाह बताते हैं, “भारत में जो दूध कि जो परिस्थिति थी, देश की आजादी के समय भारत में दूध का उत्पादन इतना अधिक नहीं था, कमी थी, यूरोपियन यूनियन से बटर आता था, पाउडर आता था, यहां पर हमारे बच्चों को दूध के लिए लाइन में खड़ा रहना पड़ता था।”
वो आगे कहते हैं, “तब मोरारजी देसाई थे, सरदार वल्लभ भाई पटेल थे, दूध की कीमत नहीं मिल रही थी, तब उन लोगों ने सलाह दी कि आप अकेले मत व्यापार कीजिए और पास में बॉम्बे इतनी बड़ी सिटी है आप कॉपरेटिव के जरिए वहां दूध बेचिए।”
इसके बाद, सरदार पटेल ने एक सहकारी संस्था बनाने का सुझाव दिया, ताकि इस उद्योग में बिचौलियों को खत्म किया जा सके और किसानों को सही कीमत मिले। इसी विचार के तहत, 14 दिसंबर 1946 कैरा डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लिमिटेड (KDCMPUL) की नींव रखी गई और आगे चल कर यही अमूल डेयरी के नाम से लोकप्रिय हुआ।
मीनेष साह आगे कहते हैं, “साल 1946-1974 में कोऑपरेटिव की स्थापना हुई है और 100-200 लीटर से इसे चालू किया गया, ये धीरे-धीरे बढ़ता गया और जब यहां पर दूध उत्पादन बढ़ने लगा तो पशु भी बढ़ने लगे और पशुओं के लिए कैटल फीड की जरूरत महसूस हुई, तब 1962-1963 में यहां पर पहली कैटल फीड यूनिट लगायी गई और उसके उद्घाटन के लिए लाल बहादुर शास्त्री आए जोकि उस समय प्रधानमंत्री थे। उन्होंने कहा कि वो रात में किसानों के साथ ही रुकेंगे, वो आणंद के पास के एक गांव में रुके और उनसे कहा कि मैं तो पूरे देश में घूम रहा हूं आप लोगों का मैंने देखा कि आप इतनी अच्छी तरह से रह रहे हैं बाकी और जगह पर ऐसा क्यों नहीं है।”
बस यहीं से डॉ वर्गीस कुरियन आए। साह आगे बताते हैं, “उस समय डॉ वर्गीस कुरियन अमूल में जनरल मैनेजर थे, उनसे प्रधानमंत्री ने कहा कि ये जो खुशहाली मैं यहां देख रहा हूं वो मुझे पूरे देश में चाहिए, तो उस समय वर्गीस साहब ने सोचा समझा और भारत सरकार को ऐसा एक नेशनल डेयरी बोर्ड बनाने का प्रस्ताव भारत सरकार को दिया कि आप एक संस्था बनाइए जो स्वतंत्र रूप से काम करिए और पूरे देश में अमूल जैसी संस्था बनाएगी।”
डॉ. वर्गिस कुरियन को कैरा डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लिमिटेड यानी KDCMPUL नाम काफी असहज लगता था। इसलिए वह संस्था का कोई ऐसा नाम रखना चाहते थे, जिसे कोई भी आसानी से समझ और बोल सके। जिसके बाद कर्मचारियों ने उन्हें ‘अमूल्य’ नाम सुझाया, जिसका अर्थ ‘अनमोल’ होता है। बाद में इसका नाम ‘अमूल’ हुआ।