देश में दूध और कोको की पैदावार बढ़ने से देश के चॉकलेट उद्योग को पंख लग रहे हैं। पूरी दुनिया में जहां चॉकलेट इंडस्ट्री में ठहराव आ चुका है वहीं भारत में 13 प्रतिशत की दर से चॉकलेट उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय भारत के ट्रेड प्रमोशन काउंसिल आफ इंडिया की हालिया जारी रिपोर्ट के अनुसार देश में 2 लाख 28 हजार टन चॉकलेट का सालाना उत्पादन हो रहा है। इस साल यानि 2018 में देश में 3 लाख 41 हजार 609 टन चॉकलेट का उत्पादन होने की उम्मीद है।
वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया ने बताया ” बदलती लाइफ स्टाइल, खानपान की बदलती आदतें और गिफ्ट में चाकलेट के बढ़ते चलन के कारण भी चाकलेट इंडस्ट्री आगे बढ़ रही है। भारत चाकलेट का प्रमुख निर्यातक देश भी बन रहा है। भारत से सउदी अरब, यूएई, सिंगापुर, नेपाल और हांगकांग में चाकलेट निर्यात कर रहा है।”
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उन्होंने बताया कि देश में दुग्ध उत्पादन अधिक होने और कोको की खेती बढ़ने से चॉकलेट उद्योग को बढ़ने में आसानी हो रही है। देश में एक नगदी फसल के रूप में कोको किसानों की पसंद बनती जा रही है। ऐसे में काजू और कोको विकास निदेशालय भारत सरकार एक योजना बनाकर देश में कोको की खेती बढ़ाने के लिए काम कर रहा है।
कोको की खेती को देश में बढ़ाने को लेकर जानकारी देते हुए इसके निदेशक वेंकटेश एन हुब्बल्ली ने बताया ” कोको एक निर्याती फसल है। चाकलेट में कच्च माल के रूप में कोको का इस्तेमाल होता है। भारत में इसकी खेती केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में हो रही है।
भारत में तीन प्रकार की चॉकलेट का उत्पादन हो रहा है, जिसमें व्हाइट, डार्क और मिल्क चॉकलेट शामिल है। अगर बाजार में में बिक्री की हिस्सेदारी के अनुसार देखें तो मिल्क चॉकलेट 75 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ बाजार में कब्जा किया है वहीं व्हाइट चाकलेट की हिस्सेदारी 16 प्रतितश और डार्क चाकलेट की 9 प्रतिशत है। आजकल डार्क ओर सुगर फ्री चाकलेट की भी मांग तेजी से बढ़ रही है। बाजार में मेडिसिनल और आर्गेनिक चाकलेट की मांग को देखते हुए चाकलेट उत्पादक ईकाइयों ने ऐसे चाकलेट भी बाजार में उतारना शुरू कर दिया है।
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देश में चॉकलेट का बड़े पैमाने पर उत्पादन होने के बाद भी निर्यात के मामले में अभी भारत अभी टॉप फाइव देशों में अपनी जगह नहीं बना पाया है। पूरे विश्व में 17.1 प्रतिशत निर्यात के साथ जर्मनी नंबर वन चॉकलेट निर्यातक देश है, वहीं 11 प्रतिशत के साथ बेल्जियम दूसरे, 6.8 प्रतिशत के साथ नीदरलैंड तीसरे, 6.3 प्रतिशत के साथ इटली चौथे और 6.1 प्रतिशत निर्यात के साथ अमेरिका पांचवे स्थान पर हैं।
ट्रेड प्रमोशन काउंसिल आफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार साल 2025 में भारत में कोको उत्पादन दोगुना होने के साथ 30 हजार टन होने की उम्मीद है। ऐसे में भारत के चाकलेट उद्योग को बड़ी मात्रा में कच्चे माल के रूप में चाकलेट मिलेगा और भारत चाकलेट के प्रमुख निर्यातक देशों में शामिल हो जाएगा।
पिछले साल 78000 हेक्टेयर से 16050 मीट्रिक टन का कोको का उत्पादन हुआ था। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार के अंतगर्त आने वाले कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार देश ने वर्ष 2016-17 के दौरान 1,089.99 करोड़ रूपए के 25700.17 मीट्रिक टन कोको उत्पाद विश्व को निर्यात किए है।
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कोको (थियोब्रोमा काकाओ एल) एमेजोन मूल की फसल है और बीसवीं सउी की शुरूआत में भारत लाई गई। कॉफी, चाय और रबड़ की तरह कोको को भी देश में बागवानी फसल का दर्जा प्राप्त है। कोको विकास निदेशालय के अनुसार कोको दक्षिणी अमेरिका की मुख्य फसल है। बहुतायत में इसकी खेती अफ्रीका भूखंड के उष्णकटिबंधीय इलाके में की जाती है। कोको एक उष्णकटिबंधीय फसल होने के कारण भारत में इसके विकास की काफी संभावनाएं हैं। देश में कोको की व्यवसायिक खेती 1960 के दशक में शुरू की गई लेकिन अभी में देश में कोको के अलग से बागान नहीं है। ऐसे में कोको निदेशालय इसके बागान के लिए भी काम कर रहा है।
वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया ने बताया कि भारत विश्व स्तर पर कृषि उत्पादों के सातवें सबसे बड़े निर्यातक के रूप में उभरा है। नए बाजारों में विकास के लिए अवसरों को खोजा जाना है। 2016-17 के दौरान माल का निर्यात 276. 28 बिलियन डॉलर रहा, जिसमें से कृषि निर्यात 33. 38 बिलियन डॉलर का था। वियतनाम, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, अमरीका, ईरान, इराक और नेपाल भारत से खाद्य उत्पादों के निर्यात के प्रमुख स्थान हैं।