संगीता नात के लिए डिलीवरी एसोसिएट के तौर पर काम करने के लिए इससे बेहतर वक्त नहीं हो सकता था।
नात ने गाँव कनेक्शन को बताया, “एक पारिवारिक दोस्त ने मुझे इवेन कार्गो द्वारा दी जा रही ट्रेनिंग के लिए अप्लाई करने की सलाह दी और अब मैं फ्लिपकार्ट में डिलीवरी एसोसिएट के तौर पर काम कर रही हूं। यह फैसला जिंदगी को बदलने वाला था क्योंकि अब मैं अपना परिवार चलाने के लिए पर्याप्त पैसा कमाती हूं और पैसे को बचाने में सक्षम भी हूं।”
ईवेन कार्गो दिल्ली का एक महिला लॉजिस्टिक प्लेटफॉर्म है जो समाज की आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को ड्राइव करने, अपने वाहन हासिल करने और उन्हें डिस्पैच राइडर की नौकरी का मौका देने के लिए ट्रेनिंग करवाता है। 2016 में शुरू हुआ यह संगठन महिलाओं को ड्राइविंग, सॉफ्ट स्किल्स और लॉजिस्टिक्स की ट्रेनिंग देता है। लॉजिस्टिक्स में ट्रेंड होने पर और वित्तीय सहायता प्रदान करने पर, ये महिलाएं फ्लिपकार्ट और अमेज़ॅन जैसे कुछ प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के साथ डिलीवरी एसोसिएट बन कर काम करती हैं।
हालांकि संगीता का यह सफर कांटों भरा था। वह राजस्थान के भीलवाड़ा में जन्मी और वहीं पली बढ़ी, उन्ळोंने अपने पिता की शराब की लत और हिंसक व्यवहार की वजह से कम उम्र में अपना घर छोड़ दिया, उसके पिता 15 साल की उम्र में ही उसकी शादी कराना चाहते थे। वह अब अजमेर में अपनी नानी के साथ रहती हैं। संगीता ने गाँव कनेक्शन को बताया कि वह 14 हजार रुपये कमाती हैं, जिसमें से 10 हजार रुपये घर भेजती है और 4 हजार रुपये अपने लिए बचाती हैं।
उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया, “किसी की जिंदगी में नौकरी से जो आजादी मिलती है, वह अद्वितीय है। मेरी कजिन हमेशा चाचा से पैसा मांगती हैं, भले ही उन्हें अपने लिए एक साबुन ही क्यों न खरीदना हो, लेकिन मैं अपना पैसा कहीं भी और जब भी चाहूं खर्च कर सकती हूं और इस आजादी को में पसंद करती हूं।”
संगीता अकेली नहीं है जिसकी जिंदगी में इवन कार्गो की ट्रेनिंग ने सकारात्मक बदलाव लाया है। संजूशा राउत भी उन 250 महिलाओं में शामिल हैं, जिन्हें सामाजिक उद्यम के जरिए सशक्त बनाया गया है।
35 वर्षीय राउत, महाराष्ट्र के अमरावती के बडनेरा कस्बे में अमेजन के लिए डिलीवरी एसोसिएट के रूप में काम करती हैं। वह पहले अपने घर के पास एक फैक्ट्री में काम करती थीं, जहां वह कंपनी में बनने वाली दवाओं की पैकेजिंग और लेबलिंग का काम करती थीं।
काम का समय ज्यादा था, वेतन कम था और महामारी के बीच नौकरी चली गई। जिंदगी इन 4 सदस्यों वाले परिवार के लिए संघर्ष बन कर रह गई क्योंकि उनका पति जो एक ड्राइवर था, वह भी आसानी से अपना पेट नहीं भर सकता था।
उसने ईवन कार्गो के बारे में तब सुना जब एक अमेज़न डिलीवरी बॉय ने अपनी बहन को एक पैम्फलेट दिया और उसे ईवन कार्गो द्वारा दी जाने वाली ट्रेनिंग के बारे में बताया। राउत ने गाँव कनेक्शन को बताया, ” मौका सही था और मैंने इसके लिए खुद का रजिस्ट्रेशन करवाया। अब मैं और मेरे तीन दोस्त अमेज़न में डिलीवरी एसोसिएट्स हैं। वेतन 15,000 रुपये हैं और यह उससे कहीं बेहतर है जो मैं कारखाने में कमाती थी।”
ईवन कार्गो के आंकड़ों के अनुसार, महिला डिलीवरी एसोसिएट पुरुष समकक्षों की तुलना में 15 प्रतिशत ज्यादा कमाते हैं। संगठन वर्तमान में दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, महाराष्ट्र, हैदराबाद और मध्य प्रदेश में 250 से अधिक महिला डिलीवरी एसोसिएट्स को नियुक्त कर चुका है।
इसका उद्देश्य महिलाओं को ई-रिक्शा और ई-वैन ड्राइवर बनने की ट्रेनिंग देकर अपने उद्यम बढ़ाना है।
हालांकि, दोनों डिलीवरी एसोसिएट्स ने बताया कि स्कूटर के पेट्रोल और उसके रखरखाव का खर्च वह खुद उठाती हैं। न तो कार्गो और न ही ई-कॉमर्स प्लेटफार्म जिनके लिए वह काम करती हैं, उनका खर्च उठाती है। जिसकी वजह से उन्हें महीने में अपनी जेब से कम से कम 3 से 4 हजार तक खर्च करने पड़ते हैं।
राउत ने बताया, “कुछ महीने पहले मेरा हाथ टूट गया था। मुझे दो महिने तक घर पर बैठना पड़ा और मैं काम नहीं कर सकी। हालांकि किसी भी कम्पनी ने इलाज में मदद नहीं की, लेकिन मैंने हार नहीं मानी मेरी तबीयत जैसे ही बेहतर हुई मैंने नोकरी फिर से ज्वाइन कर ली। “
इसके अलावा, नात ने गाँव कनेक्शन को बताया कि जहां वह काम करती है वहां का माहौल अच्छा है और उसे स्थानीय कॉलेज से ग्रेजुएशन करने का टाइम मिल गया है, उसके अनुसार नौकरी का सबसे दिलचस्प हिस्सा, जब भी प्रोडक्ट डिलीवरी करने जाती है तो लोगों को ताज्जुब होता है।
उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया, “लोग जब भी देखते हैं कि सामान देने के लिए पुरुष की जगह पर एक महिला है तो वह हैरान हो जाते हैं।” जब उनसे उनकी प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने जवाब दिया, “मैं बस उनका मुस्कान के साथ शुक्रिया अदा करती हूं और चली जाती हूं।”
अनुवाद: मोहम्मद अब्दुल्ला सिद्दीकी