नई दिल्ली (भाषा)। ज्यादातर राज्यों ने चुनावों के दौरान मतदाताओं को रिश्वत दिए जाने को ‘संज्ञेय’ अपराध बनाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है। चुनाव आयोग का मानना है कि यह चुनाव में धन के इस्तेमाल पर अंकुश लगाएगा।
फिलहाल मतदाताओं को रिश्वत देना दंड प्रक्रिया संहिता के तहत असंज्ञेय अपराध है और इसके लिए आईपीसी की धारा 171 बी और 171 ई के तहत एक साल तक के कारावास या जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है। संज्ञेय अपराध के मामले में पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है और जांच शुरू कर सकती है।
चुनाव आयोग के प्रस्ताव के आधार पर गृह मंत्रालय ने सीआरपीसी (संशोधन) विधेयक, 2012 का मसौदा तैयार किया था। इसमें जनवरी तक असम, गुजरात, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया था। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर मसौदा विधेयक पर शीघ्र फैसला करने को कहा है।
जैदी ने एक दिसंबर 2016 को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि आयोग के प्रस्ताव के अनुसार सीआरपीसी के प्रासंगिक प्रावधान में अविलंब संशोधन के मामले पर शीघ्र विचार करें।’
इससे पहले आयोग ने विधि मंत्रालय से कहा था कि वह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन करे ताकि मतदाताओं को लुभाने के लिए धन बल का इस्तेमाल किए जाने का सबूत मिलने पर उसे चुनाव रद्द करने की शक्ति मिले। लेकिन विधि मंत्रालय ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। हालांकि, जैदी ने एकबार फिर विधि मंत्रालय को प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने के लिए पत्र लिखकर इसे आगे बढ़ाने की कोशिश की है।