संसद में सवाल: देश में ग्राम न्यायायलों की स्थिति क्या है? पश्चिमी यूपी में हाई कोर्ट की बेंच का प्रस्ताव है क्या?

ग्रामीण इलाके के लोगों को उनकी चौखट पर न्याय दिलाने के लिए ग्राम न्यायालय का प्रावधान है। गांव के ये कोर्ट कहां चल रहे हैं, इनकी क्या स्थिति पर संसद में सवाल पूछा गया है। इसके साथ पश्चिमी यूपी में इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच के बारे में सवाल किया गया।
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नई दिल्ली। गांवों में रहने वाले गरीब और वंचित लोगों को उनकी दहलीज पर न्याय दिलाने के लिए ग्राम न्यायालय बनाए जाते हैं। केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान समय में देश के 10 राज्यों में 256 ग्राम न्यायालय कार्यरत है। सबसे ज्यादा सक्रिय संचालित ग्राम न्यायालय मध्य प्रदेश ( 89) में हैं। दूसरे नंबर पर राजस्थान (45) और तीसरे पर उत्तर प्रदेश (43) हैं। संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने कहा कि वो देश के दूसरे राज्यों में ऐसे न्यायालयों की स्थापना के लिए राज्य सरकारों के संपर्क में है।

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान बीजेपी सांसद विद्युत वरण महतो और शिवसेना के सांसद संजय सदाशिव राव मांडलिक ने विधि एवं न्यान मंत्री से पूछा था कि देश में ग्राम न्यायालयों की स्थिति क्या है और क्या सरकार वंचित और सुविधा विहिन लोगों को त्वरित और सुलभ न्याय दिलाने के लिए न्यायिक अधिकारियों के लिए इन ग्राम न्यायालयों में सेवाएं देना अनिवार्य करने पर विचार कर रही है?

इसके जवाब में विधि एवं न्याय मंत्री ने कहा कि देश में 15 राज्यों में अब तक 476 ग्राम न्यायालय प्रस्तावित हैं, जिनमें से 10 राज्यों में 256 ग्राम न्यायालय कार्यरत हैं। सरकार ने गोवा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्धाख में एक भी ग्राम न्यायालय अब तक संचालित नहीं हो पाया है।

देश में संचालित ग्राम न्यायालयों पर सरकार का संसद में जवाब। सौजन्य- लोकसभा

सरकार ने कहा हाल ही नीति आयोग द्वारा ग्राम सचिवालय योजना का मूल्याकंन किया गया है और इसे 31-03-2026 तक तारी रखने का फैसला किया गया है। इसके लिए सरकार ने 50 करोड़ रुपए का बजट तय निर्धारित किया है।

लोकसभा सें लिखित जवाब में विधि एवं मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि नागरिकों को उनकी दहलीज पर न्याय दिलाने के लिए केंद्रीय सरकार ने ग्राम न्यायालय अधिनियम, 2008 अधिनियमित किया है। राज्य सरकारें संबंधित उच्च न्यायालय के परामर्श से,ग्राम न्यायालयों की स्थापना के लिए उत्तरदायी हैं। न्याय विभाग ने इन ग्राम पंचायतों में सेवा करने के लिए न्यायिक अधिकारियों के संबंध में कोई निर्देश जारी नहीं किए हैं। क्योंकि ग्राम न्यायालयों में न्यायाधिकारी की नियुक्ति राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती है।

केंद्र सरकार ग्राम न्यायलयों की स्थापना के लिए राज्य सरकारों को प्रोत्साहित करती है। योजना के तहत केंद्र सरकार प्रति ग्राम न्यायालय 18लाख रुपए अनावर्ती व्यय के लिए राज्य सरकार को तुरंत देती है जबकि केंद्र सरकार ग्राम न्यायायल के संचाल के लिए पहले तीन साल तक 3.20 लाख रुपए की प्रति वर्ष अतिरिक्त सहायता देती है।

पश्चिमी यूपी में इलाहाबाद हाई कोर्ट की बेंच का प्रस्ताव नहीं

संसद में पूछे गए एक अन्य जवाब में विधि एवं न्याय मंत्री ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ स्थापित करने का कोई प्रस्ताव सरकार के समक्ष लंबित नहीं है। बहुजन समाज पार्टी से सहारनपुर से सांसद हाजी फजलुर रहमान के सवाल के जवाब में कहा कि हालांकि 7 नवंबर 2021 को मेरठ, मुरादाबाद, गौतमबुद्ध नगर और मुजफ्फरनगर की बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं को एक संयुक्त दल विधि एवं न्याय मंत्री से मिला था और पश्चिमी यूपी में खंडपीठ की स्थापना के लिए निवेदन किया था।

पश्चिमी यूपी में इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच के संबंध में सरकार का जवाब

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