कानपुर। अगर हम कोई काम करने की ठान लें तो उम्र उसमे बाधा नहीं बनती है ये साबित कर दिया है 17 वर्षीय मानसी द्विवेदी ने। इन्होने वर्ष 2014 में शुरू हुए प्रधानमंत्री के ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को सफल बनाने के लिए अपने मोहल्ले से झाड़ू लगाना शुरू किया, इनका कारवां इतना आगे बढ़ा कि अभी हाल ही देश के राष्ट्रपति ने उनके कार्यों की सराहना की। मानसी ने एक टीम बनाकर स्कूल-स्कूल जाकर ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का सन्देश दे रही हैं।
कानपुर नगर जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर शुक्लागंज कंचननगर में रहने वाली मानसी द्विवेदी बीए प्रथम वर्ष की छात्रा हैं। मानसी ने बताया, “गांधी जयंती पर जब प्रधानमंत्री ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की शुरुआत की तो उस समय हमने अपने पड़ोस में सभी के साथ मिलकर झाड़ू लगाई, इसके बाद स्कूल में यदि किसी को कूड़ा फेंकते देखती तो उससे निवेदन करके वो कूड़ा कूड़ेदान में डलवा देती, स्वच्छता के लिए किसी पर दबाव बनाने व मजबूर करने से सुधार नहीं हो सकता, जबतक वो खुद न चाह ले।”
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वो आगे बताती हैं, “मैंने कभी कोई रैली या बहुत बढ़ा अभियान नहीं चलाया पर अपने साथी मित्रों की मदद से कालेज परिसर में कहीं भी कूड़ा या गंदगी न रहे ये हमारी कोशिश जरुर रही, मेरा मानना है कि अगर आप एक स्टूडेंट की सोच बदलते हैं तो आप एक कम्युनिटी की सोच को बदलते हैं, इसी सोच को लेक्लर मैंने सिर्फ विद्यार्थियों की सोच बदलने की कोशिश की।”
कानपुर बिठूर के ईश्वरीगंज में 15 सितंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ‘स्वच्छता ही सेवा अभियान’ कार्यक्रम में आये थे। जिसमे सात लोगों को मंच से स्वच्छता अभियान पर भाषण देने के लिए चुना गया था। इसमे मानसी का नाम भी शामिल किया गया था। मानसी के भाषण के बाद राष्ट्रपति ने इनके कार्यों की सराहना की थी। मानसी ने बताया, “राष्ट्रपति जी की तारीफ़ के बाद मुझे ऐसा लगता है मेरी जिम्मेदारी अब बढ़ गयी है, पहले तो मै लोगों को अकेले ही जागरूक करती थी पर अब मुझे लगता है मेरे अपनी एक टीम हो जो स्कूल-स्कूल जाकर बच्चों को जागरूक करे।”
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मानसी ने 23 सितम्बर को ‘वन्दे भारतम’ नाम से एक टीम बनाई है। जो ‘स्वच्छता-सेवा-समर्पण’ को लेकर काम करेगी। 23 सितम्बर से इस टीम का स्कूलों में जाना शुरू हो गया है। ये टीम सिर्फ स्वच्छता पर ही काम नहीं करेगी बल्कि और भी कई मुद्दों पर काम करेगी। मानसी ने बताया, “हमारे इस अभियान से हमारी पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए हमने दो दिन चुने हैं, हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को हमारी टीम स्कूलों में बच्चों को चार्ट पेपर बनाकर, गीतों के माध्यम से, पेड़-पौधे लगाकर, साफ़-सफाई करके, स्पीच के द्वारा जागरूक करेंगे।”
मानसी की माँ बविता दिवेदी ने बताया, “ये माइक में बोलने से कभी नहीं डरी, जब ढाई साल की थी तब पहली बार इसने माइक से चुटकुला सुनाने की जिद की थी, बचपन से ही स्कूल के टीचर इसे सुपर कम्प्यूटर कहकर बुलाते थे, सब कहते थे तुम्हारी बेटी बहुत अलग सोचती है, आज इसने अपनी सोच से ये साबित भी कर दिया है।”
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मानसी के इस काम में इनके परिवार का पूरा सहयोग मिलता है। इन्हें लिखने का बहुत शौक हैं, मानसी ने बताया, “मुझे लिखने की प्रेरणा नीलेश सर की कहानियों से मिली है, मुझे उनकी कहानियां सुनना बहुत अच्छा लगता है, सर की हर कहानी से मै कुछ न कुछ जरुर सीखती हूँ।”