इस बार अप्रैल महीने में गर्म हवाएं चलने लगी है, साथ ही दिन का तापमान भी काफी बढ़ गया है, इसलिए किसानों को जायद की फसलों को खास ध्यान देने की जरूरत होगी।
आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए मौसम आधारित संबंधित कृषि सलाह जारी की है।
आने वाले दिनों में लू (गर्म हवा) की संभावना को ध्यान में रखते हुए सब्जियों, सब्जियों की नर्सरी, जायद फसलों और फलों के बगीचों में हल्की सिंचाई नियमित अंतराल पर करें। नर्सरी व वृक्षों को लू से बचाने के लिए अवरोधकों के उपयोग की सलाह दी जाती है।
अनाज को भंडारण में रखने से पहले भंडारघर की सफाई करें और अनाज को सुखा लें। दानों में नमी 12 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। भंडारघर को अच्छे से साफ कर लें। छत या दीवारों पर यदि दरारें है तो इन्हे भरकर ठीक कर लें। बोरियों को 5 प्रतिशत नीम तेल के घोल से उपचारित करें।
बोरियों को धूप में सुखाकर रखें, जिससे कीटों के अंडे व लार्वा और अन्य बीमारियां आदि नष्ट हो जाएं। किसानों को सलाह है की कटी हुई फसलों और अनाजों को सुरक्षित स्थान पर रखे।
इस मौसम में तैयार गेहूं की फसल की कटाई की सलाह है। किसान कटी हुई फसलों को बांधकर रखें, नहीं तो तेज हवा या आंधी से फसल एक खेत से दूसरे खेत में जा सकती है। गहाई के बाद भंडारण से पहले दानों को अच्छी तरह से सुखा दें।
इस समय का तापमान फ्रेंच बीन, सब्जी लोबिया, चौलई, भिंण्डी, लौकी, खीरा, तुरई आदि तथा गर्मी के मौसम वाली मूली की सीधी बुवाई के लिए अनुकूल है क्योंकि, बीजों के अंकुरण के लिए यह तापमान उपयुक्त हैं। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है। उन्नत किस्म के बीजों को किसी प्रमाणित स्रोत से लेकर बुवाई करें।
रबी फसल यदि कट चुकी है तो उसमें हरी खाद के लिए खेत में पलेवा करें। हरी खाद के लिए ढ़ेचा, सनई अथवा लोबिया की बुवाई की जा सकती है। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।
ग्वार, मक्का, बाजरा, लोबिया आदि चारा फसलों की बुवाई इस सप्ताह कर सकते है। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी आवश्यक है। बीजों को 3-4 से.मी. गहराई पर डाले और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25-30 से.मी. रखें।
इस मौसम में बेलवाली सब्जियों और पछेती मटर में चूर्णिल आसिता रोग के प्रकोप की संभावना रहती है। यदि रोग के लक्षण अधिक दिखाई दे तो कार्बंन्डिज्म @ 1 ग्राम/लीटर पानी दर से छिड़काव मौसम साफ होने पर करें।
इस मौसम में भिंडी की फसल में माईट कीट की निरंतर निगरानी करते रहें। अधिक कीट पाये जाने पर इथेयाँन @ 1.5-2 मि.ली./लीटर पानी की दर से छिड़काव मौसम साफ होने पर करें।
प्याज की फसल में इस अवस्था में उर्वरक का छिड़काव न करें, नहीं तो फसल की वनस्पति भाग की अधिक वृद्धि होगी और प्याज की गांठ की कम वृद्धि होगी।
बैंगन और टमाटर की फसल को प्ररोह व फल छेदक कीट से बचाव के लिए ग्रसित फलों व प्रोरहों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें। साथ ही कीट की निगरानी के लिए फेरोमोन ट्रैप @ 2-3 प्रपंश प्रति एकड़ की दर से लगाएं। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो स्पिनोसेड़ कीटनाशी 48 ई.सी. @ 1 मि.ली./4 लीटर पानी की दर से छिड़काव मौसम साफ होने पर करें।
रबी फसल की कटाई के बाद खाली खेतो की गहरी जुताई कर जमीन को खुला छोड़ दे, ताकि सूर्य की तेज धूप से गर्म होने के कारण इसमें छिपे कीड़ो के अण्डे और घास के बीज नष्ट हो जाएंगे।