मथुरा। ”बकरियों के बच्चों में दस्त सबसे गंभीर बीमारी है। इसकी चपेट में जो भी बच्चा आता है उसकी तो मौत होती ही है साथ ही और बच्चों में भी यह बीमारी फैल जाती है। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है। पशुओं के पास साफ-सफाई और उनके पानी में पोटेशियम परमेगनेट (लाल दवा) के प्रयोग से ही इस बीमारी को रोका जा सकता है। बकरियों में होने वाली लगभग छोटी बड़ी 70 फीसदी बीमारी साफ सफाई से दूर हो जाती है।” ऐसा बताते हैं, मथुरा स्थित केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी) के बकरी स्वास्थ्य विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ़ अशोक कुमार।
बरेली के इज्जतनगर स्थित भारतीय पशु अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) द्ववारा चल रही फार्मर फस्ट परियोजना के तहत बरेली के 35 किसानों को चार दिवसीय बकरी एवं भेड़ पालन प्रशिक्षण के लिए मथुरा के सीआईआरजी लाया गया है। इस प्रशिक्षण में किसानों को प्रथम चरण में बकरियों और भेड़ के प्रमुख रोगों और उनके स्वास्थ्य प्रंबधन की जानकारी दी गई।
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प्रधान वैज्ञानिक डॅा़ अशोक कुमार ने बताया, ”प्रशिक्षण में आए किसानों को भेड़ और बकरियों में होने वाले रोग, उसके उपचार के बारे में बताया गया। साथ ही भेड़ और बकरियों का किस समय कौन सा टीकाकरण कराया जाए इसके बारे में जानकारी दी गई। शुरु में ही मेमनों की देखभाल के तरीके बताए ताकि उनकी मौत न हो। ज्यादातर किसान शुरु के तीन महीनों में मेमनों पर ध्यान नहीं देते है, जिससे वो मर जाते है और किसान को नुकसान होता है।”
फार्मर फस्ट परियोजना के तहत बरेली जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर मझगवां ब्लॉक के पांच ग्रांम पंचायतों के नौ गाँव के 21 परिवारों को निशुल्क तीन-तीन बकरियां बांटी गई है। प्रशिक्षण लेने आए मझगवां ब्लॅाक के फतेहगंज गाँव के महीपाल (40 वर्ष) बताते हैं, ”पिछले नौ दिन से मेरी एक बकरी चारा नहीं खा रही है। ब्लॅाक में डॅाक्टर को दिखाया तो उन्होंने बुखार की दवा दे दी, लेकिन ठीक नहीं हुआ। इस प्रशिक्षण में मैंने डॅाक्टर साहब से परेशानी बताई है जिसके लिए उन्होंने दवा भी बताई है। इस प्रशिक्षण में हमको काफी जानकारी मिली है। बीमारी और दवा का नाम भी हमने लिखा है।”
प्रशिक्षण के दौरान किसानों को सीआईआरजी के बरबरी और भेड़ प्रक्षेत्र का भी भ्रमण कराया गया। उनका आवास प्रंबधन और खाने-पीने की किस तरह व्यवस्था की जाए इसके बारे में भी किसानों को बताया गया।
भेड़ एवं बकरियों के हर्बल उपचार के बारे में सीआईआरजी की प्रधान वैज्ञानिक डॅा अनु राहल ने बताया, ”अमरबेल, अजवाइन, इमली, ऐलोवेरा जैसे कई ऐसी चीज़े जिनका प्रयोग करके किसान बकरियों और भेड़ों में होने वाली कई बीमारियों अपने स्तर पर ही ठीक कर सकते है। जानकारी के अभाव में किसान घरेलू उपचार नहीं करते है जबकि घरेलू उपचार बहुत ही कारगर है। घरेलू उपचार से पशुओं में कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है।’