नौ लाख से भी ज़्यादा बिकी थारपारकर नस्ल की गाय, जानिए क्या हैं इनकी ख़ासियतें

इन दिनों गाय की एक नस्ल काफी चर्चा में है, क्योंकि थारपारकर नस्ल की गाय नौ लाख रुपए में नीलाम हुई है। राजस्थान की इस नस्ल की खासियतों के बारे में जान लीजिए।

अगर आपसे गायों की कीमत के बारे में पूछा जाए तो कहेंगे कि एक, दो या फिर तीन लाख और अगर आपसे कहा जाए कि नौ लाख में भी गाय बिक सकती है तो शायद यकीन करना मुश्किल हो जाए। लेकिन राजस्थान में थारपारकर नस्ल की गाय 925000 रुपए में बेंची गई है।

राजस्थान गंगानगर जिले में सूरतगढ़ में स्थित केंद्रीय पशु प्रजनन फार्म पर थारपारकर नस्ल के गौवंश के संवर्धन और संरक्षण पर काम किया जाता है। यहाँ हर पशुओं की नीलामी की जाती है।

केंद्रीय पशु प्रजनन फार्म के निदेशक डॉ वीके पाटिल गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “हमारे इस फार्म की शुरूआत 1967 में हुई थी, तब से यहाँ पर नस्ल सुधार का काम हो रहा है। वैसे तो हमारे यहाँ साल भर बछड़ों की बिक्री होती है, जिनकी सात हज़ार से 35 हज़ार तक होती है और साल में एक बार गायों की नीलामी होती है।”

वो आगे कहते हैं, “एक कमेटी बनाकर पशुओं की छटनी होती है, इस बार 43 गाएँ थीं, जिनकी नीलामी की गई। देश भर से किसान इकट्ठा हुए थे, उसी में हमारी एक गाय की नीलामी 925000 रुपए में हुई। इससे पहले एक गाय तीन लाख पाँच हजार रुपए में बिकी थी।”

नीलामी में 85 किसानों और पशुपालकों ने पंजीकरण करवाया। नीलामी में कुल 43 पशुओं को रखा गया था, जिसमें थारपारकर गाय संख्या 8034 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के निमसोड गाँव के प्रगतिशील किसान और ब्रीडर पुष्कराज विठ्ठल ने रिकॉर्ड बोली लगाते हुए 9 लाख 25 हजार रुपए में खरीदा। केन्द्रीय पशु प्रजनन फार्म के इतिहास में यह नीलामी में एक गाय की अब तक की सबसे ज़्यादा कीमत है।

डॉ वीके पाटिल आगे बताते हैं, “थारपारकर नस्ल की गाय पशुपालकों को काफी पसंद आ रहीं हैं, इस बार भी तमिलनाडु, केरल, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे कई प्रदेशों के किसान नीलामी में शामिल हुए थे, हर जगह पर इस नस्ल का रिजल्ट अच्छा है। जैसे राजस्थान में गर्मियों में तापमान 48-49 डिग्री तक चला जाता है और सर्दियों में कभी जीरो डिग्री तक, तब भी इसपर कोई असर नहीं होता है।”

थारपारकर नस्ल की खासियतें


यह नस्ल मूल रूप से पश्चिमी पाकिस्तान के थारपारकर जिले से है। भारत में जोधपुर, कच्छ और जैसलमेर क्षेत्रों में पायी जाती है। इसे ग्रे सिंधी, वाइट सिंधी और थारी के नाम से भी जाना जाता है। इसके शरीर का रंग राख के जैसा, मध्यम आकार का और चौड़ा सिर होता है।

थारपारकर गाय की पहचान इनके रंग से की जा सकती है, ये आपको सफेद, या हल्के स्लेटी रंग में दिखाई दे जाएंगी। ये मध्यम आकार की गाय होती हैं, जिनका सिर चौड़ा होता है और इनके सींग सिर के बाहर से निकलते हैं।

थारपारकर गाय के दूध को काफी गुणात्मक माना जाता है। इस नस्ल की गाय के दूध में ए 2 प्रोटीन पाया जाता है। इसके अलावा थारपारकर गाय एक दिन में 10 से 15 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है। वहीं एक ब्यात के भीतर ये गाय 1400-1600 लीटर तक भी दूध दे सकती है।

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