आम की खेती से मुनाफा तभी होता है जब समय पर सही कृषि कार्य किए जाएं। अगर किसी भी काम में देरी हो जाती है, तो इससे बागवान को बड़ा नुकसान हो सकता है और खेती फायदे का सौदा नहीं रह जाएगी।
कटाई-छंटाई है बहुत ज़रूरी
फलों की तुड़ाई के बाद सबसे पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करें। सूखी और रोगग्रस्त टहनियों की छंटाई करें और पेड़ का आकार ऐसा रखें कि सूर्य की किरणें ज़मीन तक पहुँच सकें। इससे पेड़ में नमी कम होगी और बीमारियों का ख़तरा भी घटेगा। उत्तर प्रदेश और बिहार के किसान अक्सर कटाई-छंटाई नहीं करते, जिससे पेड़ बहुत घने हो जाते हैं और सूर्य की किरणें ज़मीन तक नहीं पहुँच पातीं। इसीलिए बीच-बीच की टहनियों को निकालें, ताकि रोशनी सभी टहनियों तक पहुँच सके।
खाद और उर्वरकों का सही इस्तेमाल
फलों की तुड़ाई के बाद, पेड़ों में सही मात्रा में खाद और उर्वरक डालना बहुत ज़रूरी है। एक वयस्क आम के पेड़ के लिए 500 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फॉस्फोरस और 500 ग्राम पोटैशियम देना चाहिए। इसके लिए 550 ग्राम डाई अमोनियम फास्फेट (DAP), 850 ग्राम यूरिया और 750 ग्राम म्यूरेट आफ पोटाश प्रति पेड़ दें। इसके साथ 20-25 किलो सड़ी गोबर या कम्पोस्ट खाद भी डालें। खाद डालने के लिए पेड़ के चारों ओर 1.5 से 2 मीटर दूर तक 9 इंच चौड़ा और 9 इंच गहरा रिंग बनाएं। उसमें खाद डालकर मिट्टी से भर दें और सिंचाई करें। ध्यान रखें, 15 सितंबर के बाद कोई खाद या उर्वरक न डालें, क्योंकि इस समय पेड़ फूल और फल बनाने की प्रक्रिया में होता है।
रोग और कीटों का प्रबंधन
रोग और कीटों का प्रबंधन भी बहुत ज़रूरी है। जुलाई-अगस्त में मोनोक्रोटोफॉस या डाइमेथोएट का छिड़काव करें। मकड़ी के जाले साफ करें और प्रभावित हिस्सों को काटकर जला दें। अधिक नमी होने से लाल जंग रोग और एन्थ्रेक्नोज रोग हो सकते हैं, इसके लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें। सितंबर में दोबारा मोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव करें और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का 2-3 बार छिड़काव करें। अक्टूबर में डाई-बैक रोग के लक्षण दिखें तो टहनियों की छंटाई करें और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें।
गमोसिस और अन्य समस्याओं का समाधान
गमोसिस जैसी समस्याओं के लिए बोर्डो पेस्ट का इस्तेमाल करें और प्रभावित हिस्सों पर कॉपर सल्फेट लगाएं। दिसंबर में बाग की हल्की जुताई करें और खरपतवार निकाल दें। मिलीबग कीट के लिए अल्केथेन शीट का इस्तेमाल करें और पेड़ों के तनों पर ग्रीस लगाएँ। मिली बग कीट के नियंत्रण के लिए कार्बोसल्फान या क्लोरपायरीफॉस ग्रेन्यूल्स का छिड़काव करें। छाल खाने वाले कीड़ों के लिए उनके छेदों में मोनोक्रोटोफॉस डालें और फिर उन्हें वैक्स या गीली मिट्टी से बंद करें।
जनवरी में विशेष ध्यान
जनवरी में बौर जल्दी निकल आएं तो उन्हें तोड़ दें। इससे गमोसिस रोग का प्रकोप कम होगा। पुष्प मिज कीट के प्रकोप को रोकने के लिए क्विनालफास या डाइमेथोएट का छिड़काव करें।
अगर इन सभी उपायों को सही समय पर अपनाया जाए तो अगले साल आम की फसल अच्छी होगी और आपको बंपर उत्पादन मिलेगा। इसलिए, अभी से तैयारी शुरू कर दें।