नई दिल्ली (आईएएनएस)। दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद के लिए विकसित की गई जल्द पकने और ज्यादा उपज देने वाली अरहर दाल की पूसा अरहर 16 किस्म को आने में अभी एक साल की देरी और होगी, क्योंकि इसके विभिन्न स्थानों पर परीक्षण में असंगत परिणाम सामने आए हैं।
भारतीय कृषि शोध संस्थान (आईएआरआई) ने इस नए किस्म के अरहर को विकसित किया है। संस्थान ने अभी इस साल के खरीफ सीजन (अप्रैल-अक्टूबर) में इसका परीक्षण जारी रखने का फैसला किया है। इसके कारण अरहर की नई किस्म साल 2018 के खरीफ सीजन से पहले उपलब्ध नहीं हो पाएगी।
आईएआरआई के निदेशक जीत सिंह संधू ने बताया, “हमने दिल्ली (पूसा संस्थान) में परीक्षण के दौरान उम्मीद के अनुरूप नतीजे हासिल किए, लेकिन दूसरी जगहों पर किए गए परीक्षण में उत्पादन में अंसगतता थी। इसलिए हमने अभी इसका परीक्षण इस साल भी जारी रखने का फैसला किया है।”
इसका परीक्षण देश भर में कई जगहों पर किया गया, जिनमें लुधियाना (पंजाब), हिसार (हरियाणा) और कोटा (राजस्थान) भी शामिल हैं।
यह नई किस्म केवल 120 दिनों में ही परिपक्व हो जाती है, जबकि पारंपरिक किस्में 160 से 270 दिन का समय लेती हैं। साथ ही यह प्रति एकड़ 2000 किलोग्राम की उपज देती है, जबकि सामान्य किस्म 750 किलोग्राम की उपज देती है। साथ ही इसमें कम पानी की जरूरत होती है।