लखनऊ। रबी सीजन की नब्बे प्रतिशत बुवाई हो चुकी है। रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की दूसरी सिंचाई और उसमें खाद डालने का समय चल रहा है। ऐसे में किसान रासायनिक खादों के इंतजाम करने में लगे हैं। इसी मौके की ताक में कुछ कुछ खाद माफिया और रासायनिक उर्वरक बनाने वाली कंपनियां होती हैं जो नकली और मिलावटी खाद बनाकर उतारने की कोशिश में होती हैं।
इस सीजन में भी नकली खाद की शिकायतें सरकार को मिली हैं जिसपर लगाम कसने के लिए कृषि विभाग ने अपने तंत्र को जहां सक्रिय कर दिया है। कहीं भी अगर नकली खाद की पाई जाए तो किसान इसकी जानकारी अपने जिले के उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी और कृषि निदेशक को दे सकते हैं। इसके अलावा किसान इसकी शिकायत सीधे किसान काल सेंटर के टोल फ्री नंबर-1800-180-1551 पर भी कर सकते हैं।
कृषि विभाग ने नकली खादों की पहचान को लेकर किसानों को जानकारी देने के लिए एक बुकलेट भी जारी किया है। जिसकी मदद से किसान मिलावटी और नकली रासायनिक उर्वरक की जांच खुद से भी कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने गांव कनेक्शन को बताया, ” किसान असली खाद का प्रयोग करें। कहीं भी उनको नकली खाद दिखे तो इसकी सूचना तुरंत दें। सरकार नकली खाद बेचने वालों पर कार्रवाई कर रही है। ”
खेती में किसानों को सबसे ज्यादा निवेश रासायिनक खादों पर ही करना पडता है। जुताई, बीज, और सिंचाई के मुकाबले रासायनिक खाद सबसे ज्यादा महंगे होते हैं। जैविक खादों की अभी इतनी उपलब्धता नहीं है कि किसान सिर्फ इसी की बदौलत पूरी खेती कर लें। ऐसे में हर साल किसानों को अच्छी उपज के लिए डीएपी, जिंक सल्फेट, यूरिया और एमओपी जैसे रासायनिक खाद खेतों में डालना पड़ता है। इसी बात का फायदा नकली और मिलावटी खाद बनाने वाले उठाते हैं। इसलिए किसानों का चाहिए कि उर्वरकों को सरकारी मान्याप्राप्त दुकानों और साधन सहकारी समितियों से ही लें। इसके बाद भी अगर बाजार से वह खाद खरीद रहे हैं तो इसकी जांच खुद से कर लें।
गर्म तवे पर रखते ही हवा बन जाती है यूरिया
फसलों की उर्वरक क्षमता बढ़ाने और उनको रोगों से लड़ने में मजबूत करने में सबसे ज्यादा उपयोग यूरिया का किया जाता है। यूरिया में ही कली और मिलावट की संभावना भी ज्यादा होती है। ऐसे में पंडित गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्वोगिकी विशविविद्यालय से संबंध रहे वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. आरपी सिंह ने यूरिया की शुद्धता की जांच के लिए किसानों को बहुत की साधारण विधि बताई है।
ये भी पढ़ें- घर पर तरल जैविक खाद बनाकर बढ़ाई पैदावार
उन्होंने बताया कि यूरिया खरीदते समय किसान सबसे पहले यह देख लें कि यह सफेद चमकदार और इसके सभी दाने समान आकारक गोल हैं। इसके जब पानी में डाला जाए तो यह घुल जाए और और घोल को छूने पर शीतला को एहसास हो। साथ ही गर्म तवे पर रखते ही यह पिछले जाए और आंच तेज करने पर इसका काई अवशेष न बचे तो समझिए यूरिया असली है।
तवे पर धीमी आंच में गरम करने पर दाने फूल जाते हैं
फसलों में यूरिया के बाद जो सबसे ज्यादा रासायनिक उर्वरक प्रयोग होता है वह डीएपी है। डीएपी की पहचान का तरीका है कि यह सख्त, दानेदार, भूरा, काला, बादामी रंग होता है। डीएपी के कुछ दानों को लकर तंबाकू की तरह मलने पर तीक्ष्ण गंध निकलती है।जिसे सूंघना असहाय होता है। तवे पर धीमी आंच में गर्म करने पर दाने फूल जाते हैं।
गरम करने पर सुपर फास्फेट के दाने नहीं फूलते
सुपर फास्फेट का भी फसलों में इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है। इसके दाने सख्त दानेदार, भूरा काला बादामी होता है। इसको नाखूनों से तोडने पर नहीं टूटता है। यह चूर्ण के रूप में भी उपलब्ध रहता है। यह उर्वरक असली है या नकली है इसकी पहचान का यह तरीका है कि अगर इसे गरम किया जाए तो इसक दाने फूलते नहीं है।
जिंक सल्फेट के घोल में पतला कास्टिक का घोल मिलाने पर मटमैला माड़ बन जाता है
जिंक सल्फेट का खेतों में इस्तेमाल होता है। जिंक सल्फेट में मैग्नीशियम सल्फेट की मिलावट सबसे ज्यादा होती है। जिसके कारण असली और नकली की पहचान कठित होती है। ऐसे में इसकी जांच का तरीका है कि जिंक सल्फेट के घोल में पतला कास्टिक का घोल मिलाने पर यह सफेद, मटमैला माड़ जैस बन जाता है।-
नमी करने पर आपस में नहीं चिपकते पोटाश
फसलों की अच्छी उपज के लिए पोटाश भी एक जरुरी अवयव है। इसकी पहचान का तरीका है कि सफेद कणाकार, पीसे नमक और लाल मिश्रण मिर्च जैस मिश्रण होता है। इसके कण नम करने पर आपस में चिपकते नहीं। पानी में घोलने पर खाद का लाल भाग पानी में उपर तैरता है।