नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी मंत्रिपरिषद शामिल में शामिल ज्यादातर चेहरे पुराने थे, लेकिन कई नए चेहरे भी थे, इनमें एक नाम जो चौंकाने वाला था वो था पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर का था।
अनुभवी राजनयिक जयशंकर चीन और अमेरिका के साथ बातचीत में भारत के प्रतिनिधि थे। 1977 बैच के आईएफएस अधिकारी जयशंकर ने लद्दाख के देपसांग और डोकलाम गतिरोध के बाद चीन के साथ संकट को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देश के प्रमुख सामरिक विश्लेषकों में से एक दिवंगत के . सुब्रमण्यम के पुत्र जयशंकर ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के लिए बातचीत करने वाली भारतीय टीम के एक प्रमुख सदस्य थे।
इस समझौते के लिए 2005 में शुरूआत हुई थी और 2007 में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संप्रग सरकार ने इस पर हस्ताक्षर किए थे। जनवरी 2015 में जयशंकर को विदेश सचिव नियुक्त किया गया था और सुजाता सिंह को हटाने के सरकार के फैसले के समय को लेकर विभिन्न तबकों ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी थी।
विदेश सेवा का अनुभव और वरिष्ठ भाजपा नेता सुषमा स्वराज की कैबिनेट में गैर मौजूदगी की वजह से माना जा रहा है एस जयशंकर को विदेश मंत्रालय मिलेगा। शपथ ग्रहण समारोह के बाद कई टीवी चैनलों पर बहस के दौरान कई वरिष्ठ पत्रकारों ने उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने पर नरेंद्र मोदी की सराहना की।
जयशंकर अमेरिका और चीन में भारत के राजदूत के पदों पर भी काम कर चुके हैं। जयशंकर सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त और चेक गणराज्य में राजदूत पदों पर भी काम कर चुके हैं। 64 वर्षीय जयशंकर जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव थे। पिछले साल सेवानिवृत्त होने के तीन महीने के भीतर टाटा समूह ने उन्हें वैश्विक कॉर्पोरेट मामलों के लिए अपना अध्यक्ष नियुक्त किया था।
सेंट स्टीफन कॉलेज से स्नातक जयशंकर ने राजनीति विज्ञान में एमए और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एमफिल और पीएचडी की उपाधि हासिल की है। जयशंकर की शादी क्योको जयशंकर से हुई है और उनके दो पुत्र और एक पुत्री हैं। जयशंकर को 2019 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। (भाषा के इनपुट के साथ)