राजस्थान के इस कृषि वैज्ञानिक ने एक ऐसी मशीन का इजाद किया है जो ईको फ्रेंडली है। इस मशीन की विशेषता यह है कि फसल में लगने वाले कीट-पतंगों को हटाने के लिए किसान को रासायनिक दवाइयों का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा। राजस्थान सरकार ने ‘मल्टी-फंक्शन पोर्टबल एग्रीकल्चर मशीन’ किसानों को अनुदान में सिर्फ दो हजार रुपए में उपलब्ध कराएगी। यह मशीन 15 अप्रैल से बाजार में उपलब्ध हो जाएगी।
मल्टी-फंक्शन पोर्टबल एग्रीकल्चर मशीन का प्रयोग हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश के कई जगहों पर करके देखा गया है जहां इसका प्रयोग सफल हुआ है। इसका वजन सिर्फ आठ किलो है। बिना दवाई के जो कीट-पतंग, पौधों का रस चूसते हैं या फिर पत्तियां काटते हैं, यह मशीन सभी प्रकार के इन्सेक्ट के लिए कारगर है। किसान को बीज बुवाई, खाद डालने और फसल में दवाई छिड़काव के काम में भी यह मशीन मददगार है। इसकी कई और भी खूबियां हैं, यह सौर उर्जा से चलने वाली मशीन है। जो 25 सालों तक खराब नहीं होगी।
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डॉ राजपाल झाझड़िया ने गांव कनेक्शन संवाददाता को फोन पर बताया, “मैं बचपन से ही खेती करता आया हूं और अभी भी खेती करता हूं। मैंने देखा है कि किसानों को खेत में कितनी मेहनत करनी पड़ती है और काफी लागत भी लगानी पड़ती है। पर मुनाफा नहीं मिलता, किसानों की मेहनत और लागत कम हो इस दिशा में कुछ न कुछ शोध करता रहता हूं।”
वो आगे बताते हैं, “फसल में लगने वाले कीट-पतंगों से बचने के लिए किसानों को हर साल हजारों रुपए की दवाइयां खरीदनी पड़ती है पर समस्या जस की तस बनी रहती है। इससे जहां धन खर्च होता है वहीं मिट्टी भी जहरीली हो जाती है, इसका किसान के स्वास्थ्य पर सीधे असर पड़ता है। इन सबसे राहत दिलाने के लिए बिना रासायनिक दवाई के प्रयोग से इस मल्टी-फंक्शन पोर्टबल एग्रीकल्चर मशीन बनाई है।” इस मशीन के प्रयोग से किसानों की लागत तो कम होगी ही साथ ही उनका और मिट्टी का स्वास्थ्य भी सुधरेगा।
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डॉ राजपाल झाझड़िया मूल रूप से झुंझुनू जिला मुख्यालय से 9 किलोमीटर दूर बगड़ गांव के रहने वाले हैं। वर्तमान समय में ये राजसमंद जिले में जिला कृषि अधिकारी एवं सहायक निदेशक कृषि विस्तार की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं।
डॉ राजपाल लगातार किसानों के हित में नए-नए प्रयोग करते आ रहे हैं। डॉ राजपाल का नवीनतम प्रयोग एक ‘मल्टी-फंक्शन पोर्टबल एग्रीकल्चर मशीन’ है। इस मशीन का आविष्कार करने के लिए इन्हें अभी हाल ही में कृषि मंत्री डॉ प्रभुलाल सैनी ने सम्मानित किया था। इस मशीन की लागत सात हजार रुपए है पर कृषि मंत्री ने इसे किसानों को अनुदान में सिर्फ 2000 रुपए में देने की बात कही है।
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मल्टी-फंक्शन पोर्टबल एग्रीकल्चर मशीन में जापान और चीन देश की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। डॉ राजपाल झाझड़िया ने मशीन को पेटेंट के लिए उपयुक्त संस्थान में आवेदन कर दिया है। इस मशीन को बनाने में लगभग ढाई साल का वक्त लगा है।
डॉ राजपाल बताते हैं, “शुरुआत में इसकी लागत बहुत ज्यादा आ रही थी, इसकी लागत कम से कम हो जिससे किसान आसानी से मशीन को खरीद सके इसके लिए मुझे एक लम्बे समय तक शोध कार्य करना पड़ा। अंत में इसकी लागत 7000 रुपए आई। मैंने राजस्थान के कृषि मंत्री को अपने शोध के बारे में बताया, मशीन की खूबियां जानकार वह बहुत खुश हुए, उन्होंने इसके फायदे देखे तो इस मशीन पर किसानों को सब्सिडी में देने की बात कही। सब्सिडी के बाद यह बहुउद्देशीय मशीन किसानों को सिर्फ 2000 रुपए में मिलेगी।”
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कम समय में यह मशीन करती है कई काम
किसानों को सिर्फ दो हजार में मिलने वाली इस मशीन के कई फायदें हैं। इस मशीन की एक बड़ी खासियत यह है कि रात में बिजली न होने पर तीन से चार घंटे एक पंखा व बल्ब जल सकता है, मोबाइल और लैपटॉप चार्जिंग की भी इसमें सुविधा है।
डॉ झाझड़िया बताते हैं, “अगर किसान खेत में किसी भी तरह की दवाई छिड़कना चाहता है तो इस मशीन में एक ऐसा मिक्स्ड ब्लोवर लगाया गया है जिससे पतियों के दोनों तरफ छिड़काव होगा। जबकि बाकि मशीनों में सिर्फ पत्तियों के एक तरफ छिड़काव होता है।”
यह मशीन गाड़ी में वैक्यूम क्लीनर का काम करता है। यह पार्क की घास सफाई करने के भी काम आता है। मशीन में कोई भी ऐसा यंत्र नहीं लगा है जिससे इसका प्रयोग करने पर घिसाव हो। खेत में कीड़ों के हिसाब से यह मशीन काम करती है। अगर कीड़े सामान्य मात्रा में लगे हैं तो एक आदमी एक घंटे में पूरा काम कर लेगा।