जगराओं (लुधियाना)। पंजाब में किसान खेती के साथ-साथ डेयरी को न सिर्फ मुख्य कारोबार के रूप में अपना रहे हैं, बल्कि नई तकनीकों का भी उपयोग कर रहे हैं।
यह तस्वीर सामने आई बीती 15 से 17 दिसंबर तक लुधियाना के जगराओं में लगाई गई 13वें पीडीएफए इंटरनेशनल डेयरी एंड एग्री एक्सपो-2018 में, जहां हजारों की संख्या में किसान डेयरी व्यवसाय को मुख्य रूप से अपनाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं।
प्रोग्रेसिव डेयरी फार्मर्स एसोसिएशन (पीडीएफए) पिछले 13 वर्षों से डेयरी व्यवसाय को एक नई दिशा देने के प्रयास में काम रही है। इस संगठन के प्रबंधन निदेशक दलजीत सिंह गिल ‘गाँव कनेक्शन’ को बताते हैं, “आज हमारे संगठन से 27 हज़ार डेयरी किसान जुड़ चुके हैं, जिसमें 7000 व्यवसायिक डेयरी किसान हैं और 20 हज़ार छोटे डेयरी किसान हैं। हमारी कोशिश है कि पंजाब के किसानों को व्यवसायिक डेयरी फार्मिंग से जोड़ने के लिए डेयरी कारोबार से जुड़ी मशीनरी, नई तकनीकों को अपनाने के लिए किसानों को लगातार जागरूक किया जाता रहे।” वह कहते हैं, “7000 व्यवसायिक डेयरी फार्म जो तैयार हुए हैं, उनमें 18 लीटर दूध देने वाली गायों को 66 लीटर तक पहुंचा दिया है।”
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इक्कीस वर्षीय वरुण कुंबज ने वर्ष 2012 में दो गायों से डेयरी कारोबार की शुरुआत की थी, लेकिन आज उनके पास 59 पशु हैं और उन्होंने अपने डेयरी व्यवसाय को मुख्य कारोबार बना लिया है। जालंधर जिले में रहने वाले वरुण ‘गाँव कनेक्शन’ को बताते हैं, “पहले हमारे यहां पोल्ट्री का काम होता है, लेकिन फिर पीडीएफए से जुड़े और डेयरी व्यवसाय को अपनाया। पीडीएफए ने डेयरी कारोबार से जुड़ी मशीनरी, पशुओं की नस्ल, खुराक, दवाइयों के बारे में जानकारी दी, जिनको मैंने अपनाया और अब व्यवसायिक तरीके से डेयरी चला रहे हैं।”
वरुण के फार्म में इस समय 55 गाय और 4 भैंसे हैं, जिनमें से गायों से रोजाना 250 किलो दूध और भैंसों से 18 किलो दूध का उत्पादन होता है। इस दूध को बड़ी कंपनियों को बेचते हैं। वरुण जैसे पंजाब के हज़ारों किसान डेयरी व्यवसाय को मुख्य कारोबार बनाकर उनसे अच्छी कमाई कर रहे हैं।
संगठन प्रबंधन निदेशक दलजीत सिंह गिल बताते हैं, ”जब इस संगठन को शुरू किया गया तब इसमें करीब 50 किसान थे, फिर वर्ष 2002 में मुझे इसका प्रेसीडेंट बनाया गया तब मैंने डेयरी को व्यवसायिक स्तर पर लाने की कोशिश की। पहले पशुपालक को खेती के सहायक व्यवसाय के रूप में देखा जाता था, जबकि ये मुख्य कारोबार है। इसलिए हमने इसे आगे बढ़ाने की कोशिश की, बैंकों ने ओएमयू साइन किए जिससे किसानों को कर्ज मिल सके।”
दलजीत सिंह ने बताया, ”हर महीने डेयरी किसानों के लिए सेमिनार कराया जाता है जिसमें मशीनरी से लेकर पशुओं के पोषण की पूरी जानकारी मिलती है। इसके अलावा हम हर वर्ष डेयरी एक्सपो का आयोजन भी करते हैं जिसमें देश-विदेश की नई तकनीकों को जान सके और उन्हें अपनाए। जैसे और देशों में होता है।”
भारत 165 मिलियन टन सालाना दुग्ध उत्पादन के साथ पिछले 15 वर्षों से विश्व का सर्वाधिक दूध उत्पादन करने वाला देश बना हुआ है। भारत में उत्तर प्रदेश, गुजरात और पंजाब तीन सबसे बड़े प्रदेश हैं, जो बड़ी मात्रा में दूध का उत्पादन करते हैं। पंजाब में बड़ी मात्रा में दूध उत्पादन तो होता ही है, साथ ही किसानों को यह राज्य अच्छी ब्रीड तैयार करने में भी आगे आ रहा है। इसी कारण गुजरात, यूपी, बिहार और आंध्र प्रदेश में पंजाब की गायों की काफी डिमांड है।
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मोंगा जिले के गुरुमीत रोडे पिछले कई वर्षों से ब्रीडिंग पर काम कर रहे हैं। गुरुमीत अपनी डेयरी भी चला रहे हैं और डेयरी कारोबार को खेती से बेहतर मानते हैं। उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया, ”डेयरी कारोबार में एक एकड़ में अच्छी ब्रीड की गाय को पालकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, लेकिन एक एकड़ में खेती से उतना मुनाफा नहीं कमा सकते हैं।” उत्तर प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडू और केरल राज्यों में गुरुमीत अपने फार्म में तैयार की गई गाय की अच्छी नस्लों को भेजते हैं।
दलजीत आगे बताते हैं, “जो डेयरी हमारे संगठन से जुड़े है उनको पोषण की जानकारी दी गई। अमेरिका से इम्पोटेड सीमन उपलब्ध कराए गए। जिससे जो गाय प्रतिदिन 20 से 22 लीटर दूध दे रही थी वो 60 से 70 लीटर तक पहुंच गई है।” आगे बताया, ”कास्ट प्रोडक्शन को कैसे कम किया जाए और किसान की आय कैसे बढ़ाई जाए इस पर भी हमने काम किया। और यह काम किसान के द्वारा किया क्योंकि किसान ही किसान को अच्छा समझा सकता है।”