गेहूं की बुवाई को लेकर किसानों के मन में कई तरह की शंका रहती हैं, जैसे कि बुवाई कब करें, बुवाई के लिए कौन से बीज का चुनाव करें या फिर किस विधि से गेहूं की बुवाई करें?
किसानों के ऐसे ही कई सवालों के जवाब इस हफ्ते के पूसा समाचार में दिए गए हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक ने किसानों से ऐसी ही कई जानकारियां साझा की हैं। संस्थान के निदेशक डॉ अशोक कुमार सिंह गेहूं की खेती के बारे में बताते हैं, “किसान भाई इस समय गेहूं की बुवाई कर रहे हैं, गेहूं की बुवाई समय से कर लें। अगर आप समय से बुवाई की जाने वाली किस्मों का प्रयोग कर रहे हैं, जिसमें एचडी-2967, एचडी-3086, एचडी-3226, इसके साथ ही डीबीडब्ल्यू-287 या अन्य किस्में शामिल हैं। तो इनकी बुवाई हर हाल में 20 नवंबर से पहले-पहले कर लें।”
वो आगे कहते हैं, “जैसे-जैसे बुवाई की देरी होगी, वैसे-वैसे पैदावार में कमी आती है, क्योंकि जब बुवाई करते हैं तो जब गेहूं में दाना भरने की अवस्था आती है तो उस समय कई बार गर्म हवाएं चलती हैं, तापक्रम बढ़ जाता है, जिसकी वजह से दाने में वजन कम हो जाता है और इससे पैदावार घट जाती है।”
“साथ ही साथ ही अगर हम फसल को ज्यादा समय देते हैं तो जमीन में जो हम खुराक देते हैं, चाहे वो हमारे फर्टिलाइजर हो या फिर पानी दे रहे हों, उसका भरपूर प्रयोग पौधे द्वारा किया जा रहा हो, और जितनी ठंड मिलती है शुरू की अवस्था में उतना ज्यादा फुटाव होता है। इसलिए समय से बुवाई करना बहुत जरूरी होता है
गेहूं बुवाई में बीजोपचार है जरूरी
गेहूं की फसल की अगर बीजोपचार के बाद बुवाई करते हैं तो कई तरह के रोगों से बचाया जा सकता है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के पादप रोग संभाग के वैज्ञानिक डॉ एमएस सहारन बीजोपचार के बारे में विस्तार से बताते हैं, “इस समय गेहूं की बुवाई चल रही है, बहुत सारे किसान भाईयों ने गेहूं की बुवाई कर भी ली होगी। गेहूं की फसल में सबसे बड़ी समस्या लूज स्मट (खुला कंडवा) की आती है। इसमें आपने देखा होगा कि फसल बड़ी हो जाती हैं, बालियां आ जाती हैं तो उसमें काला दाना पड़ जाता है। काले दाने में फफूंद के स्पोर होते हैं।”
वो आगे कहते हैं, “इसी तरह की कई और भी बीमारियां हैं जो बीज जनित होती हैं, जैसे कि एक बीमारी करनाल बंट होती है, करनाल बंट से भी दाना काला पड़ जाता है। ये भी फसल कटने के बाद दिखायी देता है। इसी तरह की एक बीमारी हेड स्कैब भी होती है, ये बीमारी उन क्षेत्रों में आती है, जहां नमी ज्यादा होती है।”
इस बीमारियों से बचने के लिए डॉ सहारन सलाह देते हैं, “बीज की बुवाई से पहले बीजोपचार जरूर करें, बीजोपचार के लिए किसान भाइयों को कार्बेंडाजीम बीजोपचार कर लें। बीजोपचार के लिए दो से ढाई ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचार कर सकते हैं। बीजोपचार करने के लिए सबसे गेहूं के बीज में फंगीसाइड डाल दीजिए, उसके बाद बीज को थोड़ा गीला कर दीजिए, आपको ज्यादा गीला भी नहीं करना है, बस इतना करना है कि सारी दवाई बीज पर लग जाए।”
लेकिन बीजोपचार करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे कि बीजोपचार की प्रक्रिया छाया में ही करनी चाहिए और इसे छाया में सुखाना चाहिए, इसके बाद अगले दिन बुवाई करनी चाहिए।