स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
गाजियाबाद। रियल स्टेट के क्षेत्र में गाजियाबाद जिले का नाम प्रदेश के टाप जिलों में शुमार है। यहां कि जमीन की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि आस पास के गाँवों के किसान भी रियल स्टेट का काम कर रहे हैं। जगह-जगह पर रियल स्टेट के आफिस खोले गए हैं। बड़ी-बड़ी कंपनिया किसानों से जमीन मुंहमांगे दामों पर लेने को तैयार है। इस दौर में एक किसान ऐसे भी हैं जो रियल स्टेट के काम को छोड़कर पॉली हाउस खेती के से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
मोदीनगर ब्लॉक के रघुनाथपुर गाँव के किसान संजय (50 वर्ष) की जो आज से तीन साल पहले तक रियल स्टेट के क्षेत्र में काम करते थे। संजय कहते हैं, “खेती के काम में बहुत सुकून है। रियल स्टेट से मन भर गया था।” संजय, मनचंदा एंड मनचंदा और ऐसोचैम गुलमोहर जैसी कंपनियों में सीनियर फोरमैन के पद पर काम कर चुके हैं। गुरूग्राम का वेदांता की नीव रखने के समय संजय वहीं पर काम कर रहे थे।
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आज के समय में जिले में गिने चुने किसान ही पॉली हाउस में खेती कर रहे हैं। उसमें संजय का नाम बड़े गर्व के साथ लिया जाता है। संजय एक बीघा जमीन पर पाली हाउस से खीरे की खेती कर रहे हैं। संजय कहते हैं, “साल भर खीरे की पैदावर होती है। एक फसल 90 दिन तक चलती है फिर दूसरी तैयार हो जाती है। इसके लिए 10 लाख रुपए खर्च किए जिसमें से 4.42 लाख की सब्सिडी सरकार द्वारा दी गई।”
संजय से प्रभावित हैं कई किसान
गाँव के मुकेश (40 वर्ष) का कहना है कि हमें भी संजय भाई से बहुत प्रेरणा मिल रही है। हमें लगता है जब रियल स्टेट व विदेश में काम करने वाला हमारा ही भाई खेती करके अच्छा पैसा कमा रहा वो भी शान से तो हम क्यों प्राइवेट नौकरी के चक्कर में पड़े, मैं भी अब खेती करूंगा जिसमें संजय ने मदद करने की बात कही है। गाँव के कई किसान जो अपनी जमीन बेचने की सोच रहे थे संजय के कहने पर वो आज के समय में मशरूम की खेती कर रहे हैं।
पत्नी ने किया प्रेरित
वो आगे बताते हैं, “इस खीरे के लिए हाइवेज कंपनी का बीज प्रयोग किया गया जो कि एक से डेढ़ महीने में तैयार हो जाता है। 20 ग्राम बीज की कीमत 10 हजार रुपए है। एक बीज पांच रुपए का पड़ता है और एक बीज से एक सीजन में चार-पांच किलो खीरे की पैदावार होती है।” उनकी पत्नी कांता ने खेती के प्रेरित किया, जिसके बाद उन्होनें यह पाली हाउस की खेती का काम शुरू किया। शुरूआत में काफी समस्या आयी, लेकिन आज के समय सब ठीक है।
प्रशासन से सहयोग के सवाल पर संजय काफी नाराज दिखे और न चाहते हुए भी अपनी नाराजगी बता गए। संजय का कहना है, “सिंचाई के लिए बिजली का कनेक्शन नहीं मिला, जिसके लिए बहुत भाग दौड़ की उसके बाद भी नही मिला। 7.5 हार्स पावर वो भी कामर्सियल कनेक्शन दिया जा रहा था। खेती के नाम पर कामर्शियल कनेक्शन दिया जा रहा है। खेत की सिंचाई के लिए काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा।”
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पूरा परिवार कर रहा सहयोग
यह सिर्फ उनकी ही नहीं सभी किसानों की समस्या है, जिसको कोई सुनने को तैयार नहीं है। आज के समय में पूरा परिवार संजय के काम में सहयोग कर रहा है। पत्नी के साथ साथ बेटियाें रश्मि और आकांक्षा को भी खेती की बराबर जानकारी हो गई है और वो अपने पिता का पूरा सहयोग करती हैं। जबकि बेटा प्रशांत खीरे को बाजार में कैसे बेचा जाए इस कार्य में मदद कर रहा है। पूरा परिवार खेती के माध्यम से अपनी जरूरतों को पूरा करने के साथ ही गाँव के दूसरे किसानों की मदद दी जाती है।
आज के समय में पत्नी कांता नर्सरी का कमा शुरू किया है, जिसके माध्यम से केला, पपीता, सागौन के पौधे टिश्यू कल्चर से तैयार किए जा रहे हैं। केले का पौधा इजराइल से मंगवाया है जो कि पहले रांची उसके बाद इनके पास आता है। पालम में ससुराल होनें से पौधों को लाने में कोई समस्या नहीं होती है। संजय ने बताया कि आज के समय में हार्ड नहीं स्मार्ट वर्क करने की जरूरत है। कम समय में ज्यादा मुनाफे की खेती करने की आवश्यकता है। इससे हमारी इन्कम दोगुनी हो सकती है, जिसके बारें में लगातार प्रधानमंत्री कह रहे हैं। उसके लिए किसानों को अपनी खेती के तरीके व फसल चक्र में सुधार करने की आवश्यकता है।
पॉली हाउस बनाने का तरीका
मौसम और वातावरण में निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। पॉली हाउस-
- स्टील
- लकडी
- बांस या एल्यूमीनियम के फ्रेम पर बनी संरचना है जो पारर्दशी पर्दे से ढ़की हुई रहती है,जिससे सूर्य का प्रकाश आसानी से पौधों तक पहुँच सके।
- पॉली हाउस बिना मौसम की सब्जियां, फूल और फल आदि को उगाने का सुरक्षित और सरल साधन है।
- बाहर किसी भी तरह का वातावरण हो पॉली हाउस में फसलों के हिसाब से ही अंदर का वातावरण रखा जाता है।
पॉली हाउस में खेती करने के तरीका
अब अधिकतर किसान पॉली हाउस तकनीक के बारे में जानना चाहते हैं जिससे वे अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। अपनी भूमि के हिसाब से आप पॉली हाउस तैयार कर सकते हैं। फिर इस भूमी पर अधिक से अधिक जैविक खाद डाली जाती है जिससे जमीन की गुणवत्ता बढ़ सके। फिर पौधों के लिए बिस्तर तैयार किए जाते हैं। ये बिस्तर इस तरह के बने होने चाहिए जिससे पौधों को घूप की रोशनी और हवा प्रयाप्त मात्रा में मिल सके। साथ ही आपको इसकी चौड़ाई का भी ध्यान रखना चाहिए जिससे आप आसानी से क्यारियों में जाकर तुड़ाई व कटाई कर सकते हैं। एक या दो दिन तक भूमि में पानी से सिंचाई करनी चाहिए जिससे जमीन में नमी बन सके। और अब आप इसमें पौध लगा सकते हैं। आप इसमें टमाटर, ककड़ी व गोबी को आसानी से उगा सकते हो।
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पॉली हाउस के फायदे
- इस तकनीक से अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।
- किसी भी मौसम में आप सब्जियों और फलों को उगा कर अधिक पैसे कमा सकते हो।
- अधिक मेहनत की जरूरत नहीं होती है।
- बारिश हो या ओला गिरने की समस्या। गर्मी हो या सर्दी इन सभी से होने वाले नुकसान से बच सकते हो।
- कम पानी के इस्तेमाल से आप अधिक से अधिक फसलें उगाई जा सकती हैं।
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