कर्नाटक में कोविड-19 प्रभावित परिवारों की आजीविका और बच्चों की पढ़ाई में कर रहे हैं मदद

कोविड-15 महामारी के चलते कर्नाटक में गरीब महिलाओं और बच्चों की जिंदगी पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा। कमाई का जरिया बंद होने से कई परिवारों में बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हुई है। ऐसे में एक एनजीओ ऐसे परिवारों को महामारी के कारण हुई आर्थिक तबाही से उबरने में मदद कर रहा है, जिसकी मुखिया महिला हैं।
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साल 2020 में COVID-19 से अपने पति को खोने वाली हसीना अपने छह सदस्यों वाले परिवार में अकेली कमाने वाली हैं। वो बीड़ी बनाने, चूड़ी बेचने और छोटी स्टेशनरी की दुकान जैसे कई छोटे-मोटे काम करती रहती हैं।

हसीना ने गाँव कनेक्शन को बताया, “मैं घर-घर चूड़ियां बेचती हूं और कोई समारोह होने पर लोग मुझे अपने घर बुलाते हैं। मैं महीने में करीब चार हजार रुपए कमा लेती हूं।”

हावेरी जिले के रानेबेन्नूर तालुक की एकेजी कॉलोनी के पास एक झुग्गी बस्ती में रहने वाली हसीना ने बताया, “मेरा छोटा बेटा वीआरडीएस [वनासिरी रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी] के केंद्रों में से एक में पढ़ता है। उन्होंने उसे सरकारी स्कूल में वापस भेजने में भी मेरी आर्थिक मदद की।”

हसीना का परिवार वीआरडीएस के लाभार्थियों में से है, जो कि राणेबेन्नूर स्थित एक गैर-सरकारी संगठन [एनजीओ] है, जिसे 2004 में स्थापित किया गया था। एनजीओ गरीबी उन्मूलन के लिए काम करता है और ऐसी महिलाओं की आर्थिक सहायता करता है, जिन्होंने अपने पति को COVID-19 के प्रकोप में खो दिया है।

एनजीओ की COVID राहत परियोजना 400 बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने में मदद करती है, 150 युवा सदस्यों को रोजगार खोजने में मदद करती है और 2,000 परिवारों को आर्थिक रूप से तब तक सहायता करती है जब तक कि वे आत्मनिर्भर नहीं हो जाते। इसका उद्देश्य कर्नाटक में हाशिए के समुदायों के लगभग 4,000 परिवारों तक विस्तार करना है।

“इस पहल में उत्तरी कर्नाटक के राणेबेन्नूर तालुक के चार मलिन बस्तियों (एकेजी कॉलोनी, खतीब गली, भवनमठ, इस्लामपुर गली) और छह गाँवों (रहुतनाकट्टी, पद्मावती पुरा, बिसालहल्ली, बावापुर टांडा, अरलिकट्टी, कादरमंडलगी) शामिल हैं, जहां प्रत्येक में एक बच्चे गतिविधि केंद्र मोहल्ला वंचित बच्चों को शिक्षित करने का काम करता है, “वीआरडीएस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस डी बालीगर ने गाँव कनेक्शन को बताया।

बच्चों के लिए एक्टीविटी सेंटर

बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए VRDS ने ‘बच्चों के बच्चों के लिए एक्टीविटी सेंटर’ में बच्चों को पढ़ाने के कौशल से लैस करने के लिए 10 शिक्षकों का प्रशिक्षण आयोजित किया।

“इस प्रशिक्षण में POCSO अधिनियम [यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012], बाल विवाह, बाल श्रम अधिनियम और कानून, ICDS [एकीकृत बाल विकास योजना] कार्यक्रम, बाल हेल्पलाइन 1098, बच्चों के शिक्षा अधिकार, स्वास्थ्य, महिला और बाल कल्याण शामिल है, “बालीगर ने कहा।

राणेबेन्नूर में ऐसे ही एक एक्टीविटी सेंटर में बच्चों को शिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले शिक्षकों में से एक गजाला बानो लोहार ने कहा कि न केवल इन बच्चों को सह-पाठयक्रम गतिविधियों में भाग लेकर आत्मविश्वास विकसित करने में मदद मिलती है, बल्कि उनकी स्कूली शिक्षा भी शिक्षकों द्वारा पूरक होती है। 

लोहार ने गाँव कनेक्शन को बताया, “हमारे प्रयासों ने बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने में मदद की। साथ ही, स्कूल छोड़ने वालों में से दस प्रतिशत फिर से पढ़ रहे हैं और नियमित रूप से अपने स्कूलों में जा रहे हैं।”

नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली 14 साल की सादिया ने अपने शिक्षक से सहमति व्यक्त की और कहा कि गतिविधि केंद्र के कारण उसके अंग्रेजी व्याकरण कौशल, गणित और ड्राइंग कौशल में सुधार हुआ है।

“सरकारी स्कूलों की तुलना में गतिविधि केंद्र में सीखना मजेदार और बहुत दिलचस्प है, “उसने कहा।

बडी4स्टडी, नोएडा स्थित एक एनजीओ, जो जरूरतमंद छात्रों को छात्रवृत्ति देने का काम करता है, ने इन गतिविधि केंद्रों के लिए 690,000 रुपये दिए हैं। साथ ही, उन्होंने 10वीं और 11वीं कक्षा में पढ़ने वाली 42 वंचित लड़कियों को क्रमशः 15,000 रुपये और 20,000 रुपये की राशि दान की।

वीआरडीएस के सीईओ बालीगर ने गाँव कनेक्शन को बताया, “इससे उनकी शिक्षा में मदद मिली क्योंकि उन्होंने पाठ्यपुस्तकें, नोटबुकें खरीदीं और खाने का खर्च उठा सकते थे।”

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