महिलाओं ही नहीं पुरुषों को भी हो सकता है स्तन कैंसर, आप में भी तो नहीं हैं ये लक्षण

पुरुषों को न केवल यह जानना चाहिए कि उन्हें स्तन कैंसर हो सकता है और होता भी है - बल्कि उन्हें किसी भी गांठ, सूजन या अन्य असामान्य परिवर्तनों के बारे में अपने डॉक्टरों को सूचित करने के बारे में भी सक्रिय होना चाहिए।

ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों का बढ़ता आंकड़ा महिलाओं के साथ पुरुषों के लिए भी चिंता की बात है। क्योंकि ब्रेस्ट कैंसर सिर्फ महिलाओं नहीं बल्कि पुरुषों को भी होता है। जनसामान्य इस हकीकत से अंजान है कि कैंसर की दुनिया में मेल ब्रेस्ट कैंसर भी उतना ही चैलेंजिंग और खतरनाक है जितना महिलाओं के लिए है। लेकिन मेल ब्रेस्ट कैंसर को हमेशा गैरजरूरी बात समझकर झुठला दिया जाता है। उस पर बात नहीं होती।

हाल ही में अभिनेत्री हिना खान ब्रेस्ट कैंसर का इलाज कराकर लौटी हैं। हिना खान को कैंसर की थर्ड स्टेज में इस बीमारी का पता चला। कैंसर डिटेक्ट होने के बाद हिना ने इसका प्रापर ट्रीटमेंट शुरू कर दिया। हिना फिलहाल कीमोथेरेपी और इलाज के बाद अस्पताल से लौट चुकी हैं। लेकिन अपनी सामान्य जिंदगी में लौटना उनके लिए अभी चैलेंजिंग हैं।

डॉक्टर्स के अनुसार कई लोगों की यह सोच है कि ब्रेस्ट कैंसर सिर्फ महिलाओं को प्रभावित करता है, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। पुरुषों को भी स्‍तन कैंसर का खतरा होता है, भले इसकी संभावना कम है। यह बीमारी आमतौर पर बुजुर्ग पुरुषों में देखी गई है और यह ज्‍यादातर उम्र के छठे या सातवें दशक में प्रभावित करता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ इसका जोखिम भी बढ़ता जाता है।

अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, पिछले वर्षों की तरह, 2023 में लगभग 2,800 पुरुषों में स्तन कैंसर का इलाज किया गया। लगभग 530 की इस बीमारी से मृत्यु हो गई। इसकी तुलना में, समान आँकड़ों के आधार पर 2023 में लगभग 297,790 महिलाओं में स्तन कैंसर का ट्रीटमेंट किया गया और 43,170 की मृत्यु हुई। पुरुष स्तन कैंसर सभी स्तन कैंसर निदानों का एक प्रतिशत से भी कम है।

पुरुषों में होने वाला ज़्यादातर ब्रेस्ट कैंसर एस्ट्रोजन रिसेप्टर (ER)-पॉज़िटिव इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा होता है। यह महिलाओं में होने वाला सबसे आम ब्रेस्ट कैंसर है। ज़्यादातर ऑन्कोलॉजिस्ट शायद ही कभी ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित पुरुष को देखते और उसका इलाज करते हैं। यहां तक कि जब कोई पुरुष असामान्य सीने के लक्षणों के साथ अपने प्राथमिक देखभाल चिकित्सक को दिखाता है, तो डॉक्टर और मरीज़ दोनों को ब्रेस्ट कैंसर की उम्मीद नहीं होती है, और इसलिए अक्सर इसका निदान तब तक नहीं हो पाता जब तक कि यह ज़्यादा गंभीर न हो जाए।

वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा 2019 में किए गए एक अध्ययन में 1.8 मिलियन महिलाओं और 16,025 पुरुषों के स्तन कैंसर से मृत्यु दर के आंकड़ों के आधार पर पाया गया कि पुरुष स्तन कैंसर के रोगियों की मृत्यु दर महिलाओं की तुलना में 19 प्रतिशत अधिक है। जर्नल ऑफ़ द नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट में प्रकाशित 2023 के एक अध्ययन में , कई BCRF जांचकर्ताओं और अन्य लोगों ने पाया कि महिलाओं में स्तन कैंसर के विपरीत, पुरुष स्तन कैंसर के लिए जीवित रहने की दर पिछले 30 वर्षों में काफी बेहतर नहीं हुई है।

BRCA2 जीन में उत्परिवर्तन वाले पुरुषों में स्तन कैंसर होने का जोखिम बहुत रहता है। पुरुषों में अधिकांश स्तन कैंसर वंशानुगत कारकों के कारण नहीं होते हैं। फिर भी, किसी पुरुष के पारिवारिक इतिहास को जानना जरूरी है और आनुवंशिक परीक्षण की आवश्यकता के बारे में निर्णय लेने में मदद कर सकता है। छाती पर रेडिएशन ट्रीटमेंट कराना भी कैंसर का कारण है। साथ ही ऐसी स्थितियाँ जो एस्ट्रोजन के स्तर को बढ़ाती हैं – जैसे मोटापा – भी ऐसे कारक हैं जो पुरुषों में स्तन कैंसर के जोखिम को प्रभावित करते हैं।

महिलाओं की तरह पुरुषों को भी ब्रेस्ट में कोई समस्या है तो वो ब्रेस्ट कैंसर हो सकती है। पुरुष के स्तन ऊतक में दर्द रहित गांठ या मोटा होना, स्तन को ढकने वाली त्वचा में परिवर्तन, जैसे कि गड्ढे पड़ना, सिकुड़ना, लालिमा या पपड़ी बनना। आपके निप्पल में परिवर्तन, जैसे कि लालिमा या पपड़ी बनना, या निप्पल का अंदर की ओर मुड़ना या निप्पल से कोई सीक्रेशन होना ये सब मेल ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण हैं।

मेडिकल साइंस में आज भी पुरुष स्तन कैंसर इससे जुड़े इलाज पर बहुत कम शोध हुआ है, खासकर इस बात पर कि इसका सबसे अच्छा इलाज कैसे किया जाए इस पर बहुत कम काम किया गया है। अक्सर ब्रेस्ट कैंसर का नाम आते ही महिलाओं में स्तन कैंसर की चर्चा होने लगती है। पुरुषों को अक्सर स्तन कैंसर के नैदानिक परीक्षणों से बाहर रखा जाता है – या कम से कम सक्रिय रूप से भर्ती नहीं किया जाता है। पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर का इलाज महिलाओं के उपचार के समान ही होता है, जिसमें टैमोक्सीफेन और कीमोथेरेपी जैसी एंटी-हार्मोन दवाएं शामिल होती हैं। जबकि यह प्रवृत्ति बदल रही है और अधिक नैदानिक परीक्षण प्रोटोकॉल में पुरुषों को शामिल किया जा रहा है, स्तन कैंसर से पीड़ित पुरुषों की कमी भी इस बीमारी का अध्ययन करना मुश्किल बनाती है।

फोर्टिस के चिकित्सकों के अनुसार पुरुषों में स्‍तन कैंसर दुर्लभ लेकिन गंभीर है। 1,000 पुरुषों में से करीब 1 को अपने जीवनकाल में कभी न कभी इस बीमारी का सामना करना पड़ता है। पुरुषों में शुरुआती चरण में ही ब्रेस्‍ट कैंसर का निदान होने पर उनके पांच साल तक जीवित रहने की संभावना 90% से अधिक होती है, जबकि एडवांस स्‍टेज का कैंसर होने पर यह संभावना कम हो जाती है। अगर किसी पुरुष का छाती या अन्‍य किसी मेडिकल कंडीशन जैसे कि लिंफोमा, बोन ट्यूमर या हाइपरट्रॉफिक स्‍कार अथवा केलॉइड आदि की वजह से रेडिएशन एक्‍सपोजर होता है, तो इन मामलों में भी ब्रेस्‍ट कैंसर का जोखिम काफी बढ़ जाता है।

पुरुषों के मामले में, ब्रेस्‍ट लॉस और बॉडी डिसफिगरमेंट उतना बड़ा मसला नहीं होता, जितना कि महिलाओं के मामले में होता है। हालांकि निप्‍पल खोने का मनोवैज्ञानिक असर पुरुषों पर भी पड़ता है।

बीसीआरएफ समर्थित इंटरनेशनल मेल ब्रेस्ट कैंसर प्रोग्राम द्वारा हुए रिसर्च के अनुसार स्तन कैंसर से पीड़ित पुरुषों को शुरुआती चरण के स्तन कैंसर के लिए स्तन-संरक्षण सर्जरी करवाने या ईआर-पॉजिटिव बीमारी के लिए एंडोक्राइन थेरेपी प्राप्त करने की संभावना समान स्तन कैंसर वाली महिलाओं की तुलना में कम थी।

ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं की तरह पुरुषों में भी एक गंभीर बीमारी है, लेकिन समय रहते इसका निदान कर लिया जाए, तो जीवन को काफी हद तक बचाया जा सकता है।

पुरुषों में ब्रेस्‍ट कैंसर का कारण आमतौर पर हार्मोन पॉजिटिव डिजीज होता है। अगर जल्दी इसका पता लगाया जाए तो सर्जरी से इसका इलाज किया जा सकता है, जिसके बाद हार्मोन थेरेपी दी जाती है। महिलाओं की तरह पुरुषों में भी ब्रेस्ट कैंसर के एडवांस स्‍टेज में पहुंचने पर कीमोथेरेपी और रेडिएशन की जरूरत होती है।

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