जल्दी ख़राब होने वाले उत्पाद जैसे हरी सब्जियां और दूध किसानों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। ख़राब होने से बचाने के लिए किसान अक्सर इन्हें औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर हो जाते हैं। लेकिन यूपी के रामपुर ज़िले के एफपीओ ने इसका हल निकाल लिया है। किसान, अब कई दिन तक हरी सब्जियों और दूध जैसे उत्पादों ख़राब होने से बचा सकते हैं।
रामपुर जिले में चमरव्वा ब्लॉक के पसियापुर जनूबी गाँव के ‘रामपुर कृषक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड’ के पास अपना खुद का कोल्ड स्टोरेज और साइलो है। अब तक रामपुर के लगभग दो हज़ार किसान इससे जुड़ चुके हैं।
“किसान को फसल का उचित मूल्य चाहिए होता है। कई बार किसान मंडी में फसल लेकर जाता है, लेकिन मंडी में उस दिन उसका इतना कम दाम होता है कि उसकी लागत भी नहीं निकल पाती है। अगर किसान के पास ऐसी व्यवस्था हो जिसे वो अपने उत्पाद को तीन-चार दिन या फिर हफ्ते दस दिन भी रोक ले तो उसे अच्छा दाम मिल सकता है, क्योंकि मंडी में उसकी आवक कम हो जाती है,” एफपीओ अध्यक्ष, अमित वर्मा (46 वर्ष) ने कहा।
क्या होता है एफपीओ
एफपीओ यानी किसान उत्पादक संगठन, किसानों का एक ऐसा समूह जो अपने क्षेत्र में फसल उत्पादन से लेकर खेती-किसानी से जुड़ी तमाम व्यावसायिक गतिविधियाँ भी चलाता है। एफपीओ में 100 से लेकर कई हजार किसान तक शामिल हो सकते हैं। एफपीओ के जरिये किसानों को न सिर्फ कृषि उपकरण के साथ खाद, बीज, उर्वरक जैसे कई उत्पादों को थोक में खरीदने की छूट मिलती है बल्कि वो तैयार फसल, उसकी प्रोसेसिंग करके उत्पाद को मार्केट में बेच भी सकते हैं। एक तरह से ये सहकारिता पर आधारित प्राइवेट कंपनियां होती हैं।
देश के छोटे और सीमांत किसानों को उनकी उपज की बेहतर कीमत मिल सके, इसके लिए केंद्र सरकार भी एफपीओ को ख़ासा बढ़ावा दे रही है। साल 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात कह रही सरकार ने 2024 तक देश में 10,000 नए एफपीओ बनाने का लक्ष्य रखा है।
रामपुर में इस एफ़पीओ की शुरुआत करने के विचार के बारे में अमित वर्मा ने गांव कनेक्शन को बताया, “कहीं पर जॉब करने पर हम एक जगह पर बंधकर रह जाते हैं, लेकिन एफपीओ के माध्यम से हम लोगों को तक पहुंचते हैं और कहीं न कहीं इससे समाज सेवा भी होती रहती है।” इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग और एमबीए करने और कई साल नौकरी करने के बाद करीब दो साल पहले अमित वर्मा ने एफपीओ की शुरूआत की।
आज गाँव में कोल्ड स्टोरेज बनकर तैयार हो गया है, इसके साथ ही अमित मोबाइल सोलर कोल्ड स्टोरेज की भी शुरूआत करने जा रहे हैं। अमित बताते हैं, “गाँव से मंडी तक उत्पाद ले जाना भी एक प्रक्रिया है। कुछ ऐसी चीजें होती हैं, जिसे रात में ही तोड़ा जाता हैं और सुबह मंडी ले जाते हैं। उतनी देर में तो मुरझा जाती है। मंडी में भी एक गिरोह काम करता है, जो चाहता ही नहीं कि किसान को सही दाम मिले। इसलिए हमने ये सोलर मोबाइल कोल्ड स्टोरेज बनाया है। ये सोलर से चलता है।”
“दूसरी बात ट्रांसपोर्ट बहुत महंगा पड़ता है, मान लीजिए आप लखनऊ से 100 किलोमीटर दूर लेकर जाते हैं तो 10-15 हजार रुपए भाड़ा लग जाता है। किसान कहां से इतना भाड़ा देगा। तब हमें लगा कि किसान छोटे समूह बनाए, क्योंकि अकेले तो किसान कर नहीं सकता, कुछ लोग तैयार भी हुए। लोगों की मदद से हमने पहला कोल्ड स्टोरेज बनाया और वो सफल भी हुआ, “अमित ने आगे बताया।
अमित बताते हैं कि ट्रांसपोर्ट के बाद, सबसे ज्यादा खर्च बिजली का ही आता है और गाँवों में अक्सर बिजली रहती नहीं। सोलर ऐसा है कि इसे एक बार लगाने पर कई साल की फुर्सत मिल जाती है। यह लाइट और जनरेटर से भी चल सकता है। हमने इसमें ट्रैक्टर से भी कनेक्शन रखा है। किसान के पास ट्रैक्टर तो होता ही है, अगर एक किसान के पास नहीं है तो समूह में तो किसी किसान के पास ट्रैक्टर होगा ही। दस मीट्रिक टन क्षमता का कोल्ड स्टोरेज दस लाख रुपए से भी कम लागत में बन जाता है।
इसके साथ ही अनाज भंडारण के लिए गाँव में ही साइलो भी बनाया गया है। अमित बताते हैं, “हमने अनाज रखने के लिए साइलो भी बनाया है, जिसमें किसान अनाज रख सकते हैं। किसान के पास भंडारण की सुविधा नहीं होती है इसलिए फसल की कटाई के बाद किसान को अनाज बेचना पड़ता है। इसमें अनाज को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं।”
साइलो एक बहुत पुरानी तकनीक होती है, अब तो ज़मीन में लोगों के पास इतनी जगह बची नहीं। पहले हर घर में एक मिट्टी की कुटिया होती थी, जिसमें किसान अनाज रखता था, उसी का मॉडर्न रुप साइलो होता है। साइलो का साइज जैसे-जैसे बढ़ता है, इसका खर्च कम हो जाता है। सौ मीट्रिक टन क्षमता का साइलो बनाने में दस लाख रुपए तक लग जाते हैं, जबकि पांच सौ मीट्रिक टन में बीस लाख का ही खर्च होता है। अभी रामपुर एफपीओ में अनाज भंडारण के लिए 100 मीट्रिक टन क्षमता के पांच मॉडल साइलो बनाए जा रहे हैं। एक बार साइलो बनाने पर कई साल तक अनाज भंडारण कर सकते हैं।
इसके साथ ही रामपुर कृषक एफपीओ दो हजार सदस्यों के साथ औषधीय फसलों की खेती भी कर रहा है। लेमनग्रास, मोरिंगा, तुलसी जैसी फसलों की खेती करके उनसे कई तरह के उत्पाद भी बना रहे हैं।
रामपुर के जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “रामपुर का ये पहला एफपीओ है, इसके सारे सदस्य काफी जागरुक हैं, खासकर के अमित वर्मा, इन सबने बड़े उत्साह के साथ एफपीओ की शुरूआत की है। दो साल के अंदर ही इन्होंने कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं। इस एफपीओ की उपलब्धियाँ देखकर आज रामपुर में पांच एफपीओ बन गए हैं जो कि जिले के लिए बड़ी बात है।”
“एफपीओ ने प्रदेश का पहला सोलर कोल्ड स्टोरेज बनाया और अब तो मोबाइल कोल्ड स्टोरेज भी बना रहे हैं, साइलो भी एक बड़ी उपलब्धि है। ये सिर्फ रामपुर ही नहीं पूरे प्रदेश की उपलब्धि है। हम उनके साथ और भी काम कर रहे हैं, जैसे कि अभी हमने आहार से उपचार की शुरूआत की है, इसमें कुपोषित बच्चों को पोषण युक्त आहार उपलब्ध करा रहे हैं,” आन्जनेय कुमार सिंह ने आगे बताया।