रायबरेली। किसान धीरेंद्र चौधरी ( 48 वर्ष) इस वर्ष अपनी उड़द की फसल को लेकर चिंतित हैं। फसल की बुवाई को अभी एक महीने ही हुए हैं और खेतों में पनपे पौधों में पीलापन आना शुरू हो गया है। सफेद मक्खी और माहो नाम के कीट पौधों पर दुष्प्रभाव डाल रहे हैं। अब लगता है आने वाले समय में अरहर की तरह उड़द पर भी महंगाई का असर दिखेगा।
रायबरेली जिला मुख्यालय से 14 किमी. दक्षिण दिशा में अहमदपुर गाँव में चार बीघे के खेत में उड़द की खेती कर रहे किसान धीरेंद्र बताते हैं, “जुलाई के शुरुआत में फसल बोई थी, जिसमें अभी चार अंगुल के पौधे निकले हैं। कुछ दिनों से लगातार रुक-रुक कर बारिश हो रही है, जिससे पौधों में पीलापन नज़र आ रहा है, कुछ पौधों की पत्तियां भी सिकुड़ रही हैं।’’
उड़द की बुवाई जायद व खरीफ दोनों मौसम में फरवरी के अंत से लेकर अगस्त के मध्य तक की जाती है। खरीफ मौसम में उड़द की बुवाई का सही समय जुलाई के पहले हफ्ते से लेकर 15-20 अगस्त तक है, हालांकि अगस्त महीने के अंत तक भी इस की बुवाई की जा सकती है।
केंद्रीय एकीकृत कीट प्रबंधन केंद्र (सीआईपीएमसी) के पौध संरक्षण अधिकारी डॉ. उमेश कुमार बताते हैं, “बारिश में उड़द की शुरुआती अवस्था में पौधों में सिकुड़न या पीलापन माहो कीट या सफेद मक्खी से हो सकता है। ऐसे में अगर बारिश लगातार हो रही है तो, पौधों पर कोई असर नहीं होता है। अगर दो, तीन दिनों के अंतराल पर वर्षा होती है, तो सफेद मक्खी का डर रहता है।’’
पिछले एक महीने में उड़द की दाल के भाव इस कदर बढ़े हैं कि देश की सभी प्रमुख मंडियों में उड़द 15 से 20 रुपए ज़्यादा महंगी हो गई है। ऐसे में खरीफ के शुरुआती मौसम में उड़द की फसल में पीलापन आना आगे चलकर उड़द के भाव बढ़ने का संकेत दे रहा है।
डॉ. उमेश कुमार बताते हैं, “अगर किसानों को उड़द की शुरुआती पौध में पीलापन या सिकुड़न नज़र आ रहा है, तो इसे गंभीरता से लें। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि अपने खेत में ऐसे पौधें, जिनमें यह लक्षण दिखें, उसे तुरंत उखाड़ कर जला दें या फिर मिट्टी में दबा दें।’’
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क