लखनऊ। गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी है। कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक खोजी है जिससे गन्ने की फसल काफी कम लागत में तैयार होगी और इसके पकने में समय भी कम लगेगा।
महाराष्ट्र के कोलहापुर में कृषि तकनीक प्रबंधन इकाई के वैज्ञानिक इस तकनीक से गन्ना उगाने पर काम कर रहे हैं। उन्होंने एक लाख एकड़ में नर्सरी बनाने की शुरुआत की है। परियोजना निदेशक एडी गलितकर की मानें तो किसान जिस विधि से अभी गन्ना उगाते हैं उसमें लागत और समय दोनों ज्यादा लगते हैं। हमारी विधि से गन्ना उगाने में लागत भी काफी कम लगेगी और फसल तैयार होने में समय भी बचेगा। वैज्ञानिकों ने एक लाख एकड़ क्षेत्र में 350 नर्सरी तैयार की हैं।
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क्या है तकनीक
फिलवक्त गन्ना किसान तैयार फसल में से अच्छे गन्ने का चुनाव करते हैं और उसकी डंठल काटकर उसे उगाते हैं। लेकिन कृषि वैज्ञानिकों ने इसे और आसान कर दिया है। दो साल की मेहनत के बाद वह इस नतीजे पर पहुंचे कि गन्ने के बिरवे को सीधे बोया जाए तो वह जल्दी फलेगा। परियोजना निदेशक ने बताया कि हमने नर्सरी में बिरवा तैयार करने की विधि पर दो साल पहले काम शुरू किया। इसमें फसल की सिंचाई का खर्च भी घट गया। जो बिरवे तैयार हुए वे भी काफी अच्छे थे। वैज्ञानिकों ने गन्ने की गांठ को चिप्स के आकार में काटा और फिर उसे कप में उगाया। 25 से 35 दिन में तैयार बिरवे को फिर खेत में बो दिया।
इस समय एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में उगाए गए गन्ने पर करीब 80 कुंतल गन्ने की जरूरत पड़ती है जबकि नर्सरी में तैयार बिरवे से इतने बड़े खेत में सिर्फ दो कुंतल गन्ने से बुवाई संभव है। निदेशक ने बताया कि इस विधि के बारे में किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे अपनी नर्सरी शुरू कर सकें। प्रशिक्षित किसान नवंबर में इसकी बुवाई शुरू करेंगे। अब तक 350 किसानों ने अपनी नर्सरी तैयार कर ली है। इससे उनकी गन्ने की बुवाई की लागत 50 फीसदी घटी है।